ईरान द्वारा चीन-पाक को निमंत्रण देने से एशिया में निर्यात के बदले समीकरण

punjabkesari.in Tuesday, Mar 20, 2018 - 04:47 PM (IST)

अमृतसर(इन्द्रजीत/अरुण): ईरान द्वारा नव-स्थापित चाबहार की बंदरगाह को शुरू हुए अभी दो माह हुए हैं कि इसमें एक और नया उफान लाते  हुए ईरान की सरकार ने अब चीन और पाकिस्तान को भी दावत दी है कि वे उक्त बंदरगाह का उपयोग कर सकते हैं।   

जानकारी के मुताबिक दिसम्बर महीने में चाबहार की बंदरगाह शुरू होने के उपरांत भारतीय बेड़ों ने चाबहार की ओर रुख कर लिया है, जिसमें पहली खेप में ही एक लाख टन गेहूं की सप्लाई भी अफगानिस्तान को दी गई है। इसके उपरांत भारत सरकार की योजना है कि चाबहार की बंदरगाह के रास्ते मध्य एशिया के देश तजाकिस्तान, किरगिस्तान, तिरगिजिया, उज्बेकिस्तान के साथ-साथ अफगानिस्तान को भी सड़क मार्ग से सामान भिजवाया जाएगा। 

योजना के अनुसार भारतीय बेड़े चाबहार की बंदरगाह पर माल अनलोड करने के उपरांत मध्य एशिया के देशों को माल सप्लाई करेंगे। भारत की यह अभूतपूर्व योजना के कारण न केवल दक्षिण एशिया अपितु मध्य एशिया के साथ ईरान व अन्य देश भी इसका लाभ उठा सकते हैं। दूसरी तरफ बड़ी बात है कि उक्त बंदरगाह की शुरूआत पर पाकिस्तान और चीन जैसे देशों को दूर रखा गया था। 

गवादर की बंदरगाह हो चुकी है फेल

भारत द्वारा चाबहार की बंदरगाह का प्रयोग करने और एशिया के अधिकतर देशों के सहयोग के कारण पाकिस्तान के क्षेत्र में बनी चीन की बंदरगाह पहले ही चरण में फेल हो गई थी, क्योंकि गवादर की बंदरगाह से ईरान की चाबहार बंदरगाह मात्र 70 किलोमीटर की समुद्री दूरी पर है। इस कारण पाकिस्तान की बंदरगाह को अधिक  नुक्सान हुआ। इसमें चीन के 50 अरब रुपए भी डूब गए थे। दूसरी तरफ भारत ने चाबहार की बंदरगाह पर 500 करोड़ डालर के निवेश से जो शुरूआत की है, इसमें मध्य एशिया की सड़क भी शामिल है, किन्तु नए प्रकरण में ईरान द्वारा चीन और पाकिस्तान को निमंत्रण देने के बाद भारत के लिए मध्य एशिया से व्यापार के समीकरण बदल सकते हैं, जबकि इसका कुछ असर साऊथ ऐशिया के देशों में भी हो सकता है। 
 


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