जन्मदिनः अपने गांव को शिखर पर देखना चाहते थे मोहम्मद रफी

punjabkesari.in Thursday, Dec 24, 2015 - 10:15 AM (IST)

अमृतसरः गांव कोटला सुल्तान सिंह से संबंध रखने वाले मोहम्मद रफी  साहब का अाज 91वां जन्मदिवस है।  रफी अपने गांव के लिए बहुत कुछ करना चाहते थे, लेकिन किसी ने कभी कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखाई। दूसरा शादी ने उनकों एेसे बंधन में डाल दिया कि वे दोबारा गांव का रुख नहीं कर सके।

मोहम्मद रफी को गांव में फीको कहकर बुलाते थे। फीको बहुत शरारती था। गांव के एलीमेंट्री स्कूल से उन्होंने प्राइमरी तक की पढ़ाई की। पढ़ने में ठीक-ठीक ही थे। कई बार स्कूल में काम नहीं करने या शरारतों के कारण उन्हें डांट भी पड़ती थी। फीको के पिता अली मोहम्मद खाना बनाने में माहिर थे। वह एक ही देग में सात रंग के चावल पका देते थे। फीको एक बार कबड्डी खेल रहे थे तो उन्होंने गीदड़ की आवाज से सभी को डरा दिया था। 

किस्मत ने साथ दिया  और फीको मोहम्मद रफी के नाम से दुनिया में मशहूर हो गए। वह गांव के लिए बहुत कुछ करना चाहते थे। रफी के बचपन के दोस्त कुंदन सिंह (अब नहीं रहे) ने बताया था, 1953 में जब वह अमृतसर के एलेग्जेंड्रा ग्राउंड में शो करने के लिए आए तो वे भी अपने साथियों के साथ उन्हें मिलने गए। उसकी दिनचर्या इतनी व्यस्त थी कि तीसरे दिन एक सरदारजी ने उनकी मुलाकात करवाई। 

सरदार जी ने रफी से कहा कि तुहाडे पिंड तों कुज बंदे मिलन आए ने। रफी ने देखा तो झट दोस्त को गले से लगा लिया और बोले कि तुम गांववाले मिलकर मेरे 3-4 शो गांव में ही करवा दो। गांव के पास इतना पैसा हो जाएगा कि हमारा गांव, गांव नहीं शहर बन जाएगा  लेकिन उस समय के सरपंच ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई।  

रफी ने मुंबई में अपनी दूसरी शादी बिलकिस से रचाई। उसके बाद उन्हें गांव आने की फुर्सत ही नहीं मिली। साल 1972 में रफी का एक शो हुआ था। जिसमें लोगों ने रफी को उनकी पसंद का गीत गाने को कहा तो उन्होंने पंजाबी गीत, लाके दंदा मेखां मौज बंजारा ले गया, गाकर सभी का दिल लूट लिया था। 


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