यूनिपोल लगाने वाला ठेकेदार हाईकोर्ट पहुंचा

punjabkesari.in Sunday, Mar 18, 2018 - 01:06 PM (IST)

जालंधर (खुराना): मात्र 18 करोड़ रुपए में शहर की पूरी विज्ञापनबाजी का ठेका 11 साल के लिए लेने वाले ठेकेदार ने अब एक्सटैंशन पाने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली है। उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर ठेकेदार ने नगर निगम कमिश्नर को आर्बीट्रेटर बनाए जाने पर सवाल उठाया है। गौरतलब है कि इस संबंधी मामला जालंधर की स्थानीय अदालत में भी चल रहा है।

गौरतलब है कि 2002 में बनी पंजाब की कांग्रेस सरकार के समय लोकल बॉडीज मंत्री रहे चौधरी जगजीत सिंह (अब स्वर्गीय) ने बी.ओ.टी. प्रोजैक्ट लांच करते हुए शहर की विज्ञापनबाजी का ठेका अमृतसर की दुर्गा पब्लिसिटी को 18 करोड़ रुपए में अलाट कर दिया और उस 18 करोड़ रुपए से डी.ए.वी. फ्लाइओवर बनवा लिया। उक्त ठेके की अवधि 2017 में खत्म हो गई थी, परंतु ठेकेदार ने अदालती झमेला जारी रखा और स्थानीय अदालत में स्टे लेने हेतु अर्जी दाखिल कर दी। परंतु ठेकेदार को स्टे नहीं मिला। दुर्गा पब्लिसिटी नामक ठेकेदार ने अदालत को तर्क दिया कि अनुबंध के अनुसार निगम ने उसे शहर में पूरे यूनिपोल नहीं लगाने दिए, जिस कारण उसे घाटा सहन करना पड़ा। इसके एवज में या निगम उसे 30 करोड़ रुपए अदा करे या उसका ठेका 6 साल के लिए बढ़ाया जाए।

अनुबंध के तहत ठेकेदार ने शहर में 199 यूनिपोल लगाने थे। उसे 50 गैंटरी (डिवाइडर पर लगाने वाले यूनिपोल) लगाने की आज्ञा थी और वह 1500 लालीपॉप (छोटे बोर्ड) लगा सकता था। परंतु ठेके की अवधि के दौरान कई साल ठेकेदार ने 150 के करीब यूनिपोल ही लगाए। ठेके के अंत के वर्षों में भी उसके यूनिपोल की संख्या बड़ी मुश्किल से 180 तक ही पहुंची थी। कई सालों बाद वह 35 गैंटरी ही लगा सका और उसने एक भी लालीपॉप नहीं लगाया। अब इसको बहाना बनाकर ठेकेदार ने अदालत की शरण ली है। देखना है कि इस बारे कोर्ट क्या फैसला लेती है? 

नई पॉलिसी न आने से राजस्व का नुक्सान
कांग्रेस को पंजाब की सत्ता में आए एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है। परंतु अभी तक कांग्रेस सरकार ने नई विज्ञापन पॉलिसी जारी नहीं की है, जिस कारण जालंधर सहित तमाम बड़े शहरों में विज्ञापनों से कोई आय नहीं हो पा रही। गौरतलब है कि लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने शहरों के विज्ञापन विभाग में बड़े स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया था और नई पॉलिसी शीघ्र जारी करने की घोषणा की थी। कई महीने बीत जाने के बाद भी सिद्धू नई पॉलिसी नहीं दे पाए हैं, जिस कारण विज्ञापन विभाग निठल्ला बैठा है और शहरों में तमाम विज्ञापन अवैध रूप से लग रहे हैं। 
 


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