बढ़ती महंगाई से गरीब पस्त

punjabkesari.in Monday, Feb 19, 2018 - 02:26 PM (IST)

फगवाड़ा(मुकेश): सरकार के पास कीमतें बढ़ाने के हर तर्क मौजूद हैं, मगर उन्हें रोकने का एक भी उपाय नहीं है। महंगाई ने ‘खासकर खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि ने’ गरीब आदमी तो क्या, मध्यम वर्ग तक का जीना मुहाल कर दिया है, मगर सरकार कुछ भी नहीं कर पा रही है। महंगाई आज के युग में भीषण समस्या का रूप ले चुकी है। कभी प्याज का भाव बढ़ गया तो कभी दाल का। क्या आपने कभी उन लोगों के बारे में सोचा है जिनकी दैनिक मजदूरी 100 रुपए से भी कम हो और उसी कमाई में 5 लोगों का परिवार चलाना है, कैसे चलाते होंगे वह अपने परिवार, महंगाई के कारण बेचारे गरीब आदमी को तो अपनी मूलभूत आवश्यकताएं भी पूरी कर पाना दुष्कर हो गया है।

पॉकेट में बढ़ रहा है बोझ, थैले का हो रहा है कम
महंगाई का ऐसा असर होता है कि पॉकेट में पैसों का बोझ बढ़ता जाता है और थैले में सामान कम होता जाता है। यदि खरीदार की क्रय शक्ति घट जाए तो महंगाई बढ़ जाती है। इसके बढऩे से रुपयों का अवमूल्यन हो जाता है। यह एक विश्वव्यापी समस्या है लेकिन भारत में तो यह एक गंभीर समस्या है। देखा जाए तो समाज का हर वर्ग आज मूल्य वृद्धि या महंगाई की समस्या से त्रस्त है, लेकिन निम्न और मध्यम वर्ग के लोग इससे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। महंगाई बढऩे से लोग अपनी आवश्यकता में कटौती करने लगते हैं। जहां लोग 4 किलो दूध रोज खरीदते हैं, उसे कम करके 2 किलो कर देते हैं।

पैट्रोल की कीमत बढऩे से लोग सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते हैं या फिर पैदल चलना शुरू कर देते हैं। खेतिहर किसान अपने खाद-बीज और अन्य खेती के सामनों में कटौती करते हैं जिससे उनकी पैदावार प्रभावित होने लगती है। यदि कोई त्यौहार आ जाए तो उसके बजट में भी कटौती करनी पड़ जाती है। इसका असर होली-दिवाली पर भी दिखने लगता है। हास्यास्पद तो तब लगता है, जब भिखारी भी एक रुपया का भीख लेने से इंकार कर देता है। इसका असर व्यापक होता है। यह खान-पान से लेकर रहन-सहन तक यानी जीवन के सभी आयामों को प्रभावित कर देता है।

महंगाई बढऩे के कारण 
महंगाई बढऩे के पीछे कई कारण हैं। पहला कारण है तेजी से बढ़ती जनसंख्या, क्योंकि लोग तो बढ़ते जाते हैं, परन्तु संसाधन सीमित हैं, दूसरा कारण है सरकार की अकुशल नीतियां, जिनके चलते खाद्यान्न गोदामों में पड़े-पड़े सड़ते रहते हैं और जनता भूखी मरती रहती है। कालाबाजारी की वजह से जहां एक तरफ  लोगों को अनाज पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते हैं, वहीं दूसरी ओर बड़े-बड़े व्यवसायी इस अनाज को अपने गोदाम में जमा करके रखते हैं। जब बाजार में इनका भाव बढ़ जाता है तब वे अपने अनाज को ऊंचे दाम पर बेचते हैं। बड़े और अमीर लोग तो खैर ऊंची और बड़ी दर पर भी महंगी चीजों को खरीद लेते हैं लेकिन उन गरीब और निम्न, मध्य वर्ग के लोगों का क्या हाल होता होगा? यह एक विचारणीय प्रश्न है। इसके साथ ही साथ प्राकृतिक विपदाएं जैसे बाढ़, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, सूखा, आदि भी उत्पादन को प्रभावित करते हैं और कम उत्पादन होने से महंगाई बढऩा स्वाभाविक है। 

सरकारों का एक काम सिर्फ महंगाई बढ़ाना
मौजूदा सरकारों का अब सिर्फ एक ही काम है सिर्फ महंगाई बढ़ाना। यह बात बिल्कुल सत्य दिखने लगी है। ‘पंजाब केसरी’ के प्रतिनिधि द्वारा गई गहन पड़ताल से साफ दिखा कि पिछले कुछ वर्षों से देश में तरक्की कम बल्कि महंगाई का ग्राफ काफी बढ़ा है। महंगाई ने गरीब वर्ग के अतिरिक्त मध्यम वर्ग के लोगों को काफी ङ्क्षचता में डालना शुरू कर दिया है। सरकार केंद्र की हो या फि र कांग्रेस की सभी ने महंगाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी। यूं भी आने वाले चुनावों में जनता इस ङ्क्षचता में है कि किस सरकार को सत्ता में लाने हेतु अपना कीमती वोट दें क्योंकि दोनों ही प्रमुख पाॢटयां एक जैसी रही है।
 


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