रियायत से वंचित रहे ऑटो पार्ट्स व इलैक्ट्रोनिक सामान

punjabkesari.in Tuesday, Nov 14, 2017 - 05:01 PM (IST)

अमृतसर (इन्द्रजीत): केन्द्र सरकार द्वारा बीते दिनों जी.एस.टी. दर में दी गई रियायत में जहां कई वस्तुओं पर टैक्स की धाराओं में अंतर लाकर उसे घटा दिया गया है, वहीं देश में व्यापक स्तर पर फैले ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री को कोई रियायत न देने से जहां इस उद्योग पर पहले से कहीं अधिक दबाव बढ़ गया है।

वहीं इस उद्योग पर 30 वर्षों से कहर ढाह रहा ड्रैगन, अब और भी आक्रामक हो जाएगा, क्योंकि चीन ने अपने माल का भारत में निर्यात कर सबसे पहले घातक प्रहार ऑटो पार्ट्स और इलैक्ट्रोनिक उद्योग पर ही किया था। यही कारण है कि यह उद्योग कभी भी चीन के दबाव से निकल नहीं पाया। बीते सप्ताह जब घोषणा की गई कि ऑटो पार्ट्स में भी टैक्स की दर कम की जाएगी तो उद्यमियों के हौंसले बढ़े थे, किन्तु घोषणा का पटाक्षेप होते ही स्थिति पहले से अधिक गंभीर हो गई। 

ऑटो पार्ट्स पर ड्रैगन की टेढ़ी नजर 
1990 के दशक में चीन के निर्यातकों ने सबसे पहले भारतीय मशीनरी उद्योग पर प्रहार करते हुए जिस कीमत पर अपना माल भारत की मंडियों में झोंका था उससे ऑटो पार्ट्स निर्माताओं के पैरों तले की जमीन खिसक गई थी। पहले ही चरण में चीन ने ऑटो पाटर््स में स्पार्क प्लग ऐसे कीमत पर दिए ते कि आज तक भी भारत में स्पार्क प्लग की मात्र दो से तीन कंपनियां ही हैं। अन्य किसी कंपनी का साहस इसका उत्पादन करने का नहीं हुआ, जबकि जिन चाइना की जिन चीजों की आमद नहीं हुई है उनके हजारों कारखाने लग चुके हैं। ऐसी ही स्थिति बॉल बेयरिंग उद्योग में भी है, जहां चाइना शुरू से ही भारी पड़ रहा था। वर्तमान समय में भी ब्रांडेड बॉल बेयरिंग के वहीं रेट हैं, जो वर्ष 1993 में थे। इन पर भी टैक्स की कोई रियायत नहीं मिल सकी। इसके अतिरिक्त ऑटो पार्ट्स में 2 हजार से अधिक ऐसी चीजें हैं जिनमें चाइना भारत के उद्योगों को रौंद रहा है। 

ऑटो व मशीनरी पार्ट्स में भारत
चीन के दबाव को देखते हुए ऑटो पार्ट्स के निर्यात हेतु भारतीय निर्माताओं ने उन चीजों का पकड़ा जिनको चीन भारत में नहीं भेज रहा था। इसमें गुजरात के राजकोट, उत्तर प्रदेश के आगरा, अलीगढ़, मेरठ, लखनऊ, गाजियाबाद में ऐसे कारखाने लगने शुरू हो गए और भारत का निर्यात दूसरे देशों में होने लगा, किन्तु 3-4 वर्ष पूर्व चीन ने भी उन चीजों को भारत में भेजना शुरू कर दिया, जिसके व्यापक स्तर पर उद्योग स्थापित हो चुके थे। इनमें बाइक, गेयर रहित स्कूटर, ऑटो रिक्शा के इंजन का सामान जो गुजरात के राजकोट में अपना एकाधिकार बना चुका था, हिलने लगा।

वर्तमान समय में राजकोट में 2 हजार से अधिक ऐसे कारखाने है, जहां इंजन के पार्ट्स उपरोक्त वाहनों के निर्मित होते है और कई वर्षों से भारत के अतिरिक्त भूटान, बंगलादेश, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया के अतिरिक्त खाड़ी के देशों में अपना दबदबा बना लिया था किन्तु चीन के निर्माताओं ने जैसे ही इन वाहनों के इंजन पार्ट्स जिनमें बड़ी मात्रा में बिकने वाले वॉल्व, कैमशाफ्ट, केम असैंबली, शॉकर आम्र्स के अतिरिक्त इंजन के और कई महत्वपूर्ण चीजों के रेट निकाले तो राजकोट के निर्माताओं की भी हवा निकलने लगी है। इसका सबसे बड़ा असर अब राजकोट के माल की क्वालिटी पर पड़ेगा क्योंकि चीन द्वारा निर्मित पार्ट्स राजकोट की अपेक्षा आधे रेट में आ गए है। 

इलैक्ट्रोनिक में ड्रैगन की पकड़
इलैक्ट्रोनिक में ड्रैगन की पकड़ किसी से छुपी नहीं। 1970-80 के दशक में ही चाइना से बनी इलैक्ट्रोनिक घडिय़ां, वॉल क्लॉक व कैल्कुलेटर ने मामूली कीमत में भारत की मंडियों में धमाल मचा दी थी और तोल की कीमत में इन चीजों को मार्कीट में उतारा था। आज तक भी चीन की पकड़ इन चीजों पर ढीली नहीं पड़ी। भारत की चीजों के मुकाबले चाइना की फस्र्ट कॉपी (अघोषित डुप्लीकेसी) के कारण ब्रॉडेंड चीजों पर ग्राहक पैसा खर्च नहीं रहा और करोड़ों का माल मार्कीट में दनदना रहा है। यहीं हालत एल.सी.डी., मिक्सियां, टेप रिकॉर्डर, कैमरे इत्यादि वस्तुओं के रेट भारत की अपेक्षा काफी कम हैं। बेशक भारत के निर्माता चाइना की क्वालिटी को निशाना बनाकर कितना भी प्रचार करें, लेकिन बाजार में इनकी मांग पहले से काफी बढ़ी है।

वर्तमान समय में इन चीजों पर भी टैक्स की कोई रियायत न मिलने से इन चीजों पर चाइना की पकड़ और पकड़ बढ़ेगी। गौरतलब है कि चाइना से आने वाले माल का बिल आज भी वास्तविक कीमत के 15 से 20 प्रतिशत के आंकड़े से भारत में आता है, इसलिए चीन से आयात की हुई चीजों पर भारतीय जी.एस.टी. का कोई प्रभाव नहीं, क्योंकि असल कीमत में यदि बिल आए तो टैक्स पूरा पड़ेगा और यदि बिल ही कम बनकर आए तो टैक्स और ड्यूटी भी उसी दर से पड़ेगी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News