काऊ सैस के रूप में निगम को मिले लाखों, फिर भी आवारा पशुओं की भरमार

punjabkesari.in Sunday, Nov 05, 2017 - 09:58 AM (IST)

पठानकोट (शारदा): आवारा पशुओं विशेषकर गौधन की मौजूदा दुखद स्थिति का संज्ञान लेते हुए इनके संरक्षण व देखभाल हेतु राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में काऊ सैस लगाने का निर्णय लिया था, ताकि इससे एकत्रित होने वाले राजस्व से गौशालाओं में आवारा पशुओं को रखकर व देखभाल कर उनके चारे आदि का प्रबंध किया जा सके।

किन-किन वस्तुओं पर लगा है काऊ सैस
वहीं नगर निगम के हैल्थ अधिकारी डा. एन.के. सिंह ने बताया कि बिजली बिल, शराब, सीमैंट व दोपहिया, चौपहिया वाहनों, तेल टैंकरों, मैरिज पैलेसों पर काऊ सैस लगाया गया है जोकि एक हैड में एकत्रित होता है। वहां से सरकार एकत्रित राशि कार्पोरेशन को ट्रांसफर करती है। उन्होंने कहा कि अभी तक कार्पाेरेशन को 70 लाख से अधिक की राशि काऊ सैस के रूप में मिल चुकी है क्योंकि एक्साइज पॉलिसी में काऊ सैस न लगने के कारण इससे एकत्रित होने वाला राजस्व कार्पोरेशन को नहीं मिल पा रहा है।

क्या है कैटल पौंड की स्थिति
पंजाब सरकार ने गौ रक्षा व गौधन के संरक्षण हेतु हर जिले में कैटल पौंड बनाया है। जिले के आवारा पशुओं के लिए नगर से सटे गांव डेहरीवाल में भारी खर्च करके कैटल पौंड बनाया गया था जहां पर पशुओं को रखा जा रहा है। कुछेक खामियों के बावजूद वहां पशुओं की देखभाल की कवायद चल रही है। 

जानकारी के अनुसार कैटल पौंड में इस समय 300 के करीब पशु धन हैं। कई बार पर्याप्त इलाज न होने के कारण पशुओं के मरने की खबरें भी आती रहती हैं परन्तु इसके बावजूद कार्पोरेशन को मिल रहा काऊ सैस गौधन संरक्षण में अहम योगदान दे रहा है। हैल्थ अधिकारी डा. सिंह ने बताया कि मौजूदा समय में कैटल पौंड में रखे गए गौधन के चारे आदि पर 5 लाख माह की राशि खर्च हो रही है। फिलहाल वाहनों की बिक्री से एकत्रित हो रहा काऊ सैस कार्पोरेशन के पास पहुंच रहा है परन्तु जैसे ही शराब व अन्य मदों से काऊ सैस आना शुरू होगा कैटल पौंड व वहां रखे गए पशु धन की देखभाल व संरक्षण और पुख्ता ढंग से हो सकेगा।

कैटल कैचर टैंडर दोबारा न लगने से नगर में बढ़ी आवारा पशुओं की संख्या 
नगर व आसपास फैला आवारा पशुओं का जंगल राज समाप्त करने के लिए कार्पोरेशन ने पिछली समय दौरान कैटल कैचर का टैंडर जारी किया था, जिसके तहत आवारा पशुओं को पकडऩे के लिए अब कवायद नहीं का जा रही है। 

इस मुहिम के थमने व दूसरी बार टैंडर न लगने से आवारा पशुओं की संख्या फिर से नगर में बढऩे लगी है। यही कारण है कि कुछ समय तक सिमटी आवारा पशुओं की संख्या में दिन-ब-दिन फिर से इजाफा हो रहा है तथा आवारा व खूंखार सांड सब्जी मंडी, चौराहों व मुख्य बाजारों में फिर रहे हैं व आम जनता को शिकार करके घायल करने में जुटे हैं। जब तक दोबारा उक्त टैंडर नहीं लगता तब तक आवारा पशुओं की फिर से धरपकड़ नहीं हो सकेगी। इस टैंडर को लगने में 1 या 2 माह लग सकते हैं। तब तक आवारा सांडों की पूरी फौज खड़ी हो चुकी होगी व खूंखार सांड अपनी बादशाहत कायम रखेंगे।


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