राज्यसभा चुनावों के लिए मतदान केंद्र के ले-आऊट में बड़ा बदलाव

punjabkesari.in Sunday, Jan 21, 2018 - 10:37 AM (IST)

जालंधर(पाहवा): भारतीय चुनाव आयोग ने अगस्त 2017 में गुजरात में राज्यसभा चुनाव से सबक सीखते हुए मतदान केंद्र्रों के लिए एक नए ले-आऊट पर निर्णय लिया है। उक्त चुनाव में कांग्रेस के विधायकों ने चुनाव स्टाफ की उपस्थिति के बावजूद मतदान प्रक्रिया का उल्लंघन किया था। ऐसे एपिसोड की पुनरावृत्ति न हो इसी बात को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग नई ले-आऊट को लेकर योजना बना रहा है जिस पर उसने सुझाव मांगे हैं।

चुनाव आयोग ने दिसम्बर माह में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को नई ले-आउट डिजाइन भेजा है व भविष्य में सभी राज्यसभा और राज्य विधान परिषद चुनावों के लिए निर्धारित अलग-अलग ले-आऊटों के लिए कड़े प्रबंध करने को कहा है। नए ले-आऊट के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक विधायक केवल अपनी पार्टी के प्रतिनिधि को अपने चुने हुए मतपत्र को दिखा पाए। इसके लिए उसे एक सुरक्षित गलियारे से होकर गुजरना होगा।
 

यह नई व्यवस्था पहली बार इस साल अप्रैल में 52 राज्यसभा सीटों के लिए मतदान के लिए प्रयोग में लाई जाएगी। एक विधायक के तौर पर मतदान केंद्र में प्रवेश के दौरान सबसे पहले विधायक को मतदान अधिकारी के पास जाना होगा। चुनाव अधिकारी उम्मीदवार और पोङ्क्षलग एजैंट के ठीक सामने मौजूद रहेगा। विधायक तबमतदान अधिकारी के डैस्क से आगे बढ़ेगा तथा पोङ्क्षलग कपार्टमैंट की तरफ होगा जो कम से कम 4 फुट ऊंचा होगा। 

यहां से विधायक उस क्षेत्र तक चलने में सक्षम होंगे जहां राजनीतिक दलों के अधिकृत प्रतिनिधियों  के लिए कैबिन उपलब्ध होंगे। प्रत्येक कैबिन 3 से 5 फुट का होगा तथा दो कैबिनों के बीच का अंतर कम से कम 2 फुट होगा। विधायक केवल अपनी पार्टी के प्रतिनिधि को चिह्नित बैलेट पेपर दिखाएंगे और फिर इसे मतपत्र बॉक्स में डाल दिया जाएगा।एक बार मतपत्र डाले जाने के बाद, विधायक मतदान क्षेत्र से बाहर चले जाएंगे। फिक्स्ड कैमरे और लाइव वीडियो रिकॉॄडग एक ऐसे तरीके से लगाए जाएंगे कि मतदान केंद्र पर बारीकी से नजर रखी जा सके। गुजरात में अगस्त 2017 में हुए राज्य सभा चुनावों के दौरान दो कांग्रेसी विधायकों भोला भाई गोहिल और राघव जी भाई परमार ने बैलेट पेपर को भाजपा के प्रतिनिधियों को दिखा दिया था।

चुनाव नियम 1961 के नियम 39-ए और 39-ए.ए. में साफ अंकित है कि कोई भी विधायक इस चुनाव के दौरान केवल अपनी पार्टी के प्रतिनिधि को ही बैलेट पेपर दिखा सकता है। पिछले दो वर्ष में चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनावों में यह दूसरा बड़ा बदलाव किया है। इससे पहले हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के दौरान 14 कांग्रेस विधायकों के मतपत्र इसलिए रद्द हो गए थे क्योंकि उन्होंने चुनाव आयोग की तरफ से जारी पैन की बजाए अपने पैन के साथ मार्किंग की जोकि अवैध था। चुनाव आयोग ने उस व्यवस्था के बाद विधायकों को मतदान केंद्र में अपना पैन ले जाने पर रोक लगा दी थी। 


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