वैट और GST रिफंड अटकने से संकट में आया रबड़ उद्योग

punjabkesari.in Wednesday, Nov 22, 2017 - 07:56 AM (IST)

जालंधर (खुराना): कभी जालन्धर का रबड़ उद्योग स्पोर्ट्स इंडस्ट्री की तरह विश्व प्रसिद्ध हुआ करता था परन्तु विभिन्न सरकारों की व्यापार विरोधी नीतियों के चलते जालन्धर के अधिकांश रबड़ यूनिट न केवल बंद हो गए बल्कि आज भी बचा-खुचा रबड़ उद्योग भारी संकट का सामना कर रहा है। रबड़ उद्योग के समक्ष नया संकट वैट और जी.एस.टी. रिफंड न मिलने को लेकर है जिस कारण व्यापारियों की सारी पूंजी सरकारी खजाने में जा चुकी है और उन्हें बैंक ब्याज भरना पड़ रहा है।

हालात यह हैं कि व्यापारियों को यह नहीं पता लग पा रहा कि उन्हें यह रिफंड कब और कैसे तथा कितने समय में मिलेगा।1964 से जालन्धर के रबड़ उद्योग का प्रतिनिधित्व कर रही संस्था जालन्धर रबड़ गुड्स मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन की वाॢषक जनरल बॉडी मीटिंग आज एसोसिएशन के नए प्रधान आर.के. हरजाई की अध्यक्षता में हुई जिस दौरान 80 से ज्यादा उद्योगों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए। इस बैठक दौरान सेल्स टैक्स विभाग के ए.ई.टी.सी. परमजीत सिंह तथा ई.टी.ओ. दिलबाग सिंह चीमा व अंजलि सेखड़ी विशेष रूप से उपस्थित हुए जिन्होंने व्यापार वर्ग की समस्याओं को सहानुभूतिपूर्वक सुना और आश्वासन दिया कि उद्योग जगत की इन समस्याओं को उचित स्तर पर सरकार के पास भिजवा दिया जाएगा।  ज्यादातर समस्याओं बारे निर्णय सरकार ने लेने हैं परन्तु विभाग व्यापारियों की हरसंभव मदद को तैयार है।

बैठक के शुरू में प्रधान श्री हरजाई ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और एसोसिएशन के गतिविधियों बारे बताया। स्पीड-वेज रबड़ के प्रितपाल सिंह पाली, एसोसिएशन के पूर्व प्रधान बी.बी. ज्योति तथा अलास्का रबड़ के मुकंद गुप्ता ने वैट रिफंड तथा जी.एस.टी. रिफंड का मुद्दा उठाते हुए कहा कि रबड़ उद्योगपतियों की सारी पूंजी सरकार पास जमा हो गई है। इन वक्ताओं ने कहा कि पंजाब सरकार ने करोड़ों रुपए का पिछला वैट रिफंड तो जारी नहीं किया परन्तु अब जी.एस.टी. लागू होने के बाद रबड़ उद्योग के सामने नया संकट खड़ा हो गया है। 

श्री पाली, श्री ज्योति तथा श्री मुकंद गुप्ता ने कहा कि रबड़ चप्पल के तैयार माल पर जी.एस.टी. 5 प्रतिशत है जबकि इन व्यापारियों को ज्यादातर कच्चा माल 18 प्रतिशत जी.एस.टी. देकर खरीदना पड़ रहा है। ऐसे में 13 प्रतिशत जी.एस.टी. रिफंड बनता है जो करोड़ों रुपयों में हैं परन्तु आज तक किसी को एक पैसा भी रिफंड नहीं मिल पाया। किसी व्यापारी को यह भी नहीं पता कि यह जी.एस.टी. रिफंड कब मिलेगा और न ही सरकार इस बारे बताने को तैयार है। बैठक को संबोधित करते हुए स्पोर्ट्स एंड सर्जीकल एसोसिएशन के चेयरमैन आर.के. गांधी ने कहा कि विभागीय अधिकारियों को एसोसिएशन की ओर से लिखित में प्रस्ताव दिए जाने चाहिएं ताकि उन्हें संबंधित सरकार के पास भेजा जा सके और उस पर कार्रवाई भी हो सके। 

पुराने वैट रिफंड को एडजस्ट किया जाए : अवनीश
एसोसिएशन के पूर्व प्रधान अवनीश अरोड़ा ने कहा कि उद्योग जगत का करोड़ों रुपया वैट रिफंड के रूप में सरकार पास पड़ा है। सरकार को चाहिए कि इस बारे जल्द फैसला ले तथा पुराने रिफंड को जी.एस.टी. में एडजस्ट किया जाए। अभी तक जी.एस.टी. रिफंड बारे न तो विभाग को पता है और न ही किसी व्यापारी को। जी.एस.टी. तो लागू हो गया परन्तु न तो सिस्टम पूरा है न ही पूरी तरह नियम बनाए गए हैं और न ही अभी तक पूरी रिटर्नें भरी गई हैं। मैन्युफैक्चरर एक्सपोर्टर को अलग तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

श्री अवनीश ने मांग रखी कि रिवर्स चार्ज सिस्टम को बिल्कुल खत्म किया जाए क्योंकि यह परेशानी के अलावा कोई फायदा देने वाले नहीं। उन्होंने कहा कि अगर रिटर्न फाइलिंग में राशि का कोई फर्क आता है तो उसे ठीक करने का सिस्टम बनाया जाना चाहिए। जी.एस.टी. की रिटर्न त्रैमासिक की जानी चाहिए। जो नियम 31 दिसम्बर या 31 मार्च तक स्थगित किए गए हैं उन्हें स्थायी रूप से खत्म किया जाए। उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. को लेकर किसी को टैंशन नहीं है परन्तु समस्या प्रक्रिया को लेकर है, जिस बारे विभागीय अधिकारियों, सी.ए., एकाऊंटैंट तथा व्यापार जगत को ज्यादा जानकारी नहीं है। 

व्यापारियों के अच्छे दिन नहीं आए : मग्गू
ए.जी.एम. की कार्रवाई एसोसिएशन के महासचिव अशोक मग्गू ने चलाई जिन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कई लुभावने दावे कर रही है परन्तु व्यापारियों के अच्छे दिन नहीं आए। व्यापार जगत ने जी.एस.टी. का स्वागत किया था परन्तु जिस तरीके से हड़बड़ी में इसे लागू किया गया, उस कारण जी.एस.टी. परेशानियों का घर बन गया है। जब व्यापार ही नहीं बचेगा तो सरकार को रैवेन्यू कहां से आएगा? श्री मग्गू ने कहा कि सबसे हास्यास्पद बात यह है कि जहां रबड़ चप्पल पर जी.एस.टी. की दर 5 प्रतिशत है, वहीं स्ट्रैप और सोल पर जी.एस.टी. 18 प्रतिशत है। इस कारण जो कारखाने सिर्फ स्ट्रैप और सोल बनाते हैं, वे संकट में घिर गए हैं। श्री मग्गू ने कहा कि आज हर प्रक्रिया ऑनलाइन हो रही है परन्तु सी-फार्मों को हार्ड पेपर में न जाने क्यों रखा गया है। व्यापारियों का 50-50 लाख रुपए का रिफंड सरकार की ओर पड़ा है, जिस कारण व्यापार जगत की कमर टूट चुकी है। 

केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाना चाहिए : एडवोकेट चावला
रबड़ उद्योग की ए.जी.एम. दौरान एडवोकेट नरेश चावला विशेष रूप से उपस्थित हुए जिन्होंने जी.एस.टी. बारे महत्वपूर्ण टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि इनपुट टैक्स क्रैडिट व्यापारियों के लिए करंसी हुआ करता था परन्तु फर्जीवाड़े ने सारा काम खराब कर दिया। एडवोकेट चावला ने कहा कि व्यापार जगत जी.एस.टी. के लिए तैयार नहीं था, लेकिन इसे लागू करने में जल्दबाजी की गई जिस कारण सारा काम खराब हुआ। उन्होंने कारोबारियों को सुझाव दिया कि वे केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाएं क्योंकि ज्यादातर फैसले केंद्र ने ही लेने हैं। पंजाब सरकार के वित्त विभाग तक भी पहुंच की जानी चाहिए ताकि वैट रिफंड जारी हो सके।

प्रधानमंत्री ने बुलाई बैठक
ए.जी.एम. दौरान गुरशरण सिंह ने बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली बिल्कुल फ्लॉप साबित हुए हैं इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार जी.एस.टी. मामले पर कारोबारी जगत की बैठक बुलाई है जिसमें जालन्धर के 4 प्रतिनिधि जाएंगे। 3 प्रतिनिधियों का चयन कर लिया गया है। चौथा प्रतिनिधि रबड़ उद्योग से लिया जाएगा। 


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