शिरोमणि कमेटी की स्थापना के लिए किया गया संघर्ष पंथक जज्बे का प्रतीक : प्रो. बडूंगर

punjabkesari.in Friday, Nov 17, 2017 - 07:55 AM (IST)

अमृतसर(ममता): शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की स्थापना गुरु-घरों का प्रबंध महंतों के हाथों में से निकल कर संगतों के हाथों में आने का वह सफर है, जिसे तय करने में सिख पंथ को अनेक शहादतें देनी पड़ीं। खालसा पंथ की इस शानदार संस्था की स्थापना के लिए किया गया संघर्ष जहां राष्ट्रीय जज्बे का प्रतीक है, वहीं गुरू घरों प्रति सच्ची श्रद्धा और समर्पण की मिसाल भी है। ये विचार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर ने इसके स्थापना दिवस को समॢपत तेजा सिंह समुद्री हाल में आयोजित समागम में संबोधित करते व्यक्त किए।

प्रो. बडूंगर ने कहा कि शिरोमणि कमेटी के अस्तित्व में आने से पहले चरित्रहीन महंतों की ओर से गुरू घरों में की जातीं मनमानियों के खात्मे के लिए गुरुद्वारा प्रबंध सुधार लहर के अंतर्गत सिखों ने कड़ा संघर्ष किया। इसमें से महान संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का जन्म हुआ। खालसा पंथ की इस ऐतिहासिक संस्था ने कौम को संगठित करने में अहम भूमिका निभाई। बेशक इस के अस्तित्व को खत्म करने और इस पर कब्जा करने की नीयत से अलग-अलग समय पंथ विरोधी शक्तियों ने हमले किए, लेकिन सिख कौम ने हर तरह के हमलों का दृढ़ता और दिलेरी से मुकाबला किया और इस की शान को कायम रखा।

उन्होंने शिरोमणि कमेटी के मुलाजिमों के कामों का वर्णन करते कहा कि इस का हर कर्मचारी अपने-अपने जिम्मे लगी सेवा के साथ-साथ पंथक मर्यादा का प्रचार भी कर रहा है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के उपस्थित अधिकारियों और सदस्यों को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह, शिरोमणि कमेटी प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर, श्री हरिमंदिर साहिब के अधिक मुख्य ग्रंथी सिंह साहिब ज्ञानी जगतार सिंह ने सिरोपे बख्शीश किए। इस दौरान शिरोमणि कमेटी के पूर्व सचिव तरलोचन सिंह, पूर्व मैनेजर रमिन्दरबीर सिंह और पूर्व सेवक भाई किरपाल सिंह को लोई, सिरोपा और यादगारी चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

इससे पहले श्री अखंड पाठ साहिब के भोग उपरांत भाई कुलदीप सिंह के रागी जत्थों ने गुरबाणी कीर्तन किया और अरदास उपरांत श्री हरिमंदिर साहिब के अतिरिक्त मुख्य ग्रंथी सिंह साहब ज्ञानी जगतार सिंह ने पवित्र हुक्मनामा श्रवण करवाया। इस दौरान स्थापना दिवस को समर्पित श्री अकाल तख्त साहिब में भी हर साल की तरह श्री अखंड पाठ साहिब के भोग डाले गए। 


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