दिल्ली के साथ पंजाब को भी स्वच्छ हवा की जरूरत

punjabkesari.in Monday, Nov 13, 2017 - 04:44 AM (IST)

जालंधर/अमृतसर(सोमनाथ कैंथ/दलजीत): दिल्ली की तरह पंजाब की आबोहवा जानलेवा हो गई है। बीती शाम जालंधर का एयर क्वालिटी इंडैक्स 704 तक पहुंच गया था जो रविवार शाम 7.10 बजे 513 काऊंट किया गया। 

हालत ऐसी है कि स्मॉग की वजह से थोड़ी दूर तक देखना मुश्किल हो रहा है। इसके साथ ही सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है। मौसम विभाग का कहना है कि यह स्मॉग है जो प्रदूषण की वजह से है। नमी से लैस प्रदूषकों से पैदा हुई धुंध की चादर (स्मॉग) ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) ने कहा कि हवा में नमी का बढ़ा हुआ स्तर स्थानीय स्रोतों से होने वाले उत्सर्जन से मिल गया है और हवा नहीं बहने के कारण इसने शहर को अपनी चपेट में ले लिया है। यही नहीं, वायु प्रदूषण के चलते ही दिल्ली और पंजाब सरकार को स्कूलों में बच्चों को छुट्टियां तक करनी पड़ी हैं। 

जालंधर में 3 गुना तक बढ़े चैस्ट पेशैंट
वायु प्रदूषण के चलते जालंधर में सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। खासकर दमा और दिल के रोगियों के लिए तो यह और भी घातक है। ई.एस.आई. अस्पताल जालंधर के एम.डी. चैस्ट स्पैशलिस्ट डा. नरेश बठला से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि स्मॉग के कारण 3 गुना तक ज्यादा मरीज बढ़ गए हैं। 

उन्होंने बताया कि खासकर अस्थमा या एलर्जी वाले मरीजों के फेफड़े सैंसटिव होते हैं क्योंकि इनके फेफड़ों में जल्द सोजिश आ जाती है जिस कारण वे सांस अंदर तो ले जाते हैं लेकर सांस बाहर निकालने में इन लोगों को दिक्कत आती है। ऐसी परिस्थिति में इन लोगों को 2 तरह के इनहेलर लेने पड़ते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कई बार मरीज को ऑक्सीजन देने के साथ-साथ नेब्यूलाइज करना पड़ता है। अस्पताल में पहले से ज्यादा छाती रोगों के मरीज दाखिल हैं। 

दमे के मरीजों को आ रहे अटैक 
स्मॉग के कारण जो मरीज पहले दमे की बीमारी से पीड़ित थे, उनमेंदोबारा दमे की शिकायत पहले की अपेक्षा बढ़ रही है और ज्यादातर मामलों में उनको सांस लेने संबंधित दिक्कत व अटैक आ रहे हैं। बच्चे और बुजुर्गों की संख्या अस्पताल में आने वाले मरीजों से काफी ज्यादा है। 

नाडिय़ों में आ जाती है सूजन
स्मॉग के कारण मरीजों को सांस लेने में तकलीफ के अलावा जुकाम, आंखों में जलन, फेफड़ों की बीमारी, एलर्जी आदि होने का खतरा होता है। हवा द्वारा स्मॉग मरीजों को मुंह, नाक द्वारा शरीर में जाकर नाडिय़ों में सूजन पैदा करती है और नाडिय़ों में सूजन कारण मरीजों को सांस लेने में तकलीफ ज्यादा होती है। 

बारिश या तेज हवाओं से मिलेगी स्मॉग से निजात 
स्मॉग का प्रभाव तब तक बना रहेगा जब तक तेज हवाएं इस को उड़ा कर न लेने जाएं या बारिश द्वारा यह खत्म न हो जाए। गांवों का वातावरण खुला होने के कारण ज्यादातर स्मॉग शहरी क्षेत्र में अपना प्रभाव दिखाती है। अब तो परमात्मा ही मानव द्वारा पैदा की स्मॉग को खत्म करने के लिए यत्नशील हो नहीं तो मानव ही मानव का दुश्मन बनकर अपने पैर पर आप कुल्हाड़ी मार रहा है।

पंजाब और हरियाणा चुका रहा कीमत, दिल्ली छोडऩे को मजबूर हुए लोग 
पराली जलाने से वायु प्रदूषण की समस्या तो बढ़ी ही है साथ में पंजाब और हरियाणा के लोगों को इसकी कीमत कीमतीं जानें खो कर चुकानी पड़ रही है। बीते दो दिनों में कई लोगों की स्मॉग की वजह से हुए हादसों में जान जा चुकी है। फरीदकोट-फाजिल्का रोड पर बीते दिनों स्मॉग की वजह से पैदा हुआ लो विजीबिलिटी के कारण हुए हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई और 22 अन्य लोग घायल हो गए। यह हादसा मंगलवार को स्मॉग की वजह से विजीबिलिटी कम होने के कारण हुआ। हालांकि पंजाब सरकार दावा कर रही है कि पराली जलाने के 30 फीसदी कम केस हुए हैं। मगर पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का डाटा बता रहा है कि धान सीजन के दौरान पराली जलाने के 3000 केस रिकार्ड हुए हैं। 

सरकार पैदा करे सांस लेने वाला वातावरण 
दिल्ली के व्यवसायी सुखबीर शेरगिल (61) को इस कारण दिल्ली छोड़ कर चंडीगढ़ आना पड़ा क्योंकि स्मॉग के कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उन्होंने बताया कि बीते महीने जब वह दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे तो उन्हें छाती में जकडऩ के साथ-साथ सांस लेने में परेशानी उठानी पड़ी। यही नहीं, जब उन्होंने अपने मैडीकल टैस्ट करवाए तो उन्हें बायोप्सी प्रक्रिया तक से गुजरना पड़ा। उन्होंने बताया कि वह अब चंडीगढ़ आ गए हैं और फिलहाल उनकी दोबारा दिल्ली जाने की इच्छा नहीं है। व्यवसायी शेरगिल का कहना है कि सरकार को स्वच्छ भारत अभियान के साथ-साथ दिल्ली में सांस लेने वाला वातावरण भी तैयार करना चाहिए क्योंकि दिल्ली गैसों का चैंबर बन गई है। 

वहीं सर गंगा राम अस्पताल के डा. अरविंद कुमार ने बताया कि सुखबीर शेरगिल को सांस लेने जैसी पहले कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन इन दिनों हवा जहरीली होने के कारण ऐसी समस्या आई है। उन्होंने कहा कि हवा इतनी खतरनाक हो चुकी है कि उन्हें 2 बार अटैक आ चुका है। राजधानी में यह एक एमरजैंसी जैसी परिस्थिति है जिस कारण सरकार को स्कूल तक बंद करने पड़े। 

उन्होंने कहा कि जहरीली होती हवा को देखते हुए किसानों के पराली जलाने पर तुरंत रोक लगानी चाहिए। इसी तरह 35 वर्षीय रेशमा को वायु प्रदूषण बढऩे से सांस लेने में दिक्कत आने पर सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। 2 साल पहले उसकी लंग्स सर्जरी हुई थी और तब से वह स्वस्थ थी लेकिन दीवाली पर बड़े वायु प्रदूषण के कारण उसे पूरी तरह बोलने में भी दिक्कत आने लगी थी। कुछ सप्ताह अस्पताल में इलाज के बाद उसे गोरखपुर शिफ्ट होना पड़ा। डा. कुमार ने बताया कि लोगों को वायु प्रदूषण के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। 

वायु प्रदूषण से जुड़ीं कुछ और बीमारियां
वायु प्रदूषण के कारण केवल सांस लेने में ही दिक्कत नहीं हो रही है, इसके साथ कई और बीमारियां भी बढ़ रही हैं। जैसे ब्लड प्रैशर का बढऩा, शूगर और मोटापा आदि भी इससे जुड़े हुए हैं। वायु प्रदूषण का सीधा असर रक्त पर पडऩे से ये रोग हो रहे हैं। 


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