रोजी देने वाली फैक्टरी ही निगल गई कइयों के घर की रोटी कमाने वाले चिराग

punjabkesari.in Wednesday, Feb 21, 2018 - 10:53 AM (IST)

राजपुरा(चावला): फूड प्रोसैसिंग फैक्टरी में हुए हादसे ने कई लोगों के घर के चिराग छीन लिए। पहले से ही गरीबी की मार झेल रहे 3 परिवारों का पहले ही मुश्किल से गुजारा चलता था, अब भगवान ने इनका वह सहारा भी छीन लिया। 

बीमार पिता और 2 छोटे बच्चों का आखिरी सहारा था सुरिंदर कुमार 
फैक्टरी में हुए हादसे ने इस परिवार को ही उजाड़ दिया है। पंडित परिवार से सम्बन्ध रखने व गांव शोगलपुर घनौर में रहने वाला सुरिंदर कुमार अपने परिवार जिसमें उसका बूढ़ा और बीमार पिता व 2 छोटे बेटे जिनकी उम्र 14-16 साल के बीच है के साथ गांव के 50 गज के छोटे से मकान में रहता था।

मात्र 6,000 के करीब कमाने वाले सुरिंदर कुमार के रिश्ते में भाई लगते अवनीश कुमार ने बताया कि उसका भाई अपने परिवार से अलग से रहता है और बीमार बाप व बच्चों के साथ इसका गुजर बड़ी मुश्किल से चलता है, पर इस हादसे में हुई इसकी मौत से तो सारा परिवार ही उजड़ गया है।  अवनीश ने बताया कि इस हादसे में हुई मौत की खबर से इसके पिता की हालत और भी बिगड़ गई है और उन्हें लगता नहीं की इस सदमे के कारण वह ज्यादा दिन जी पाएगा। अब तो सरकार से यही उम्मीद है की इनके बच्चों को कोई नौकरी लगवा दे ताकि वे अपनी रोटी कमाने लायक बन सकें।

बलबीर के एक बेटे का पहले ही हाथ कट गया था, अब दूसरे बेटे चरनजीत को फैक्टरी ने निगल लिया 
बघौरा गांव के एक छोटे से कच्चे मकान में रहने वाले परिवार का मुखिया बलबीर सिंह दिहाड़ी-मजदूरी का काम करता है और उसकी पत्नी दर्शन रानी घर चलाती है। राजपुरा के सिविल अस्पताल में अपने बेटे का शव लेने पहुंचे परिवार का दुख देखा नहीं जा रहा था। चरनजीत की मां ने बताया कि उनका बड़ा बेटा गुरजंट सिंह (24) पहले ही टोका मशीन से हाथ कटने कारण आपाहिज की जिंदगी जी रहा है और अब छोटे बेटे चरनजीत सिंह को इस फैक्टरी ने निगल लिया है। चरनजीत के जाने से तो अब जीने का सहारा भी छिन गया है पता नहीं पिछले जन्म में क्या पाप किए थे कि परमात्मा ने उन्हें यह सजा दी है।

पहले दिन ही काम पर गया था गुरजिंदर सिंह 
गुरजिंदर सिंह के परिवार को बड़ी उम्मीद थी की अच्छे दिन आएंगे पर परमात्मा को शायद इनकी खुशी मंजूर नहीं थी। गुरजिंदर सिंह पहले दिन ही काम पर गया था। माता बलजिंदर कौर व पिता जसपाल सिंह का अपने बेटे का शव देखकर बुरा हाल था। बलजिंदर कौर ने बताया कि उसका बड़ा बेटा दलबीर सिंह (21) दिहाड़ी का काम करता था। पिछले साल बन रहे मकान का लैंटर गिरने से उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी जो तब से ही बिस्तर पर है। जसपाल सिंह दिहाड़ी पर मजदूरी कर अपने परिवार का पेट बड़ी मुश्किल से पाल पाता है।

गुरजिंदर सिंह पहले घनौर में परचून की दुकान पर नौकरी करता था पर पहले से इस फैक्टरी में काम कर रहे अपने दोस्तों को देखकर वह भी कुछ अधिक पैसों के लालच में इस फैक्टरी में काम करने की जिद करने लगा। वह माता-पिता के मना करने के बावजूद कल पहले दिन ही रात की ड्यूटी करने गया था। परिवार को उम्मीद थी कि वह उनका सहारा बनकर परिवार कि खुशियां वापस लाएगा पर परमात्मा को कुछ और ही मंजूर था। मां ने बिलखते हुए बताया कि शायद उनके भाग्य में परमात्मा ने खुशियों की रेखाएं ही नहीं बनाई, जो उसने उनकी आखिरी उम्मीद को भी छीन लिया है।


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