सिविल सर्जन ने कहा-बच्चे के गुप्तांग में नहीं डाला पैट्रोल

punjabkesari.in Friday, Dec 15, 2017 - 11:47 AM (IST)

 बठिंडा (बलविंद्र): नाबालिग पर हुए अमानवीय अत्याचार के मामले में डाक्टरों की टीम का कहना है कि बच्चे के गुप्तांग में पैट्रोल नहीं डाला गया, जबकि बच्चे की मां ने मैडीकल जांच को महज खानापूर्ति करार दिया है। गौरतलब है कि पूर्व गायिका अमनदीप कौर ने आरोप लगाया था कि उसके नाबालिग बच्चे लखविंद्र सिंह को माता रानी गली में कुछ व्यक्तियों ने चोरी का आरोप लगाकर पकड़ लिया, जिसकी बुरी तरह मारपीट की गई और थाना कोतवाली पुलिस के हवाले भी कर दिया गया। जहां पुलिस द्वारा न सिर्फ उसकी मारपीट की गई बल्कि उसके गुप्तांग में कीप लगाकर पैट्रोल भी डाला गया। इस संबंधी एस.एस.पी. बठिंडा नवीन सिंगला ने संबंधित सहायक थानेदार कुलविंद्र सिंह को निलंबित कर उसके खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया, जबकि थाना प्रभारी व एक अन्य सहायक थानेदार लाइन हाजिर कर दिया। इसके अलावा नाबालिग की अवैध मारपीट के आरोपों के तहत माता रानी गली के दविंद्र सिंह व कुछ अज्ञात व्यक्तियों को भी नामजद किया गया है। इस मामले को गंभीरता से देखते हुए बाल सुरक्षा कमीशन ने सभी पक्षों को तलब किया, जिसके बाद दोबारा मैडीकल करने व वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से जांच करवाने के आदेश दिए। 

मैडीकल रिपोर्ट में पैट्रोल के सबूत नहीं मिले : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डा. एच.एन. सिंह द्वारा जारी मैडीकल रिपोर्ट के अनुसार सरकारी अस्पताल के & माहिर डाक्टरों की एक टीम ने बच्चे का दोबारा मैडीकल निरीक्षण किया। रिपोर्ट में ब"ो को लगी सिर्फ 7 चोटों का ही पता चल सका। डाक्टरों के मुताबिक ऐसा कोई भी सबूत सामने नहीं आया, जिससे बच्चे के गुप्तांग में पैट्रोल डाले होने की पुष्टि हो सके। यह रिपोर्ट कमीशन के अलावा पुलिस विभाग व बच्चे के परिजनों को भी सौंपी गई है। दूसरी तरफ प्राइवेट डाक्टर का कहना है कि बच्चे का मैडीकल निरीक्षण 24 घंटों में हो जाना चाहिए था, जबकि 48 घंटों तक सही रिपोर्ट आने की संभावना थी।


अमनदीप कौर ने 10 दिन बाद हुई मैडीकल जांच के लिए पुलिस अधिकारी व डाक्टरों को ठहराया जिम्मेदार
बच्चे की मां अमनदीप कौर का कहना है कि अब मैडीकल जांच सिर्फ खानापूर्ति है, क्योंकि जो जांच 24 घंटों के अंदर होनी चाहिए थी वह 10 दिनों बाद की जा रही है। इसके लिए पुलिस अधिकारी ही नहीं, डाक्टर भी जिम्मेदार हैं। क्योंकि पहले 36 घंटों तक बच्चे को थाने में रखा गया। उसके बाद डाक्टरों ने भी जांच नहीं की। उन्होंने सरकार से मांग की है कि पुलिस के उ‘च अधिकारियों व जिम्मेदार डाक्टरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। 

मामले की जांच के लिए एस.आई.टी. बनाई : एस.एस.पी.
एस.एस.पी. नवीन सिंगला ने बताया कि मैडीकल रिपोर्ट में पैट्रोल वाली कोई बात सामने नहीं आई। अब इस मामले की गहराई से जांच करने के लिए बाल सुरक्षा कमीशन के निर्देशों अनुसार एक एस.आई.टी. बनाई गई है, जिसमें एस.पी. सिटी गुरमीत सिंह, डी.एस.पी. सिटी दविंद्र सिंह व डी.एस.पी. (एच) सुरिंद्र कुमार को शामिल किया गया है। मामले की हर पक्ष से जांच की जाएगी ताकि कोई भी आरोपी बच न सके। 
 


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