अमरेन्द्र सरकार संवेदनशील जेलों को करेगी CISF के हवाले

punjabkesari.in Wednesday, Aug 09, 2017 - 05:08 PM (IST)

जालन्धर  (धवन): पंजाब में जेलों की सुरक्षा हेतु अर्धसैनिक बलों को विशेष प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया गया है। राज्य पुलिस के आलाधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा जेलों में बंद गैंगस्टर्स व अन्य खूंखार अपराधियों की उपस्थिति को देखते हुए जेलों की सुरक्षा सी.आई.एस.एफ. के हवाले करने का निर्णय लिया गया था। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने आला पुलिस अधिकारियों को विशेष तौर पर दिशा-निर्देश जारी किए थे। जेलों की सुरक्षा को यकीनी बनाना इसलिए भी जरूरी हो गया था क्योंकि पिछले समय में राज्य की हाई सिक्योरिटी नाभा जेल से कुछ गैंगस्टर्स फरार हो गए थे जिसमें एक आतंकी भी शामिल था। चाहे फरार गैंगस्टर्स में से कईयों को पुन: गिरफ्तार कर लिया गया है परन्तु फिर भी जेलों की सुरक्षा पर सवालिया निशान  खड़ा हो गया है। 

 

कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर सी.आई.एस.एफ. की 2 बटालियन जेलों की सुरक्षा के लिए भेजने की गुहार लगाई थी। उनके बाद डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा तथा गृह सचिव एन.एस. कलसी ने भी यह मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय के सामने उठाया। राज्य में सी.आई.एस.एफ. को भेजने में इसलिए देरी हो रही है क्योंकि उनके जवानों को जेलों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना है। जैसे ही प्रशिक्षण का यह कार्य पूरा होगा तो बटालियनों को पंजाब भेज दिया जाएगा। सी.आई.एस.एफ. के हाथों जेलों की सुरक्षा की कमान आने के बाद जेलों में बंद कैदियों तक न तो नशा पहुंच सकेगा और न ही उनके फरार होने की कोई संभावना शेष बचेगी। 

 

पंजाब में केंद्र से सी.आई.एस.एफ. की दो कंपनियां मांगी है जिसके बदले पंजाब इंडियन रिजर्व बटालियन की दो कंपनियां ग्रह मंत्रालय को देगा। राज्य पुलिस सी.आई.एफ. मिलने के बाद राज्य की कुछ संवेदनशील जेलों को सी.आई.एस.एफ. के हवाले करेगा। ऐसे संवेदनशील जेलों की सूची तैयार की गई है जहां पर खूंखार गैंगस्टर तथा अपराधी बंद हैं। सी.आई.एस.एफ. को इसलिए बुलाया जा रहा है ताकि वह जेल विभाग के कुछ कर्मियों की कथित तौर पर गैंगस्टर के साथ मिलीभगत को भी तोड़ सकें क्योंकि ऐसी बातें पता चली थी कि कुछ जेल कर्मियों की अंदरखाते इन अपराधिक तत्बों के साथ सांठ-गांठ है। जेलों के अंदर अपराधी ऐश्वर्यशाली जीवन जीते हैं। इसलिए इन पर पूरी तरह से रोक के लिए केंद्रीय एजैंसी कारगर साबित हो सकती है। 
 


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