आठ माह में वजन हुआ 16 किलो,अपनी बच्ची के इलाज को लेकर चिंतित है पेरेंट्स

punjabkesari.in Thursday, Apr 27, 2017 - 12:31 PM (IST)

अमृतसरः अपनी उम्र से ज्यादा वजन को लेकर सुर्खियों में अाई   आठ महीने की बच्ची चाहत को  राहत नहीं मिल पाई है। परिजन 16 किलो वजनी इस बच्ची को उपचार के लिए चंडीगढ़ पी.जी.आई. ले गए थे। चाहत को गोद में उठाकर उसका पिता सूरज विभिन्न विभागों का चक्कर लगाता रहा, लेकिन इलाज न होने से उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। बच्ची का वजन अप्रत्याशित ढंग से लगातार बढ़ रहा है। परिजनाें को अब कोई राह नहीं सूझ रही है। 

सूरज ने बताया कि वह चाहत का उपचार अमृतसर के सरकारी अस्पताल से करवाने की कोशिश करते रहे, लेकिन डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि पी.जी.आई. के अतिरिक्त पंजाब के किसी भी सरकारी अस्पताल में इसका उपचार नहीं हो सकता।

केबल की दुकान पर काम करने वाले सूरज ने बताया कि पैसों का जुगाड़ कर चाहत को लेकर पी.जी.आई पहुंच तो गया, पर वहां मरीजों की भीड़ में वह परेशान हो गया।अस्पताल के सभी वार्डों के चक्कर लगाए। वहां डॉक्टर व स्टाफ उसे इधर से उधर दौड़ाते रहे। चाहत को उठाकर पूरे अस्पताल की परिक्रमा कर डाली,लेकिन बच्‍ची को इलाज नहीं मिला। अंतत: थक-हार कर घर लौट आया।

सूरज ने बताया कि उसकी बेटी का वजन दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। वह पूरा दिन हांफती रहती है। पंजाब सरकार उसकी पुकार सुने और बच्ची के उपचार की व्यवस्था करे। सूरज ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह चाहत का इलाज करवाने में असमर्थ हैं। जितने पैसे थे, वे चाहत के टेस्टों व पी.जी.आई. आने-जाने में खर्च हो गए।

अमृतसर शहर के जौड़ा फाटक क्षेत्र निवासी सूरज की बेटी चाहत जब तीन महीने की थी, तभी उसका वजन अप्रत्याशित ढंग से बढ़ने लगा। वह केवल मां का दूध पीती है। ज्यादा वजन के कारण वह चर्चा का विषय बनी हुई है। चाहत की बीमारी है की जांच भी मुश्किल हो गई है। वजन बढ़ने के कारण की जांच के लिए अमृतसर के सरकारी अस्पताल में उसका रक्त का नमूना लेने की कोशिश की गई, लेकिन मोटी चमड़ी में इंजैक्शन पहुंच नहीं पाया। चाहत की मां रानो ने बताया कि जन्म के समय वह बिलकुल सामान्य थी। जैसे-जैसे दिन गुजरते गए चाहत का वजन अप्रत्याशित ढंग से बढऩे लगा। 

बच्‍ची को मिलेगा उपचार : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. प्रदीप चावला ने कहा कि बच्ची की बीमारी का डायग्नोस होने के बाद ही उपचार हो सकता है। उसके परिजन मिलें। बच्ची का सारा रिकॉर्ड ले आएं। वह अपने स्तर पर बच्ची का उपचार करवाने का प्रयास करेंगे। पांच साल तक की बेटियों का उपचार राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत निःशुल्क होता है। इसमें 30 प्रकार की बीमारियां कवर होती हैं। चाहत को किस श्रेणी का रोग है, यह जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। वह इस परिवार की पूरी सहायता करेंगे।
 


 


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