भटिंडा के आवारा कुत्तों के ‘कातिल’ यू.पी. और नेपाल से !

punjabkesari.in Monday, Oct 16, 2017 - 04:18 PM (IST)

भटिंडा: शहर के आवारा कुत्ते अक्सर मर जाते हैं, जिनके ‘कातिल’ यहां नहीं बल्कि यू.पी. और नेपाल से संबंधित हैं, जिनको नगर निगम ने बकायदा नसबंदी का ठेका दिया हुआ है। मेयर ने कहा कि वह इस मामले को गंभीरता से लेंगे। यह मामला पशु प्रेमी और आवारा पशुओं का इलाज करने के माहिर टेक चंद ने उजागर किया है। 

क्या है मामला
नगर निगम भटिंडा की सीमा में आवार पशुओं की गिनती लगातार बढ़ रही है। ये कुत्ते अक्सर लोगों पर हमला कर देते हैं, जिस कारण आम लोगों को भारी परेशानी हो रही थी। और तो और आवारा कुत्ते मेयर बलवंत राय नाथ और एस.एस.पी. नवीन सिंगला पर भी हमला कर चुके हैं। परेशानी बने इन कुत्तों की पैदावार रोकने के लिए निगम ने यू.पी. के ठेकेदार अरुण शर्मा व अन्य को ठेका दिया है कि वह शहर के आवारा कुत्तों को पकड़ कर ऑप्रेशन के जरिए उनकी नसबंदी करेंगे। एक कुत्ते की नसबंदी के बदले निगम ने ठेकेदार को 690 रुपए देने हैं। आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए बनी टीमों में डाक्टर व कम्पाऊंडरों के अलावा कुत्ते पकडऩे वाले भी हैं जोकि नेपाल से संबंधित हैं। 

रोजाना मर जाते हैं आधा दर्जन कुत्ते
सितम्बर 2017 से शुरू हुई इस मुहिम के तहत अब तक करीब 650 कुत्तों को पकड़ा गया है और उनकी नसबंदी की गई। पहली बात तो यह कि जहां कुत्तों को उठाया जाता है, नसबंदी के बाद उनको उसी जगह पर नहीं, बल्कि शहर में कहीं भी छोड़ दिया जाता है। इसके अलावा यह भी सच है कि ऑप्रेशन से करीब आधा दर्जन कुत्ते रोजाना मर जाते हैं। कुत्तों की मौत का हिसाब लेने वाला कोई नहीं, इसलिए न तो निगम और न ही जिला प्रशासन द्वारा इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। पशु प्रेमी टेकचंद का कहना है कि कोई शक नहीं कि कुत्तों की नसबंदी भी आम वर्करों द्वारा ही की जाती है और डाक्टर का सिर्फ नाम ही प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा कुत्तों को रखने में भी लापरवाही बरती जा रही है, छोटे कुत्तों को बड़े कुत्तों के पिंजरे में रखा जा रहा है जिस कारण बहुत सारे छोटे कुत्ते दहशत से ही मर जाते हैं। 


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