कटाई वाली कम्बाइनों के साथ लगाया जाए ‘सुपर स्ट्रॉ मैनेजमैंट सिस्टम’

punjabkesari.in Tuesday, Nov 14, 2017 - 09:33 AM (IST)

चंडीगढ़  (हि.): उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्रों में स्मॉग के बढ़े प्रकोप से ङ्क्षचतित कृषि विशेषज्ञ व अधिकारी अगले कृषि सत्र में धान की पराली का प्रभावी ढंग से निपटान करने बारे आशावादी हैं। कृषि विशेषज्ञों ने पराली जलाने से रोकने के उपाय सुझाए हैं। इसके तहत उन्होंने कटाई वाली कम्बाइनों के साथ ‘सुपर स्ट्रा मैनेजमैंट सिस्टम’ लगाने पर जोर दिया है।


इस संबंधी हाल ही में लुधियाना आधारित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पी.ए.यू.) में कृषि विशेषज्ञों, अग्रणी किसानों तथा अधिकारियों की एक बैठक हुई। बैठक में इस वर्ष पराली जलाने की वजह से पैदा हुई समस्याओं पर चर्चा करते हुए अगले साल के लिए सबक लेने पर चर्चा की गई।


इस दौरान पी.ए.यू. के वाइस चांसलर डा. बी.एस. ढिल्लों ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र व कृषि विभाग के अधिकारियों को सुझाव दिया गया है कि कैम्प लगाकर किसानों को सुपर स्ट्रा मैनेजमैंट सिस्टम प्रयोग करने बारे जागरूक किया जाए। उल्लेखनीय है कि पी.ए.यू. ने वर्ष 2016 में सुपर स्ट्रा मैनेजमैंट सिस्टम (सुपर एस.एम.एस.) विकसित किया था। 

 

बिगड़ सकता है पर्यावरण का संतुलन : डा. सिद्धू
बैठक में शामिल वैज्ञानिकों व अग्रणी किसानों ने इस बात पर जोर दिया कि कटाई वाली कम्बाइनों के साथ सुपर स्ट्रॉ मैनेजमैंट सिस्टम को लगाना आवश्यक किया जाए। पराली जलाने पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया जाए। 
साऊथ एशिया की बोरलाग संस्था से आए डॉ. एस.एच. सिद्धू ने कहा कि पराली को खेतों में मिलाना बेहतर होगा, वर्ना भविष्य में पर्यावरण का संतुलन बिगड़ सकता है। उन्होंने कहा कि धान की सुपर स्ट्रॉ मैनेजमैंट सिस्टम वाली कम्बाइन के साथ कटाई के बाद गेहूं की सीधी बिजाई के लिए हैप्पी सीडर बहुत ही बेहतरीन तकनीक है।

   


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