गेंहूं की फसल पर BSF की तीखी नजर

punjabkesari.in Friday, Mar 24, 2017 - 09:04 AM (IST)

अमृतसर (नीरज): भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री जी द्वारा दिया ‘जय जवान, जय किसान’ नारा आज भी बार्डर पर बी.एस.एफ. व फैंसिंग के पार खेती करने वाले किसानों के आपसी तालमेल में उजागर होता है। चाहे फैंसिंग पार का इलाका हो या फिर फैंसिंग के इधर का इलाका, हर तरफ गेहूं की फसल खड़ी हुई है और कटाई का दौर भी जल्द शुरू होने वाला है। इन हालात में फैंसिंग के पार खेती करने वाले किसानों को बी.एस.एफ. पूरा सहयोग दे रही है। बी.एस.एफ. के जवानों की कड़ी निगरानी में किसान कंबाइन के जरिए फसल काटते हैं और बी.एस.एफ. के सहयोग से पूरी तरह खुश हैं।

हालांकि कुछ समय पहले हैरोइन की खेप सहित कई किसानों के पकड़े जाने के बाद सीमावर्ती इलाकों के किसान शॄमदा हुए, लेकिन यह माना जाता है कि हर विभाग में कोई न कोई काली भेड़ जरूर होती है। फैंसिंग पार खेती के मामले पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि 99 प्रतिशत किसान खेती करने के नजरिए से फैंसिंग के पार जाते हैं और सिर्फ 1 प्रतिशत या इससे भी कम किसान ही पाकिस्तानी तस्करों की मदद करते हैं, फिलहाल सुरक्षा एजैंसियां पूरी तरह से अलर्ट हैं और ऐसे किसानों पर नजर रखे हुए हैं। गेहूं की कटाई का समय शुरू होने वाला है, बी.एस.एफ. फैंसिंग के पार खेती करने वाले किसानों को पूरा सहयोग दे रही है। फैंसिंग के पार खेती करने वाले किसानों के बकायदा पास बनाए जाते हैं, इनको चैक करवाने के बाद ही किसान फैंसिंग के पार जा सकते हैं। फैंसिंग का गेट पार करते समय 2 बार किसानों की चैकिंग की जाती है, वहीं बी.एस.एफ. के जवान फैंसिंग के पार गेहूं की फसल पर तीखी नजर रखे हुए हैं।

खड़ी फसल की आड़ लेते हैं तस्कर
पठानकोट व दीनानगर में आतंकवादी हमलों के बाद बी.एस.एफ. सभी संवेदनशील चौकियों व क्षेत्रों में सख्त चौकसी बरत रही है, लेकिन फैंसिंग के दोनों तरफ खड़ी गेहूं की फसल बार्डर पर गश्त करने वाले जवानों के लिए चुनौती है। खड़ी फसल की आड़ में तस्कर हैरोइन की खेप इधर-उधर करने का प्रयास करते हैं, लेकिन बी.एस.एफ. के जांबाज तस्करों को पूरी तरह से नाकाम कर रहे हैं। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि एक महीने के दौरान पाकिस्तानी तस्करों ने हैरोइन की खेप डिलीवर करने के कई प्रयास किए, लेकिन सभी प्रयास विफल कर दिए गए। विशेष बात यह है कि हर बार तस्करों ने हैरोइन भेजने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए। वर्ष 2016 के इसी महीने में पहला प्रयास 20 मार्च को बी.ओ.पी. फताहपुर में किया गया, जिसमें तार के पार खेती करने वाले किसान सोनू व उसके साथी रांझा ने एक बेरी के पेड़ के नीचे दबी 4 किलो हैरोइन व हथियारों की खेप को निकालने का प्रयास किया। पाकिस्तानी तस्करों ने रात में बेरी के पेड़ के नीचे यह हैरोइन छुपा दी थी। दिन में सोनू व रांझा खेती के बहाने खेप निकालने गए, लेकिन पकड़े गए। यह प्रयास भी पाकिस्तानी तस्कर इसलिए कर पाए क्योंकि गेहूं की फसल खड़ी हुई है।

दूसरा प्रयास बी.ओ.पी. उदरधारीवाल में पाकिस्तानी तस्करों ने किया। इस बार दबाने की बजाय जुराबों में 3.50 किलो हैरोइन डालकर भारतीय इलाके में फैंकने का प्रयास किया गया, लेकिन यह प्रयास भी विफल कर दिया गया। यह अलग तरीका इसलिए अपनाया गया, क्योंकि बी.ओ.पी. उदरधारीवाल की फैंसिंग बार्डर व सड़क से सिर्फ 100 मीटर दूरी पर है। इस मामले में भी पुलिस ने स्थानीय गांव के 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। तीसरा प्रयास बी.ओ.पी. छन्नमुल्ला में किया गया, जिसमें तस्करों ने अपना पुराना तरीका अपनाया, लेकिन यह तरीका पूरी तरह से विफल कर दिया गया। बी.ओ.पी. बैरोपाल में तो बी.एस.एफ. व काऊंटर इंटैलीजैंस के ज्वाइंट ऑप्रेशन में न सिर्फ 9 किलो हैरोइन जब्त की गई, बल्कि 2 पाकिस्तानी तस्करों को भी बी.एस.एफ. के जवानों ने मार गिराया। यही कारण है कि अभी तक अमृतसर सैक्टर में बार्डर पर कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। 

फैंसिंग पार लैंडमाक्र्स भी बी.एस.एफ. के निशाने पर
बी.ओ.पी. फताहपुर में फैंसिंग के पार बेरी के पेड़ के नीचे से हैरोइन पकड़े जाने का मामला सामने आने के बाद बी.एस.एफ. और चौकन्नी हो गई है। इससे पहले पाकिस्तानी तस्कर रात के अंधेरे में प्लास्टिक पाइप की मदद से हैरोइन फैंकते थे, लेकिन जब पेड़ के नीचे खेप दबाने का मामला सामने आया तो बी.एस.एफ. ने पूरे अमृतसर सैक्टर जो 120 कि.मी. लंबा है, के दायरे में फैंसिंग के पार के सभी महत्वपूर्ण लैंडमाक्र्स की जांच शुरू कर दी। यह लैंड माक्र्स फैंसिंग के पार के पेड़, ट्यूबवैल व अन्य ऐसे स्थान हैं, जिनके नीचे पाकिस्तानी तस्कर हैरोइन की खेप को छुपा सकते हैं जहां भारतीय किसानों का हर रोज आना-जाना होता है।

हैरोइन के साथ हथियारों की भी डिमांड
तस्करी के मामले में यह भी सामने आया है कि भारत में काम कर रहे तस्कर हैरोइन की खेप के साथ हथियार भी मंगवा रहे हैं। बी.ओ.पी. फताहपुर में तस्करों ने 4 किलो हैरोइन के साथ एक पिस्तौल व 15 जिंदा कारतूस भी मंगवाए थे। पिस्तौल व कारतूसों को भी दो नंबर में मार्कीट में बेचा जाता है। ऐसे हथियारों के ग्राहक गैंगस्टर व अपराधी होते हैं। आज जिस प्रकार से हर वारदात में लुटेरे या फिर गैंगस्टर गोली चला देते हैं, उससे यह साबित होता है कि इन लोगों को दो नंबर में हथियार मिल रहे हैं, जो सुरक्षा एजैंसियों व पुलिस के लिए और ङ्क्षचता का विषय है। इतना ही नहीं, बी.एस.एफ. व तस्करों के बीच आए दिन होने वाली मुठभेड़ें भी साबित करती हैं कि अब तस्कर पूरी तरह से हथियारबंद होकर आते हैं। 

सैदपुर का बिल्ला अभी भी पुलिस के शिकंजे से बाहर
सोनू व रांझा को बी.ओ.पी. फताहपुर में पकड़े जाने का मामला सामने आने के बाद उक्त दोनों तस्करों ने सैदपुर के बिल्ले का नाम लिया था, लेकिन बिल्ला को अभी तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी है। बी.एस.एफ. तस्करों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर देती है, लेकिन पुलिस ऐसे मामलों की गहराई से जांच नहीं करती है।। बिल्ला के नाम का खुलासा होने के बाद पुलिस चाहती तो इस मामले में पूरी चेन पकड़ सकती थी, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया ह,ै न तो बिल्ला पकड़ा गया है और न ही बिल्ले के साथी पकड़े गए हैं।

ट्रैक्टर से लेकर बैलगाडिय़ों तक में छुपाई जा रही है हैरोइन
देशद्रोही किसान अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए खेतीबाड़ी के औजारों का भी प्रयोग कर रहे हैं। ट्रैक्टर से लेकर बैलगाडिय़ों तक में हैरोइन की खेप छुपा कर बार्डर क्रॉस करने का प्रयास कर रहे हैं। दिलबाग सिंह ने अपने ट्रैक्टर में हैरोइन की खेप छुपाई थी, जबकि एक किसान ने बैलगाड़ी के साथ लगे टायर में 5 किलो हैरोइन छुपाई रखी थी, लेकिन बी.एस.एफ. को चकमा देने में नाकाम रहे।


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