जेल के डाक्टर पर हमला करने वाले बंदियों पर केस दर्ज

punjabkesari.in Thursday, Sep 14, 2017 - 01:21 PM (IST)

लुधियाना (स्याल): जेल में डाक्टर पर कुछ बंदियों द्वारा जानलेवा हमला करने उपरांत डाक्टर के मुंह खोलते ही जेल प्रशासन हिल गया। इस खबर के बाद तुरंत हरकत में आए डी.आई.जी. (जेल) ने ताजपुर रोड स्थित सैंट्रल जेल का दौरा करके स्थिति का जायजा लिया। वहीं पीड़ित डाक्टर ने डी.आई.जी. के समक्ष जेल प्रशासन की कार्यशैली पर कई आरोप लगाए। 

उधर, ताजपुर पुलिस चौकी ने डा. स्वर्णदीप सिंह निवासी नई आबादी राहों रोड माछीवाड़ा की शिकायत पर बलजीत सिंह, विशाल, अरुण कुमार व 5-7 अन्य बंदियों पर मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। बुधवार को डी.आई.जी. (जेल) लखविंद्र सिंह जाखड़ ने आज जेल अस्पताल में पहुंचकर मामले की बारीकी से जांच की। उन्होंने डाक्टर पर जानलेवा हमला करने वाले बंदियों सहित अन्य बंदियों व कर्मचारियों से जानकारी जुटाई। जाखड़ ने पत्रकार सम्मेलन में बताया कि घायल हुए जेल के डाक्टर स्वर्णदीप सिंह ने सुपरिंटैंडैंट एस.पी. खन्ना पर किसी तरह का कोई आरोप नहीं लगाया। वहीं जाखड़ ने माना कि डा. स्वर्णदीप ने कुछ आरोप लगाए हैं परंतु उनसे लिखित में शिकायत करने के लिए कहा गया है। इसके बाद जेल अधिकारियों ने कहा कि जेल में बंदियों ने विगत में डाक्टर स्वर्णदीप के व्यवहार संबंधी असंतोष प्रकट किया था। पत्रकारों द्वारा बंदियों के असंतोष पर स्वास्थ्य विभाग में किसी तरह की शिकायत करने संबंधी पूछने पर जेल अधिकारियों ने साफ तौर पर इंकार कर दिया। जाखड़ ने कहा कि डाक्टर की लिखित शिकायत मिलने पर अगली कार्रवाई की जाएगी। 

दूसरी तरफ डा. स्वर्णदीप सिंह ने कहा कि जेल अधिकारियों द्वारा उन पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है कि वह अपनी शिकायत पर अगली कोई कार्रवाई न करें। डाक्टर ने कहा कि उनका मुद्दा यह है कि जेल के उच्चाधिकारियों की छत्रछाया में जेल के अंदर सभी अनुचित कार्य संभव हो पा रहे हैं। अत: जेल में कुप्रबंधों और अनुचित कार्यों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों को सजा मिलनी चाहिए। डाक्टर ने कहा कि जेल में बंदियों की मनोवृत्ति सुधारने के लिए जेलों को सुधारगृह का नाम दिया गया था लेकिन जेल अधिकारियों की सुस्त कार्यशैली से जेल आपराधिक अड्डों का रूप धारण करती जा रही है और जेलें अपराधियों के लिए सुरक्षित शरणस्थली का रूप धारण करती जा रही है। इस पर अतिशीघ्र अंकुश लगाते हुए दोषी अधिकारियों को माफ नहीं किया जाना चाहिए। 


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