सिख गुरुद्वारा कानून में संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती
punjabkesari.in Saturday, May 27, 2017 - 01:23 AM (IST)
चंडीगढ़(बृजेन्द्र): पिछले वर्ष केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा संसद में ‘सिख गुरुद्वारा संशोधन अधिनियम 2016’ पारित करवाया गया था जिसके द्वारा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों में लगभग 70 लाख सहजधारी सिख विगत 59 वर्षों से मिले मतदान के अधिकार से वंचित कर दिए गए थे। उस कानून को सहजधारी सिख पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. परमजीत सिंह राणू ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी है।
हाईकोर्ट ने केंद्र व पंजाब सरकार को 10 अगस्त के लिए नोटिस जारी कर दिया है। कहा गया है कि संसद के इस संशोधन के उपरांत शिरोमणि कमेटी की अपील को खारिज करते समय सर्वोच्च न्यायालय ने सहजधारी सिख पार्टी को इस संशोधन कानून के कानूनी महत्व को चुनौती देने की विशेष छूट दी थी जिसके कारण यह चुनौती दी गई है। जनहित याचिका में किए संशोधन अधिनियम 2016 को रद्द करके सहजधारी सिखों के मतदान के अधिकार को बहाल कर नए सिरे से चुनाव करवाने की मांग की गई है क्योंकि उच्च न्यायालय का निर्णय आज भी खड़ा है तथा सुप्रीमकोर्ट ने उसे रद्द नहीं किया है। उसके अनुसार 2011 की चुनी हुई शिरोमणि कमेटी रद्द मानी गई है तथा यदि यह छोड़ भी दें तो भी इसकी अवधि दिसम्बर 2016 में समाप्त हो चुकी है।