33 करोड़ का सिटी बस प्रोजैक्ट पहुंचा कबाड़ में, अब बारी बी.आर.टी.सी. की
punjabkesari.in Monday, Aug 21, 2017 - 02:36 PM (IST)
अमृतसर(रमन): सरकारी एवं प्रशासनिक अनदेखी के चलते गुरुनगरी में सिटी बस योजना अधर में लटक जाने से बुरी तरह से फेल हो गई है। इसके चलते लगभग 60 बसें बंद होकर माल मंडी सिटी बस स्टैंड में कबाड़ का रूप धारण कर रही हैं, जबकि दूसरी ओर सिटी बस के रूटों पर दौड़ बी.आर.टी.सी. बसों का हाल भी जल्द ही ऐसा ही होने वाला है।
सिटी बस का प्रोजैक्ट कांग्रेस के कार्यकाल दौरान शुरू होने की घोषणा की गई लेकिन उस समय यह सिरे न चढ़ पाया। इसके उपरांत गठबंधन सरकार के कार्यकाल दौरान जालंधर की तर्ज पर लुधियाना और अमृतसर में स्पैशल सिटी बस चलाने की योजना को मूर्त रूप दिया गया जिसके लिए 33 करोड़ के प्रोजैक्ट के तहत 150 बसें शहर में चलाई जानी थीं लेकिन 60 के करीब ही बसें शहर में चलकर बंद हो गईं। इन बसों को चलाने का कांट्रैक्ट कर्नाटक की कंपनी को दिया गया।
नगर निगम द्वारा अपना हिस्सा न डालने के कारण सिटी बस का सारा खर्चा कंपनी खुद करती थी। एक बस की इंश्योरैंस 35 हजार के करीब एवं यात्रियों से किराया 5 से 10 रुपए वसूला जाता था। इसके चलते कंपनी ड्राइवरों और स्टाफ का वेतन जब निकाल पाने में असमर्थ हो गई हो गई उसने यहां से चुपचाप भागना ही उचित समझा। हालांकि इस बस को चलाने के लिए उक्त कंपनी ने तरह-तरह प्रयास किए, बसों पर विज्ञापन आदि भी शुरू किए लेकिन बस से स्टाफ के खर्चे न निकल पाने के कारण उक्त बसें अब कबाड़ बनने की तैयारी में हैं।
इन बसों के बंद होने के पीछे बड़ा कारण नगर निगम और जिला प्रशासन की अनदेखी को भी बताया जा रहा है। नगर निगम न तो 150 बसों में अपना शेयर डाल सकी और न ही अशोका लेलैंड कंपनी को बसों के बदले डेढ़ करोड़ रुपए की पैंडिंग राशि दी गई।
उल्लेखनीय है कि शहर में जब भी नए प्रोजैक्ट शुरू होते हैं तो उनकी बहुत देखरेख की जाती है लेकिन पुराने प्रोजैक्ट अनदेखी का शिकार होकर बंद हो जाते हैं। सिटी बस प्रोजैक्ट में अमृतसर के जिलाधीश चेयरमैन हैं व डी.टी.ओ. भी इसके सदस्य हैं, लेकिन किसी भी अधिकारी द्वारा इस प्रोजैक्ट पर ध्यान न दिए जाने से यह प्रोजैक्ट बंद हो गया। प्रशासनिक अनदेखी के चलते आज करोड़ों रुपए की बसें एवं बस स्टैंड अनदेखी का शिकार हो रहे हैं व दिन-प्रतिदिन इंफ्रास्ट्रक्चर खराब हो रहा है।
ऑटो चालकों एवं लोकल बस ऑप्रेटरों ने भी किया था विरोध
सिटी बस के सिस्टम को चलाने के लिए एक कम्पनी एस.पी.सी. का गठन किया गया था। 33.03 करोड़ के 150 एयर कंडीशन बसों के सिटी बस सर्विस प्रोजैक्ट में शहर के 25 कि.मी. के घेरे में चलने वाली बसों ने विभिन्न रुटों को जहां कवर किया, वहीं धार्मिक और पर्यटक स्थलों के दर्शनों के लिए विशेष बस सुविधा थी। बस का किराया भी लोगों की जेब के मुताबिक ही तय था जिससे इसका विरोध ऑटो चालकों एवं लोकल बस ऑप्रेटरों ने भी किया, कई बार तो इनका सिटी बस के ड्राइवरों के साथ झगड़ा भी हुआ। सिटी बस चलने से ऑटो रिक्शा को काफी नुक्सान हुआ था।
बी.आर.टी.सी. प्रोजैक्ट भी बंद होने की कगार पर
शिअद द्वारा शुरू किया गया बी.आर.टी.एस. प्रोजैक्ट अभी अधूरा पड़ा है हालांकि इसका सारा खर्चा अभी सरकार उठा रही है लेकिन 2 माह पहले डीजल न मिलने की वजह से बी.आर.टी.सी. बसें भी 10 दिन बंद रही थीं। इस तरह यह प्रोजैक्ट भी शहर में घाटे में चल रहा है।
चाहे स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी सिटी बस की बंद पड़ी 60 बसों को इस प्रोजैक्ट में चलाने की घोषणा कर चुके हैं और उन्होंने यह भी दावा किया है कि शहरके अंदर चल रहे बी.आर.टी.एस. प्रोजैक्ट में चल रही बसों के रूट में सिटी बस की 60 बसों को भी दौड़ाया जाएगा, लेकिन जिस तरह शिअद के दावे खोखले साबित हुए उसी तरह इन पर भी लोग भरोसा नहीं कर रहे हैं।