क्या कांग्रेस का हाथ व कपिल का साथ रह पाएगा साथ-साथ?
punjabkesari.in Friday, Mar 24, 2017 - 12:13 PM (IST)
अमृतसर(महेन्द्र): कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में पंजाब में कांग्रेस की बनी सरकार में बने स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा टी.वी. शो कामेडी विद कपिल शर्मा में भी साथ-साथ काम करने पर कुछ लोगों द्वारा प्रॉफिट आफ हाऊस में आने की बात कही जा रही है, लेकिन खुद सिद्धू इसे प्रोफिट आफ हाऊस से बाहर होने की बात करते हुए टी.वी. शो को किसी भी हालत में न छोडऩे की बात कह रहे हैं।
उन्होंने तो भाजपा सांसद किरण खेर द्वारा भी टी.वी. शो व फिल्मों में काम करने का उदाहरण देते हुए एक तरह से खुद को क्लीन चिट देने का प्रयास किया है। इसके बावजूद सिद्धू पर कांगे्रस का हाथ और कपिल शर्मा का साथ एक साथ रह पाएंगे या नहीं? हालांकि सी.एम. कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने इस बारे अटार्नी जनरल से कानूनी सलाह लेने की बात कही है, लेकिन कुछ स्थानीय कानून विशेषज्ञों से बात की गई तो कई कानून विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर ‘नो प्रॉब्लम’ तथा कुछ ने निजी विचार रखते हुए कहा कि सिद्धू को नैतिकता के आधार पर एक ही फील्ड चुननी चाहिए।
टी.वी. शो आर्ट एंड क्राफ्ट के दायरे में आता है। यह कोई सरकारी कार्यालय नहीं है। उन्होंने तो कई प्रकार की उदाहरण देते कहा कि सिद्धू कैबिनेट मंत्री के साथ-साथ टी.वी. शो (कामेडी विद कपिल शर्मा) में काम करते हैं तो यह प्रॉफिट आफ हाऊस के दायरे में नहीं आता है, इसलिए अगर वह टी.वी. शो में भी काम करते हैं, तो सिद्धू को कानूनी तौर पर कोई समस्या (प्रॉब्लम) नहीं आएगी।
एडवोकेट विरमानी, कानूनी विशेषज्ञ
उनकी राय में सिद्धू अगर कैबिनेट मंत्री के पद पर रहते हुए टी.वी. शो भी करते हैं तो इसमें कोई कानूनी बाधा नहीं हैं, क्योंकि टी.वी. शो कार्यक्रम कोई सरकारी कार्यालय नहीं है, लेकिन बावजूद इसके उनकी निजी राय यह है कि सिद्धू को कैबिनेट मंत्री का पद या फिर टी.वी. शो कार्यक्रम में से कोई एक फील्ड ही चुननी चाहिए, क्योंकि अगर वह टी.वी. शो में भी काम करते हैं तो प्रदेश की जनता जो उनसे बड़ी-बड़ी आशाएं लगाए बैठी है, उनसे वंचित रह सकती है।
नवजीवन शर्मा,एडवोकेट, कानून विशेषज्ञ
संविधान के आर्टिकल 102 तथा 191 में प्रॉफिट आफ आफिस के बारे में साफ-साफ जिक्र है। अगर कोई पोस्ट प्रॉफिट आफ ऑफिस के दायरे में आती हो और कोई यह कह दे कि वह बिना वेतन के काम करेगा, फिर भी उसका पद इस दायरे में माना जाता है। बावजूद इसके उसमें कई प्रकार की छूट (एग्जम्प्शन्स) भी दी हुई हैं। देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जब कांग्रेस पार्टी के सांसद थे, तो उन्हें योजना आयोग का चेयरमैन बना दिया गया था जिस पर किसी ने रिट दायर कर दी थी। इस समस्या से बाहर निकलने के लिए यू.पी.ए. सरकार को संसद में संशोधन लाना पड़ा था। ऐसी ही कानूनी बाधा को लेकर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को भी इस तरह के मामले का सामना करना पड़ा था।
मनीष बजाज, कानूनी विशेषज्ञ
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