सहारनपुर हिंसा पर राहुल गांधी की चुप्पी से कांग्रेस बेचैन

punjabkesari.in Saturday, May 27, 2017 - 12:59 AM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): बेशक कांग्रेस ने बुधवार को सहारनपुर में दलितों पर हमले के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना की, इसके बावजूद बहुत से नेताओं का मानना है कि पार्टी इस समस्या की गम्भीरता को पहचानने और राजनीतिक रूप से प्रतिक्रिया देने में विफल रही है। वहीं आल इंडिया कांग्रेस के उपप्रधान राहुल गांधी अब तक सहारनपुर में नहीं गए हैं और उन्होंने इस ज्वलंत मुद्दे पर अपनी चुप्पी साधी हुई है, जिसको लेकर कांग्रेस में बेचैनी पाई जा रही है और कई प्रकार के सवाल उठ रहे हैं। 

कई कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि पार्टी को सहारनपुर में हिंसा की घटनाओं को और अधिक आक्रामक रूप से लेना चाहिए था। उनका मानना है कि हम यू.पी. चुनाव हारने के कारण कांग्रेस ने इस राज्य को अपने हाथों से बहुत बुरी तरह से खो दिया, लेकिन हम ऐसे मुद्दों को कतई नजरअंदाज नहीं कर सकते। एक वरिष्ठ पार्टी नेता का कहना है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने सहारनपुर के प्रभावित इलाके का दौरा किया, परंतु इसका कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा। 

कांग्रेस ने पार्टी के अनुसूचित जाति विभाग के प्रमुख के. राजू को उत्तर प्रदेश में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार को घेरने के लिए मैदान में उतारा है। इसी संदर्भ में राजू ने कहा कि जब से यू.पी. में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भाजपा की सरकार बनी है तब से प्रदेश में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ गई हैं। ऐसे लगता है कि मुख्यमंत्री के रूप में साम्प्रदायिक तत्वों को दंगों, दलित उत्पीडऩ व अत्याचार करने का लाइसैंस हासिल हो गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि दंगों के जिम्मेवार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं होगी, क्योंकि उन्हें लगता है कि मुख्यमंत्री उन्हें सभी आवश्यक सुरक्षा प्रदान करेंगे। 

राजू ने कहा कि कांग्रेस ने सभी अभियुक्तों की गिरफ्तारी, मामले की तेजी से जांच के लिए एक विशेष अदालत की स्थापना की जाए। प्रशासन, पुलिस अधिकारियों और जिला मैजिस्ट्रेट के खिलाफ ऐसी घटनाओं को रोकने में उनकी असफलता की जांच की जाए। ज्ञात रहे कि उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को सहारनपुर के डी.एम. और एस.एस.पी. को निलंबित कर दिया था। राजू ने कहा कि प्रशासन को यह समझना चाहिए कि वह दलित पीड़ितों को तुरंत राहत, पुनर्वास और मुआवजे प्रदान करने के लिए कर्तव्यबद्ध है। 2015 में संशोधन के तहत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति पर अत्याचार की रोकथाम के लिए अधिनियम 1989 के तहत प्रावधान किया जाए।

उन्होंने बताया कि विशेष सरकारी अभियोजकों को नियुक्त किया जाना चाहिए और अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र घटना के 60 दिनों के भीतर दर्ज हो। इसके साथ ही विशेष अदालत को अपने फैसले को 120 दिनों के भीतर सुनाना होता है। जिक्र योग्य है कि सहारनपुर मामले में चुप्पी साधने वाले राहुल गांधी ने गत वर्ष जुलाई में गुजरात के शहर ऊना में कुछ दलित नौजवानों पर अत्याचार के मामले सामने आने पर वहां का दौरा किया था। जहां उक्त नौजवानों को कथित तौर पर आत्मघोषित गाय चौकसों के एक समूह ने गिरफ्तार किया था। राहुल जोकि दलित शोध छात्र राहुल वेमुला की जयंती के मौके पर एक दिवसीय भूख-हड़ताल तथा कैंडल मार्च में शामिल होने के लिए हैदराबाद भी गए थे।

राहुल ने कांग्रेस के आदिवासी नेताओं को दलित मुद्दे उठाने को कहा 
दूसरी तरफ राहुल गांधी ने पार्टी से सम्बद्ध लगभग 100 आदिवासी नेताओं के साथ कल मुलाकात की और उन्हें आदिवासियों से संबंधित उत्खनन तथा जंगल अधिकार कानून के कार्यान्वयन जैसे मुद्दों पर चर्चा की। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस जल्द ही आदिवासी राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर सकती है। बैठक के दौरान राहुल ने आदिवासी नेताओं को आक्रामक ढंग से दलित मुद्दे उठाने की सलाह दी और कहा कि वे स्वास्थ्य, शिक्षा एवं भूमि तक पहुंच जैसे आदिवासियों के मुद्दों को समझने के लिए उनकी झुग्गी-झोंपडिय़ों में जाएं।


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