डेंगू पीड़ितों ने किया दर्द बयां : अस्पताल में नहीं है व्यवस्था

punjabkesari.in Tuesday, Oct 31, 2017 - 12:26 PM (IST)

पठानकोट(शारदा): सेहत विभाग की तरफ से आए दिन दावे किए जा रहे हैं कि डेंगू के मरीजों को सिविल अस्पताल में उपचार के साथ-साथ पर्याप्त सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं परंतु विभाग की तरफ से जो दावे किए जा रहे हैं वे गलत साबित हो रहे हैं। अस्पताल में डेंगू का नाममात्र इलाज हो रहा है।

रैफर होने वाले अभागे मरीज दब जाते हैं कर्ज के नीचे

डेंगू होने पर मरीजों का इलाज शुरू होने में दूरी हो जाती है, जब तक उन्हें अस्पताल में इलाज हेतु लाया जाता है तथा इस बात का उन्हें पता चलता है कि उन्हें डेंगू हो गया है, तब तक उनकी स्थिति बिगड़ जाती है। स्थानीय सिविल प्रशासन रिस्क नहीं लेता और मरीज को अमृतसर रैफर कर दिया जाता है।

मरीजों के परिजन डर कर सरकारी अस्पताल ले जाने की बजाय उन्हें प्राइवेट अस्पताल में जेरे इलाज ले जाते हैं, जहां पर मात्र 7 दिन के इलाज में ही उनका लगभग 3 से लेकर 5 लाख तक का खर्चा आ जाता है। जहां मरीज एक ओर इलाज करवा रहा होता है वहीं मरीज के घर वाले प्रतिदिन पैसों के लिए इधर-उधर भटकते फिरते हैं क्योंकि हर शाम को पैसे जमा करवाने होते हैं। 

इस संबंध में डेंगू के भोगी पिता चन्द्र शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी के इलाज में 3 लाख रुपए मात्र कुछ ही दिनों में खर्च कर दिए। उनका यह मानना था कि सिविल अस्पताल में उनकी बेटी का इलाज देरी से शुरू हुआ और रिपोर्ट भी निर्धारित समय से लेट मिली। मरता क्या न करता की कहावत ऐसे मरीजों के परिवार वालों पर सटीक बैठती है, कि अपने परिजनों को बचाने के लिए वे अपना सब कुछ दाव पर लगा देते हैं और अंतत: एक म४छर के काटने की वजह से सारी आयु कर्ज के बोझ तले दबकर रह जाते हैं।


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