LED विज्ञापन लगाने की मंजूरी देने वाले अफसरों का बचना भी हुआ मुश्किल

punjabkesari.in Monday, Aug 21, 2017 - 02:43 PM (IST)

लुधियाना(हितेश): फिरोजपुर रोड स्थित फास्ट-वे कंपनी से संबंधित मॉल के खिलाफ चल रही कार्रवाई में भले ही इस समय अवैध निर्माण का मुद्दा गर्माया हुआ है और बिल्डिंग ब्रांच के अफसरों पर गाज गिरनी शुरू हो चुकी है। लेकिन उन अफसरों का बचना भी मुश्किल नजर आ रहा है, जिन्होंने मॉल पर एल.ई.डी. विज्ञापन लगाने की मंजूरी दी हुई है।  इस मामले में ट्रैफिक एडवाइजर नवदीप असीजा ने कोर्ट को सूचित किया कि मॉल पर एल.ई.डी. युक्त विज्ञापन लगा हुआ है, जो नैशनल हाईवे पर होने के कारण वाहन चालकों का ध्यान भटका सकता है। 

एल.ई.डी. युक्त विज्ञापन बंद करवाने का किया दावा 
इसे लेकर कोर्ट द्वारा जवाब-तलबी करने पर निगम ने मॉल को विज्ञापन बंद करने का नोटिस दिया, जिससे खुलासा हुआ कि एल.ई.डी. के रूप में चल रहे विज्ञापन बारे निगम ने ऐसा ही नोटिस मई में भी दिया था, लेकिन मॉल द्वारा दिए जवाब पर ही नियमों का पालन होने की बात स्वीकार कर ली गई। जबकि मौके पर फ्लैशर व स्लाइड के रूप में विज्ञापन बाद में भी चल रहा था। अब कोर्ट को दिए जवाब में निगम ने एल.ई.डी. युक्त विज्ञापन बंद करवाने का दावा किया है। लेकिन एक सवाल अब भी खड़ा है कि पालिसी में सिर्फ मल्टीप्लैक्स ही विज्ञापन लगाए जा सकते हैं, जबकि इस मॉल को सितंबर 2016 में मंजूरी दे दी गई, जिसकी रसीद काटने वाले अफसर भी सिद्धू की राडार पर आ गए हैं, जिन अफसरों को अच्छी तरह पता था कि मॉल पर विज्ञापन नहीं लगाए जा सकते। 

रसीद को दिया जाएगा अंदरूनी रद्दोबदल की कम्पाऊंडिंग फीस का नाम
ग्रैंड वॉक मॉल की ऊपरी मंजिल पर हुए निर्माण को नियमों से ज्यादा बताकर दिए सीङ्क्षलग नोटिस के खिलाफ कोर्ट की शरण लेने के लिए प्रबंधकों ने जिस रसीद को आधार बनाया है, उसे कम्पाऊंडिंग फीस का नाम दिया गया लेकिन उस फीस को अब अंदरूनी रद्दोबदल के बदले बनते चार्जिस का नाम दिया जाएगा। इस बारे रिपोर्ट तैयार करने के लिए निगम अधिकारियों की टीम रविवार को भी चंडीगढ़ में डेरा लगाए बैठी रही, जिनके मुताबिक भले ही रसीद से जुड़ी फाइल नहीं मिल रही, लेकिन यह पैसा पास किए गए नक्शे के उलट की गई अंदरूनी रद्दोबदल के लिए बनते जुर्माने के तौर पर जमा किया गया था।


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