सरकार की नि:शुल्क डायलिसिस योजना को झटका दे रही मशीनों की कमी
punjabkesari.in Monday, Jul 10, 2017 - 03:08 PM (IST)
भटिंडा (पायल): बेशक स्वास्थ्य मंत्री पंजाब ब्रह्म महिंद्रा के निर्देशानुसार 25 जून से सरकारी अस्पतालों में किडनी रोगों से ग्रस्त मरीजों हेतु नि:शुल्क डायलिसिस सेवा शुरू कर दी गई है परन्तु सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस मशीनों की कमी सरकार की नि:शुल्क डायलिसिस योजना को झटका दे रही है। भटिंडा के शहीद भाई मनी सिंह सरकारी अस्पताल में मौजूद डायलिसिस के 2 यूनिट मरीजों की संख्या के अनुरूप कम पड़ रहे हैं, जबकि प्राइवेट अस्पतालों में यह संख्या 50 के करीब है। मशीनों की कमी कारण सरकारी अस्पताल में रोजाना महज 2 से 3 मरीजों को ही नि:शुल्क डायलिसिस सेवा का लाभ मिल रहा है जबकि अधिकांश मरीज प्राइवेट अस्पतालों में भारी-भरकम फीस अदा करके डायलिसिस करवाने को मजबूर हैं।
प्रति मरीज डायलिसिस पर लगते हैं डेढ़ से 4 घंटे
किडनी रोग से पीड़ित मरीजों के डायलिसिस करने पर डेढ़ से 4 घंटे तक का समय लगता है। प्राथमिक स्टेज पर मरीज का डेढ़ घंटे डायलिसिस होता है परन्तु अगली स्टेजों पर मरीज को 3 या 4 घंटे डायलिसिस करवाना होता है। सरकारी अस्पताल में उक्त सेवा का समय सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक है। करीब 8.30 बजे मरीज का डायलिसिस शुरू होता है, जो 4 घंटे बाद 11.30 बजे खत्म होता है। इसके बाद डेढ़ व 3 घंटे वाले मरीजों का ही डायलिसिस किया जाता है। ऐसे में रोजाना 2 से 4 मरीज सरकारी अस्पताल में डायलिसिस करवाते हैं, जबकि शेष वेटिंग लिस्ट में रहते हैं।
निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या अधिक
आंकड़ों की बात करें तो महानगर के विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों में रोजाना डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या 100 से 150 तक है। प्राइवेट अस्पतालों में मशीनों की संख्या 10 से 15 तक होने के कारण वहां एक समय में 15 मरीज डायलिसिस करवा सकते हैं। वहीं समय की पाबंदी न होने के कारण प्राइवेट अस्पताल 24 घंटे मरीजों को डायलिसिस सेवा देते हैं। ऐसे में मरीज आपातकालीन स्थिति में प्राइवेट अस्पतालों का ही रुख करते हैं।
सरकारी सेवा नि:शुल्क, प्राइवेट में भारी खर्च
सरकारी अस्पताल में पहले मरीजों को डायलिसिस हेतु 750 रुपए देने पड़ते थे। पहले विभिन्न योजनाओं के तहत कुछ मरीजों को यह सेवा नि:शुल्क उपलब्ध थी परन्तु अब विभागीय घोषणा के बाद सभी मरीजों को यह सेवा बिल्कुल नि:शुल्क दी जा रही है, जबकि निजी अस्पतालों में प्रति डायलिसिस हेतु मरीजों को 1,500 से 2,500 रुपए तक अदा करने पड़ते हैं। जहां कई मरीज महीने में एक बार डायलिसिस करवाते हैं, जबकि बीमारी के हिसाब से कई मरीजों में सप्ताह में 3 बार भी डायलिसिस करवाना पड़ता है। आर्थिक तौर पर गरीब मरीजों के लिए प्राइवेट अस्पतालों का भारी-भरकम खर्च उठाना बेहद मुश्किल है।
करवानी पड़ती है एडवांस बुकिंग
मौजूदा समय में किडनी रोग से ग्रस्त मरीजों की संख्या बेहद बढ़ चुकी है। हालात ऐसे हैं कि डायलिसिस करवाने हेतु मरीजों को पहले एडवांस बुकिंग करवानी पड़ती है। डायलिसिस मशीन की कीमत 4 से 7 लाख रुपए तक है। ऐसे में सिर्फ बड़े प्राइवेट अस्पतालों में ही डायलिसिस की सुविधा है और मरीजों की संख्या बेहद अधिक होने के कारण एडवांस बुकिंग चलती है। सरकारी अस्पताल में भी डायलिसिस करवाने हेतु एक दिन पूर्व नाम दर्ज करवाना पड़ता है।
मरीजों की मांग: बढ़े मशीनों की संख्या
सरकारी अस्पताल में डायलिसिस यूनिटों की संख्या बढ़ाना मरीजों की मांग है। मरीज बलविंद्र सिंह निवासी गांव बंगी का कहना है कि सरकार को न सिर्फ डायलिसिस मशीनों की संख्या बढ़ानी चाहिए, बल्कि साथ ही किडनी रोगियों की दिक्कतों को समझते हुए 24 घंटे डायलिसिस सेवा शुरू करनी चाहिए, क्योंकि इस गंभीर रोग से ग्रस्त मरीजों को किसी भी समय डायलिसिस की जरूरत पड़ सकती है। डायलिसिस हेतु सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक समय पर्याप्त नहीं है।