प्लेसमैंट एजैंसियों के नाम पर चल रहा मानव तस्करी का काला कारोबार

punjabkesari.in Friday, Mar 24, 2017 - 01:00 PM (IST)

लुधियाना(खुराना): नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एन.सी.आर.बी.) के आंकड़ों की यह रिपोर्ट शायद आपके पैरों तले से जमीन खिसका देगी कि देशभर में मात्र एक मिनट में करीब 11 मासूम बच्चे अपहरण जैसी खौफनाक घटनाओं का शिकार होते हैं। इससे भी अधिक हैरानीजनक पहलू यह है कि बच्चों व महिलाओं के लापता व अपहृत होने का यह आंकड़ा एक दिन में ही 1 लाख तक पहुंचने लगता है। बताया जा रहा है कि ऐसी घटनाओं का यह सिलसिला नेपाल, असम, उत्तराखंड, बिहार, यू.पी. व मणिपुर आदि जैसे राज्यों में लगातार चल रहा है, जहां से मानव तस्करी जैसे अपराध को अंजाम देने वाले अनेकों गिरोह बच्चों को उठाकर भिक्षावृत्ति, बाल मजदूरी, यौन शोषण करवाने के मकसद से प्लेसमैंट एजैंसियों के हाथों बेचकर मोटा पैसा कमा रहे हैं। ऐसे में सबसे अधिक दुखदाई व हैरानीजनक पहलू यह है कि मानव तस्करी का काला कारोबार करने वाली इन प्लेसमैंट एजैंसियों का डाटा न तो पुलिस प्रशासन के रिकॉर्ड में दर्ज है और न ही स्थानीय लेबर विभाग के अधिकारियों के पास कोई जानकारी है। जानकारी के मुताबिक लापता व अपहृत हुए करीब 45-50 फीसदी बच्चे फिर कभी भी अपने माता-पिता तक की शक्ल तक नहीं देख पाते हैं, जबकि अधिकतर मामलों में तो पुलिस अपहृत बच्चों संबंधी एफ.आई.आर. भी दर्ज नहीं करती है।

कैसे करते हैं प्लेसमैंट एजैंसियों के प्रमुख बच्चों का शोषण
मानव तस्कर गिरोह बच्चों को औने-पौने दामों में दलालों की मार्फत प्लेसमैंट एजैंसियों के मालिकों को बेच देते हैं, जबकि एजैंसियों के प्रमुख डिमांड के अनुसार बच्चों को घरों व व्यापारिक संस्थानों में मोटी रकम एडवांस में लेकर बाल मजदूरी की दलदल में उतार देते हैं। सूत्रों के अनुसार किसी भी बच्चे को काम पर रखने के मकसद से कोठी मालिकों से 1 लाख से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक एडवांस में वसूलते हैं। इन पैसों से वह फूटी कौड़ी भी बच्चों को नहीं देते। ऐसे में खास बात यह भी बताई जा रही है कि एजैंसियों के प्रमुख किसी भी बच्चे को एक जगह पर 1 वर्ष से अधिक काम नहीं करने देते हैं। 


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