वायु प्रदूषण का दिमाग पर असर, बच्चों का आई.क्यू. लैवल हो रहा कम
punjabkesari.in Thursday, Dec 07, 2017 - 09:16 AM (IST)
लुधियाना (सहगल): वायु प्रदूषण युवा बच्चों के दिमाग पर स्थायी नुक्सान पहुंचाता है, जिससे बच्चों की दिमागी क्षमता, आई.क्यू., याददाश्त, न्यूरोलॉजिकल बिहेवियर संबंधी दोष तथा उसके विकास पर गहरा असर पड़ता है। हाल ही में यूनिसेफ की रिपोर्ट में इस विषय पर गहरी चिंता प्रकट की गई है। यूनिसेफ के एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर एंथनी लेक के हवाले से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व में 17 मिलियन बच्चे, जिसमें साऊथ एशिया के रहने वाले भी हैं, वायु प्रदूषण में रह रहे हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों से कहीं अधिक है। ऐसे में उनको व्यापक खतरे पैदा हो रहे हैं साथ ही साथ उन देशों जहां वायु प्रदूषण अधिक है, की विकास दर पर भी असर पड़ रहा है। सारांश यह है कि वायु प्रदूषण से इन देशों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। इस समस्या से छुटकारा वायु प्रदूषण की समस्या को दूर करके पाया जा सकता है, ऐसी विशेषज्ञों की राय है।
बढ़ सकती है बच्चों की मृत्यु दर : डा. धुरिया
दयानंद मैडीकल कालेज एवं अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. गुरदीप सिंह धुरिया का कहना है कि वायु प्रदूषण पर अगर तुरंत प्रभावी ढंग से रोक न लगाई गई तो आने वाली पीढिय़ों पर इसका गहरा असर पड़ सकता है। हर वर्ष 5 वर्ष से कम आयु के 6 लाख बच्चे मौत के मुंह में चले जाते हैं। इनमें 50 प्रतिशत की मृत्यु का कारण प्रदूषण होता है। इनमें निमोनिया से मरने वालों की संख्या अधिक है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे ही हालात बने रहे तो वर्ष 2050 तक 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की संख्या 50 प्रतिशत और बढ़ जाएगी। बच्चों में वायु प्रदूषण जन्म के बाद नहीं, बल्कि गर्भ में भी अपना असर डालता है। प्रदूषण के अल्ट्रा फाइन पार्टीकल मां के गर्भ में भी असर करने की क्षमता रखते हैं। इससे गर्भपात, प्री-मैच्योर डिलीवरी, जन्म के समय शारीरिक भार कम जैसे मामले सामने आते हैं तथा जन्म के बाद बच्चे की दिमागी क्षमता में असर दिखाई देने लगता है। जिन शहरों में शीशायुक्त पैट्रोल का इस्तेमाल होता है, औद्योगिक क्षेत्र का दायरा विशाल है, वहां वायु प्रदूषण अधिक मापा जा सकता है। यह स्थिति काफी खतरनाक कही जा सकती है।
वायु प्रदूषण से बीमार होने वाले बच्चों की संख्या 10 गुना बढ़ी
एस.पी.एस. अस्पताल के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डा. विकास बांसल का कहना है कि वायु प्रदूषण पिछले कई वर्षों से बढ़ा है, जबकि इसकी रोकथाम के लिए उसके अनुपात में कुछ नहीं किया गया। इससे बच्चे ही नहीं, बड़े भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण में जो बच्चे आज पैदा हो रहे हैं, उनके दिमाग पर क्या असर पड़ा, यह आने वाले सालों में नजर आएगा परंतु वायु प्रदूषण के कारण आज बीमार होने वाले बच्चों की संख्या 10 गुना तक बढ़ गई है। इनमें ब्रोकाइटिस, निमोनिया, सांस लेने में दिक्कत, दमा तथा एलर्जी से पीड़ित बच्चे रोज अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। उनकी तकलीफें साधारण दवाइयों से ठीक नहीं हो रही हैं। उन्हें अस्पताल में दाखिल करना पड़ रहा है। 4 से 6 महीने के बच्चों को नेम्बुलाइजर लगाना पड़ रहा है। वायु प्रदूषण के कारण बच्चों में आंखों की एलर्जी बढ़ रही है। बहुत से निरंतर तकलीफ से उनकी आई बाल का आकार बदल जाता है और ऐनक का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
डा. विकास बांसल ने कहा कि जन्म के बाद 1 हजार दिनों में बच्चों का दिमाग 85 से 90 प्रतिशत तक विकसित होता है परंतु घोर वायु प्रदूषण में उसके विकास पर गहरा असर पड़ता है, जिसे ठीक करना मुश्किल होता है। बच्चे जल्दी सांस लेते हैं, जिससे प्रदूषण की मात्रा उनके फेफड़ों में अधिक जाने की संभावना रहती है। इससे पहले फेफड़ों फिर दिमाग, हृदय व अन्य अंगों पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।