Video-मनप्रीत का कहना पंजाब हित में GST, 92.20% लोगों ने कहा महंगाई बढ़ेगी

punjabkesari.in Saturday, Jul 01, 2017 - 11:15 AM (IST)

जालंधर: शुक्रवार की आधी रात को भले ही जी.एस.टी. लागू हो जाएगा। हालांकि सरकार दावा कर रही है कि जी.एस.टी. लागू होने के बाद महंगाई कम होगी, मगर आम आदमी के मन में अभी भी भय है कि इससे महंगाई बढऩे वाली है। ‘पंजाब केसरी’ की तरफ से शुक्रवार को आम आदमी पर जी.एस.टी. से महंगाई बढऩे के उठ रहे सवाल पर सर्वे करवाया गया। सर्वे में एक बात यह सामने आई है कि जी.एस.टी. के कारण 92.20 प्रतिशत से ज्यादा लोग डरे हुए हैं और उनका मानना है कि सरकार का दावा झूठा साबित होगा। मात्र 7.80 प्रतिशत के करीब लोगों का ही मानना है कि महंगाई नहीं बढ़ेगी। फेसबुक पर ‘पंजाब केसरी’ की तरफ से डाले गए सर्वे को 417,156 लोगों ने देखा और 11,020 लोगों अपनी प्रतिक्रिया दी। दूसरी तरफ पंजाब के वित्त मंत्री का कहना है कि जी.एस.टी. पंजाब के हित में है। 

आम आदमी को जी.एस.टी. से इसलिए डर  
सरकार की मानें तो खुला खाद्य पदार्थ, ताजी सब्जियां, बिना मार्का आटा/मैदा और बेसन, गुड़, दूध, अंडे, दही, लस्सी, पनीर जैसे खाद्य पदार्थों पर टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन लोगों का कहना है कि सरकार की तरफ से खाद, डाई और कीटनाशक पर टैक्स लगाया जा रहा है। आटा, मैदा, बेसन, गुड़ और सब्जियां किसानी से आनी है। खाद और कीटनाशक पर टैक्स बढ़ता है तो ये चीजें अपने आप महंगी हो जाएंगी। नई दरों से किसान निराश हैं। खाद पर 12 प्रतिशत कर लगेगा, जबकि कीटनाशकों पर 18 प्रतिशत तक कर देना पड़ेगा। 

खुद को किसानों की हिमायती बताने वाली सरकार ने किसानों पर अतिरिक्त बोझ डालने की पूरी तैयारी कर ली है। किसान प्रभावित होगा तो आम आदमी कैसे इससे अछूता रह सकता है। उनका कहना है कि पहले ही उन्हें थाली में रोटी कम नजर आती है, अब तो रोटी ही खत्म हो जाएगी। लोगों का कहना है कि टैक्स लागू करने को लेकर सरकारों में बैठे नेताओं से तो राय ली जाती है, लेकिन आम आदमी से कोई राय क्यों नहीं ली जाती है। लोगों का कहना है कि घुमा-फिराकर महंगाई ही बढऩी है। वहीं, पढ़े-लिखे वर्ग का कहना है कि जी.एस.टी. जिस भी देश में लागू हुआ है वहां पर विकास की दर घटी है। ऐसे में सरकार का दावा ठीक नहीं है।

लोगों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, मलेशिया और सिंगापुर 1991 से 2000 के बीच जी.एस.टी. लागू कर चुके हैं। 1994 में जब सिंगापुर ने जी.एस.टी. लागू किया था तो उस साल जी.डी.पी. में बड़ी गिरावट दर्ज हुई। आई.एम.एफ. के मुताबिक जी.एस.टी. लागू होने से पहले सिंगापुर की जी.डी.पी. 5.5 प्रतिशत थी, जबकि जी.एस.टी. लागू करने के बाद यह 3 प्रतिशत तक रुक गई थी। लोगों का तो यहां तक कहना है कि आम लोगों की रसोई से लेकर देश का विकास तक इसके प्रभाव से बच नहीं पाएगा। 

जी.एस.टी. को लेकर संशय के कई कारण हैं
लजी.एस.टी. का सबसे बड़ा फायदा जो दिख रहा है वह कई करों की बजाय एक कर लगने का है लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है किसी भी राज्य की विधानसभाओं को ये अधिकार है कि वे सामान और सेवाओं पर कर लगा सकती हैं। लजी.एस.टी. को आसान करने के संविधान संशोधन का काम पूरा नहीं हुआ है। ये बस शुरूआत है। 

दोगुणा हो जाएगा राजस्व
जी.एस.टी. को लेकर ज्यादातर व्यापारी वर्ग विरोध कर रहा है। इस विरोध के चलते शुक्रवार को पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा कि आयकर विभाग के अधिकारियों के साथ सोमवार से वह प्रदेश भर में खुद दौरे कर लोगों की समस्याएं सुनेंगे और उनकी शंकाएं दूर करने की कोशिश करेंगे। वित्त मंत्री का मानना है कि जी.एस.टी. से पंजाब को फायदा होगा और अगले 5 साल में प्रदेश का राजस्व दोगुना हो जाएगा। इस दौरान सैंट्रल हाल में जी.एस.टी. लागू करने को लेकर आयोजित कार्यक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले करीब 10 सालों से जी.एस.टी. लागू करने को लेकर चर्चाएं चल रही थीं, जो आज आधी रात से लागू होने जा रहा है। 

मनप्रीत बादल ने कहा कि उनके मुताबिक जी.एस.टी. पूरे देश के साथ-साथ पंजाब के लिए भी फायदेमंद होगा। सरकार ने सभी राज्यों को भरोसा दिया है कि जो भी टैक्स कलैक्शन होगी उसका उन्हें 14 प्रतिशत लाभ मिलेगा, जिससे अगले 5 सालों में पंजाब का राजस्व भी बढ़ेगा। ज्यादातर व्यापारी वर्ग के विरोध किए जाने पर उन्होंने कहा कि फिलहाल जी.एस.टी. लागू हो रहा है और व्यापारियों की जो भी शंकाएं होंगी। 

किसानों को राहत दी जाएगी
उन्होंने कहा कि कर्ज में फंसे प्रदेश के किसानों को आगामी बजट में कोई राहत जरूर दी जाएगी। उन्होंने साफ  किया कि इसके लिए केन्द्र की मदद की दरकार भी नहीं है। पंजाब में वस्तुओं की खपत है। अब जी.एस.टी. खपत आधारित है, इसलिए पंजाब को इससे लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि घाटा उन राज्यों को हो सकता है, जो कि विनिर्माण पर आधारित हैं। मनप्रीत ने प्रदेश में किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को उनके दुख को सांझा करना चाहिए।


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