पराली को न जलाने के दिए गए आदेशों से कई किसान दुविधा में

punjabkesari.in Sunday, Oct 15, 2017 - 12:46 PM (IST)

मोगा/अजीतवाल (ग्रोवर): कैप्टन सरकार की ओर से किसानों को धान की पराली को न जलाने के दिए गए आदेशों के कारण कई किसान दुविधा में फंस गए हैं, कुछेक किसान तो किसान यूनियनों के कहने पर धान की पराली को आग लगा रहे हैं लेकिन अधिकतर किसान अपने निजी मुनाफे को साइड पर रखकर मानवता तथा जीव-जंतुओं पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े की ङ्क्षचता के कारण पराली को आग नहीं लगा रहे। किसानों के खेतों में पराली के ढेर लगे हुए हैं।

पराली उठाने के लिए सरकार की ओर से कोई पुख्ता प्रबंध न होने के कारण वे मजदूरों के आगे गिड़गिड़ा रहे हैं तथा मजदूर भी 1500 से 1800 रुपए से कम मजदूरी नहीं ले रहे। किसान इकबाल सिंह, किसान गुरसेवक सिंह चाहल तथा प्यारा सिंह का कहना है कि उनको अगली फसल की बिजाई के लिए खेत खाली करवाने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन इसके बावजूद वह वातावरण को प्रदूषित करने में अपना योगदान नहीं डालेंगे।

जिक्रयोग्य है कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से 2 एकड़ की मालकी वाले किसानों को पराली न जलाने के बदले मुफ्त मशीनरी, 5 एकड़ वालों को 5 हजार रुपए तथा 5 एकड़ से अधिक वाले किसानों को 15 हजार रुपए में मुहैया करवाई जानी है। ट्रिब्यूनल ने पराली जलाने वाले किसानों को 5 हजार से 15 हजार रुपए तक जुर्माना करने को कहा है। किसानों ने बताया कि महंगी लेबर के बावजूद उनको जरूरी लेबर नहीं मिल रही, जिस कारण उनकी अगली फसल की बिजाई प्रभावित हो रही है। कुछ किसानों की ओर से तो अपने खेतों में से पराली बाहर निकालकर सड़कों आदि के किनारें पर पराली के ढेर लगा दिए गए हैं तथा कुछ ने अपने खेतों में ही यह पराली इकट्ठा कर ली है। 

किसानों का कहना है कि उन्होंने यह पराली अपने खेतों में से बाहर तो निकाल दी है लेकिन उनको अब यह समझ नहीं आ रहा कि अब इस पराली का क्या करेंगे। धान की पराली उनके किसी काम नहीं आने वाली। सरकार को चाहिए कि किसानों की इस मुश्किल का कोई ठोस हल करे।
 


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