एक बैड पर होता है 2-2 मरीजों का इलाज, स्टोर रूम में चढ़ता है ग्लूकोज

punjabkesari.in Monday, Sep 11, 2017 - 01:23 AM (IST)

गुरदासपुर(विनोद): हर साल बरसात का मौसम शुरू होते ही सरकारी तथा प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू के संभावित मरीजों की संख्या में बढ़ौतरी होनी शुरू हो जाती है जबकि कुछ सालों से पंजाब में स्वाइन फ्लू के मरीज मिलने के कारण विभाग इस बरसात के सीजन के लिए कई तरह के दिशा-निर्देश जारी कर रहा है। गुरदासपुर सिविल अस्पताल में दाखिल मरीजों की संख्या क्षमता से 3 गुना तक पहुंच जाने के कारण मरीजों तथा उनके साथ आए पारिवारिक मैंबरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रह है।


बरामदे में होता है जच्चा-बच्चा का इलाज
सिविल अस्पताल में बैडों की क्षमता 100 है, परंतु गत दिवस यहां दाखिल मरीजों की संख्या 292 से ऊपर थी व 125 से अधिक तो केवल गाइनी विभाग में दाखिल महिलाएं थीं। अस्पताल में एक एक बैड पर 2-2 मरीज आम पड़े देखे जाते हैं तथा गर्भवती महिलाएं, जो डिलीवरी के लिए दाखिल होती हैं, वार्ड के बाहर बरामद में बैड लगाकर जच्चा-जच्चा का इलाज किया जाता है।  इसी तरह अस्पताल में क्षमता से अधिक मरीजों के दाखिल होने के कारण एक मरीज को स्टोर-रूम में बैड लगा कर ग्लूकोज चढ़ाया जा रहा था। इस संबंधी जब अधिकारियों से बात की गई तो उनमें पास इसका जवाब नहीं था। बैंच आदि की कमी के चलते मरीजों के साथ आए पारिवारिक मैंबर मीन पर ही बैठे दिखाई दिए। कुछ लोगों ने अपना नाम गुप्त रखने पर बताया कि कई बार गाइनी विभाग में निचले स्तर का स्टाफ बधाई के नाम पर पैसे मांगता है।


डेंगू के आए 59 संभावित मरीज, 14 पॉजिटिव
सिविल अस्पताल गुरदासपुर में डेंगू के सम्भावित मरीज तो बहुत अधिक संख्या में दाखिल होते हैं,परंतु अधिकतर को डेंगू नहींं होता। अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार 59 मरीजों का डेंगू टैस्ट अस्पताल में बनी विशेष लैब में करने पर अभी तक 14 मरीजों को डेंगू पॉजिटिव पाया गया जिनमें से 9 को इलाज कर घर वापस भेजा गया है जबकि 5 मरीज  अस्पताल में दाखिल हैं। 4 मरीजों की टैस्ट रिपोर्ट अभी नहीं मिली है, बड़ी संख्या में सम्भावित मरीज भी दाखिल हैं।


बकरी का दूध बिक रहा 500 रुपए किलो
गुमराह करने वाले कुछ झोलाछाप डाक्टरों के कारण आम लोगों में धारण है कि डेंगू से बचाव के लिए बकरी का दूध सबसे बेहतर है जिससे शहर तथा आसपास के गांवों में बकरी का दूध 500 रुपए प्रति किलो से अधिक भाव में बिक रहा है। 


हड्डियों के वार्ड में बाहर से लाना पड़ता है सामान
हड्डियों के वार्ड में दाखिल मरीजों के अनुसार उन्हें अधिकतर सामान बाजार से ही खरीद कर लाना पड़ता है। यदि किसी मरीज के प्लेट डाली जानी हो तो मरीज के साथ प्लेट सहित एकमुश्त राशि की बात नीचे का स्टाफ करता है तथा 2 घंटे में ही यह प्लेट आदि उपलब्ध करवा दी जाती है। यह गोरखधंधा बंद होना चाहिए। मरीज को अस्पताल से ही सारी दवाई मुफ्त मिलनी चाहिए।  मरीजों के अनुसार कई बार डाक्टर के छुट्टी पर होने के कारण मरीजों को देखने कोई नहीं आता। अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट न होने के कारण स्कैन का काम प्राइवेट स्कैन सैंटर से करवाना पड़ता है, जो बहुत महंगा होता है व 4 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।


एक दिन में हुए 1218 टैस्ट, फिर भी रहता है रश
जब मरीज दाखिल होता है तो पहले 24 घंटों में मरीज का हर टैस्ट मुफ्त होने के कारण लैब टैस्ट बहुत अधिक होते हैं, जिस कारण लैब में रश बहुत अधिक रहता है। उसके बाद अस्पताल के एकाऊंट सैक्शन में पैसे जमा करवाने वालों की भी भीड़ परेशानी का कारण बनती है। लैब में एक ऑटो एनालाइजर स्थापित किया गया है जिसमें एक साथ विभिन्न तरह के 60 टैस्ट हो जाते हैं। अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार 8 सितम्बर को लैब में 1218 टैस्ट किए गए, जो एक रिकार्ड है।


स्वाइन फ्लू के लिए है आइसोलेटेड वार्ड
सिविल अस्पताल में स्वाइन फ्लू के सम्भावित मरीजों के लिए अलग से स्वाइन फ्लू कॉर्नर बना हुआ है। इस बीमारी के सम्भावित मरीज के अस्पताल पहुंचते ही उसका सारा रिकार्ड उक्त कार्नर में तैयार किया जाता है जिसके बाद उसका सैम्पल टैस्ट के लिए पी.जी.आई. चंडीगढ़ को भेजा जाता है। सिविल अस्पताल में बेशक इस साल स्वाइन फ्लू का एक भी मरीज पॉजिटिव नहींं पाया गया, जबकि संभावित मरीज 30 से अधिक आए हैं। इसके लिए अस्पताल में 10 बैड का एक आइसोलेटेड वार्ड बनाया गया है, जो खाली पड़ा है। 


हम किसी मरीज को अस्पताल में दाखिल करने से इंकार नहींं कर सकते। लैबोरेटरी में रश होने का मुख्य कारण मरीजों की अधिक संख्या है, जिस संबंधी अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया जाता है। अभी हमें सिविल अस्पताल के साथ नशा-मुक्ति संबंधी नशों से पीड़ित लोगों के लिए बने पुनर्वास सैंटर में मैडीकल वार्ड को अस्थायी रूप में शिफ्ट किया गया है। हमारी कोशिश है कि इस इमारत के कुछ हिस्से में भी कुछ बैड लगाकर यहां शिफ्ट किया जाए, इसके लिए उच्चाधिकारियों को लिखा गया है। सफाई न होने संबंधी अचानक चैकिंग कर सफाई ठेकेदार को चेतावनी दी जाएगी तथा इस संबंधी सख्ती से पेश आया जाएगा।’- डा.विजय कुमार एस.एम.ओ.


बकरी के दूध का डेंगू से कोई लेना-देना नहींं है। डेंगू के लिए मरीज को कोई विशेष दवाई खाने की जरूरत नहींं है। अधिक से अधिक तरल पदार्थ का प्रयोग किया जाना चाहिए। यदि प्लेटलेट बहुत कम हो जाएं तो फिर उन्हें प्राप्त करना ही एकमात्र हल है। सिविल अस्पताल में डेंगू टैस्ट की सुविधा उपलब्ध है जबकि अब चिकनगुनिया के टैस्ट भी शुरू हो गए हैं। स्वाइन फ्लू का टैस्ट केवल पी.जी.आई. चंडीगढ़ में होता है।’-डा. मनजिन्द्र सिंह बब्बर
 


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