सिस्टम बदले जाने से जाहिर हुई PTU में महा घोटाले की आशंका, 100 करोड़ तक जा सकती है राशि
punjabkesari.in Thursday, Jan 11, 2018 - 10:24 AM (IST)
जालंधर (राकेश बहल, सोमनाथ कैंथ): पी.टी.यू. के पूर्व उप-कुलपति द्वारा नियुक्त किए गए 12 को-आर्डीनेटर व फैसिलिटेटर (सी. एंड एफ.) विजीलैंस ब्यूरो के निशाने पर हैं। इन को-आर्डीनेटर व फैसिलिटेटर को करोड़ों रुपए की राशि यूनिवॢसटी की तरफ से जारी की गई है। विजीलैंस कडिय़ां जोड़ते हुए इस तह तक जाने की कोशिश में है कि आखिर घोटाले की शुरूआत कहां से हुई है? विजीलैंस को आशंका है कि महा घोटाले की शुरूआत यूनिवॢसटी में सिस्टम बदले जाने से हुई है।
विजीलैंस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि पहले डॉ. रजनीश अरोड़ा ने को-आर्डीनेटर व फैसिलिटेटर की नियुक्ति बिना किसी विज्ञापन के मनमाने ढंग से की तथा 6 सी. एंड एफ. को वर्ष 2012-13 में 2,73,20,000 रुपए तथा वर्ष 2013-14 में 6,53,50,000 रुपए का भुगतान कर दिया। जब मामला बोर्ड ऑफ गवर्नर्ज के ध्यान में आया तो विज्ञापन देकर 12 को-आर्डीनेटर व फैसिलिटेटर नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई लेकिन यूनिवॢसटी द्वारा बनाई गई चयन कमेटी की सिफारिशों को भी नजरअंदाज कर दिया गया। इन में 4 मामलों को नियमों की परवाह तक नहीं गई। एक ऐसी फर्म को काम दे दिया गया जो प्रतीक्षा सूची में भी नहीं थी। विजीलैंस ब्यूरो यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि कितने करोड़ रुपए का भुगतान इनको किया गया । इसके साथ-साथ इन 12 सी.एंड एफ. में से कौन-कौन दोषी हैं जो नियमों और मापदंडों को पूरा नहीं कर रहे थे।
रिजनल सैंटर की जगह नियुक्त किए गए थे सी. एंड एफ.
सी.एंड एफ. की नियुक्ति से पहले यूनिवॢसटी के पास करीब 2 लाख स्टूडैंट थे। स्टूडैंट्स और यूनिवॢसटी के बीच रिजनल सैंटर को-आर्डीनेशन का काम करते थे। इसके बदले में रिजनल सैंटर के अधीन जितने स्टूडैंट आते थे, उनसे ली गई फीस का 18 प्रतिशत रिजनल सैंटर को मिलता था। इस कमीशन के एवज में रिजनल सैंटर द्वारा बेहतर सेवाएं जी जाती थीं और यूनिवॢसटी के पास स्टूडैंट्स भी काफी थे। सिस्टम को बदलते हुए यूनिवॢसटी के उप-कुलपति डॉ. रजनीश अरोड़ा की तरफ से सी. एंड एफ. नियुक्त किए गए। इन सी.एंड एफ. को एक निश्चित राशि अदा होती रही, जोकि करोड़ों में हैं। वहीं रिजनल्स सैंटर जैसे-जैसे घटते गए यूनिवॢसटी में स्टूडैंट्स की संख्या भी घटती गई। इससे यूनिवॢसटी को स्टूडैंट्स से मिलने वाली फीस में भी कमी आ गई। सूत्रों का कहना है कि पहले सरकारी ऑडिट हुआ करता था लेकिन डॉ. रजनीश अरोड़ा ने इसके ऑडिट का काम भी एक प्राइवेट कंपनी को दे दिया था, इसके लिए भी लाखों रुपए दिए जाते थे।
विजीलैंस के सवालों के आगे बेबस नजर आए हिरासत में मुस्कुराने वाले पूर्व उप-कुलपति सवालों के जवाब देते समय बार-बार मांगा पानी
कपूरथला (भूषण): सोमवार को अपनी गिरफ्तारी के दिन पुलिस हिरासत में मुस्कुराने वाले पंजाब टैक्रीकल यूनिवॢसटी के पूर्व उप-कुलपति डॉ. रजनीश अरोड़ा के तेवर बुधवार को विजीलैंस ब्यूरो की 4 घंटे की पूछताछ के दौरान बदले से नजर आए। विजीलैंस ब्यूरो द्वारा पी.टी.यू. से कब्जे में लिए गए दस्तावेजों के आधार पर जब आरोपी पूर्व उप-कुलपति से सवालों की बौछार की गई तो डॉ. रजनीश अरोड़ा पूरी तरह से बेबस नजर आए। इस दौरान आरोपी ने करीब 10 बार पानी मांगा।
विजीलैंस ब्यूरो के पूर्व उप-कुलपति से 10 सवाल
डी.एस.पी. विजीलैंस ब्यूरो कर्मजीत सिंह चाहल के नेतृत्व में बनी विशेष टीम जिसमें 2 इंस्पैक्टर रैंक के अधिकारी भी शामिल थे, द्वारा पूर्व उप-कुलपति से इन सवालों के जवाब मांगे गए...
सवाल नं.-1 आखिर क्यों नई दिल्ली से संबंधित नैट आई.आई.टी. पर इतनी नजरें ईनायत की गईं?
सवाल नं.-2 पंजाब टैक्रीकल यूनिवॢसटी का दिल्ली कार्यालय क्यों नैट आई.आई.टी. के हैड क्वार्टर में खोला गया?
सवाल नं.-3 नैट आई.आई.टी. को अदा की गई 25 करोड़ रुपए की रकम में से किस किसको पिछले दरवाजे से कमीशन की रकम पहुंची?
सवाल नं.-4 कितने चहेतों को पंजाब टैक्रीकल यूनिवॢसटी में ए तथा बी कैटेगरी में एडजस्ट किया गया?
सवाल नं.-5 किन-किन प्रभावशाली राजनेताओं के इशारे पर चलता था, पंजाब टैक्रीकल यूनिवॢसटी का कामकाज?
सवाल नं.-6 किस बेहद प्रभावशाली व्यक्ति के इशारे पर किया जाता था, तत्कालीन मुख्य सचिव के दिशा निर्देशों को दरकिनार?
सवाल नं.-7 पंजाब टैक्रीकल यूनिवॢसटी के तहत आने वाले किस-किस कालेज पर की गई खास मेहरबानी?
सवाल नं.-8 इस पूरे प्रकरण में नामजद आरोपियों के अतिरिक्त और कौन-कौन से पी.टी.यू. अधिकारी शामिल हैं?
सवाल नं.-9 पब्लिक डीङ्क्षलग से जुड़ी अहम सीटों पर आखिर क्यों की गई चहेतों की लंबे समय तक तैनाती?
सवाल नं.-10 आखिर क्या था, उत्तर-पूर्वी राज्यों में चलने वाले लॄनग सैंटरों को बंद करने का मुख्य मकसद?
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