बादल की ‘लंबी’ पारी को कैप्टन देना चाहते हैं ‘विराम’
punjabkesari.in Sunday, Jan 15, 2017 - 01:03 PM (IST)
चंडीगढ़(अश्वनी कुमार):पंजाब के पुरोधा नेता व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की ‘लंबी’ सियासी पारी को पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अमरेंद्र सिंह ‘विराम’ देने के मूड में हैं। कैप्टन ने विधानसभा क्षेत्र लंबी से चुनाव लडने की ख्वाहिश जताई है। हालांकि लंबी विधानसभा क्षेत्र अकाली दल की सबसे सेफ सीट रही है। अब तक 12 विधानसभा चुनाव में अकाली दल ने लंबी सीट पर 7 बार फतेह पाई है। इसमें अकेले प्रकाश सिंह बादल 4 बार जीत हासिल कर 2 बार पंजाब के मुख्यमंत्री का ताज पहन चुके हैं।
कैप्टन द्वारा लंबी से चुनाव लडने के फैसले ने सभी राजनीतिक विशेषज्ञों को भी चौंका दिया है। हालांकि विशेषज्ञ अभी से ही लंबी की इस सीट पर कैप्टन की फतेह को लेकर थोड़ा असमंजस में हैं लेकिन कैप्टन के सत्ता परिवर्तन की क्षमता पर भी उनको काफी भरोसा है। अमृतसर में लोकसभा चुनाव की जीत इसका जीता-जागता उदाहरण है। अमृतसर लोकसभा सीट पर पूर्व भाजपा नेता नवजोत सिंह सिद्धू का दबादबा था। भाजपा की सीट होने के कारण ही मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेतली अमृतसर से दाव लगाने उतरे, जिसके जवाब में कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता कैप्टन अमरेंद्र सिंह को उतार दिया था और कैप्टन कांग्रेस की उम्मीदों पर खरे साबित हुए व करीब एक लाख वोटों से अरुण जेतली को शिकस्त दी।
कैप्टन में जीत की क्षमता सबसे अहम
राजनीतिक विशेषज्ञ कैप्टन की जीत की क्षमता को अहम मानते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अमृतसर लोकसभा सीट पर 2004 से लेकर 2009 तक तत्कालीन भाजपा के कद्दावर नेता नवजोत सिंह सिद्धू का दबदबा रहा था लेकिन 2014 में कैप्टन ने पहली बार इस क्षेत्र में मैदान में उतरकर सारे सियासी समीकरण बदल दिए।
राजनीतिक टर्न
अगर कैप्टन विधानसभा क्षेत्र लंबी से दाव लगाते हैं तो पूरे पंजाब के सियासी समीकरण बदलने तय हैं। ऐसा इसलिए है कि अगर कैप्टन सीधे बादल के खिलाफ उतरते हैं तो पंजाब का यह चुनाव सीधे तौर पर कांग्रेस बनाम अकाली हो सकता है। मौजूदा समय में आम आदमी पार्टी इन दोनों सियासी दलों के बीच पहली बार विधानसभा में दाव खेल रही है। पंजाब का सियासी समीकरण त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है। ऐसे में कैप्टन बनाम बादल होने से पूरी सियासत कांग्रेस बनाम अकाली दल पर टिक सकती है।
लंबी से पहली बार कांग्रेस ने खोला था जीत का खाता
लंबी विधानसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने के बाद सबसे पहले कांग्रेस ने यहां पर जीत का खाता खोला था। हालांकि कांग्रेस इस सीट पर हमेशा जीत कायम नहीं रख पाई है। कांग्रेस के अलावा सी.पी.आई. ने भी इस विधानसभा क्षेत्र पर जीत दर्ज की है। हालांकि प्रकाश सिंह बादल के मैदान में उतरने के बाद से इस सीट पर हमेशा शिअद ही जीतता रहा है। यह अलग बात है कि प्रकाश सिंह बादल की जीत का मार्जिन घटता-बढ़ता रहा है। 1997 में करीब 31 फीसदी मार्जिन से जीतने वाले प्रकाश सिंह बादल के साथ कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि यह मार्जिन गिरकर 8 फीसदी के आसपास ही रह गया है। 2012 के चुनाव में प्रकाश सिंह बादल का जीत मार्जिन करीब 20 फीसदी रहा था।
आंकड़ों की जुबानी लंबी विधानसभा क्षेत्र की कहानी
साल | जीत | हार |
1962 | उजागर सिंह (कांग्रेस) | तेज सिंह (शिअद) |
1967 | एस. चंद (कांग्रेस) | डी. राम (सी.पी.आई.) |
1969 | दाना राम (सी.पी.आई.) | चरण सिंह (बी.जे.एस.) |
1972 | दाना राम (सी.पी.आई.) | शिव चंद (शिअद) |
1977 | गुरदास सिंह (शिअद) | गुरदर्शन सिंह (कांग्रेस) |
1980 | हरदीपेंद्र सिंह (शिअद) | गुरदर्शन सिंह (कांग्रेस) |
1985 | हरदीपेंद्र सिंह (शिअद) | बलविंद्र सिंह (कांग्रेस) |
1992 | गुरनाम सिंह (कांग्रेस) | नोतेज सिंह (बी.एस.पी.) |
1997 | प्रकाश सिंह बादल (शिअद) | गुरनाम सिंह (कांग्रेस) |
2002 | प्रकाश सिंह बादल (शिअद) | महेशइंद्र सिंह (कांग्रेस) |
2007 | प्रकाश सिंह बादल (शिअद) | महेशइंद्र सिंह (कांग्रेस) |
2012 | प्रकाश सिंह बादल (शिअद) | महेशइंद्र सिंह (कांग्रेस) |