डेराबस्सी की चुनावी बिसात पर सबके अहम मोहरे

punjabkesari.in Friday, Feb 03, 2017 - 11:49 AM (IST)

डेराबस्सी : चुनाव के दौरान वायदों की बौछार न हो, ऐसा हो नहीं सकता। डेराबस्सी में भी घर-घर हाथ जोडऩे वाले नेता इन दिनों यही कर रहे हैं। हालांकि वोटर्स अब लुभावने वायदों तक ही सीमित नहीं हैं। उनकी राय में उनका नेता वही होगा, जो जीतने के बाद वी.आई.पी. नहीं बल्कि आम आदमी की तरह उनके बीच रहकर दिक्कतों, परेशानियों को दूर करेगा। डेराबस्सी में दिक्कत-परेशानियों की कोई कमी नहीं है। स्मार्ट सिटी चंडीगढ़ से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर बसे होने के बावजूद यहां के बाशिंदे सड़क-गली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज हैं। बेशक दिल्ली से चंडीगढ़ के बीच सरपट दौड़ते हाईवे के आसपास बड़ी-बड़ी बुलंद इमारतें विकास के गीत तो सुनाती हैं लेकिन जीरकपुर, डेराबस्सी, लालड़ू, दप्पर, भांखरपुर, बलटाना, ढकोली, गाजीपुर से लेकर सिंहपुरा, लौहगढ़, हंसाला, फतेहपुर, जसतांणा, हंडेसरा तक के अंदरूनी ग्रामीण इलाकों तक का सफर तय करते ही विकास बेसुरे राग में तबदील हो जाता है। गांव तक जाने वाली सड़कों की हालत जर्जर है तो डेराबस्सी व लालड़ू में दारू फैक्टरियां, दवा फैक्टरियां, पोल्ट्री फाम्र्स, मीट प्लांट ने प्राकृतिक नदी-नालों में प्रदूषण सहित आबो-हवा का मिजाज भी गड़बड़ा दिया है।

हालांकि सर्द मौसम में सियासी हवा का मिजाज काफी गर्म है। यह पहला मौका है जब इस विधानसभा क्षेत्र में कड़े त्रिकोणीय मुकाबले की बिसात बिछी है। कांग्रेस से जहां दीपेंन्द्र सिंह ढिल्लों किस्मत आजमाने चुनाव मैदान में उतरे हैं तो शिअद के चुनाव चिन्ह के तले एन.के. शर्मा दूसरी बार विधायक बनने का सपना संजोए हुए हैं। इनके बीच तीसरी प्रत्याशी हैं शिअद के दिग्गज नेता स्वर्गीय कैप्टन कंवलजीत सिंह की पत्नी व आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी सर्बजीत कौर। पूरे पंजाब में तीसरे मजबूत दावेदार दल (आम आदमी पार्टी) की तरह सर्बजीत कौर यहां कांटे की टक्कर दे रही हैं। घर-घर वोटर्स से संपर्क साधने के साथ-साथ सर्बजीत कौर सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव हैं।

कांग्रेस का चुनावी पैंतरा
इस बार कांग्रेस की कोशिश जहां डेराबस्सी में आपसी खींचतान का सफाया करने की रही है वहीं चुनावी पैंतरा खेलते हुए कांग्रेस ने वोटबैंक में सेंधमारी की गुजाइंश को भी पूरी तरह खत्म कर दिया है। इसलिए कांग्रेस ने दीपेंद्र सिंह ढिल्लों को टिकट दिया है। ढिल्लों 2012 में आजाद उम्मीदवार होते हुए भी दूसरे सबसे ज्यादा 51248 वोट पाने वाले उम्मीदवार थे। सियासी विशेषज्ञों का मानना है कि 2012 में ढिल्लों की कांग्रेस के वोटबैंक में सेंधमारी की वजह से ही कांग्रेस हाशिए पर पहुंची थी। इसलिए कांग्रेस ने इस बार ऐसी कोई भी गलती करने से तौबा की है। ढिल्लों यहां बड़ा सियासी चेहरा हैं। वह जनता के साथ सीधे संपर्क में रहते हैं। कांग्रेस को भी पूरी उम्मीद है कि दीपेंद्र न केवल अपने वोटबैंक को मजबूत बनाए रखेंगे बल्कि विपक्षी दलों के गढ़ में सेंधमारी कर जीत का रास्ता आसानी से तय कर सकेंगे। 

वोटबैंक में सेंधमारी अहम

विकास, बेरोजगारी, मूलभूत सुविधाओं की दरकार से परे डेराबस्सी विधानसभा क्षेत्र में सियासी दलों का वोटबैंक में सेंधमारी को लेकर गणित बैठा पाना काफी कुछ तय करेगा। ऐसा इसलिए भी है कि पिछली बार वोटबैंक में सेंधमारी ने पंजाब की सबसे बड़ी कांग्रेस पार्टी तक को हाशिए पर पहुंचा दिया था। कांग्रेस को 2012 में इस विधानसभा क्षेत्र से महज 9484 वोट ही मिले थे। तब सियासी विशेषज्ञों ने कांग्रेस के वोटबैंक में सेंधमारी को इसकी बड़ी वजह माना था। हालांकि इस बार तस्वीर बिल्कुल बदली हुई है। इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है।

आम आदमी पार्टी का सॉफ्ट कॉर्नर
विपक्षी दलों के सियासी चक्रव्यूह में आम आदमी पार्टी सॉफ्ट कार्नर तलाश कर गर्मजोशी के साथ विजय पताका फहराना चाहती है। इसीलिए उन्होंने शिअद के दिग्गज नेता स्वर्गीय कैप्टन कंवलजीत सिंह की पत्नी सर्बजीत कौर पर दाव खेला है। सियासी विशेषज्ञों की मानें तो डेराबस्सी विधानसभा क्षेत्र में कैप्टन कंवलजीत सिंह का काफी रसूख रहा है। यहां के मतदाता कैप्टन के प्रति काफी आदर-सम्मान का भाव रखते हैं। यही वजह है कि 2012 में उनकी बेटी मनप्रीत कौर डॉली जब आजाद प्रत्याशी के तौर पर उतरीं तो उन्हें पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब के प्रत्याशी से ज्यादा व कांग्रेसी उम्मीदवार के लगभग बराबर 7563 वोट मिले। इसलिए आम आदमी पार्टी ने इस बार सीधे स्वर्गीय कैप्टन कंवलजीत की पत्नी सर्बजीत कौर को उतारा है ताकि वह सीधे विपक्षी दलों के वोटबैंक में सेंधमारी कर सकें। उस पर महिला चेहरा होने के नाते भी आम आदमी पार्टी को उम्मीद है कि सर्बजीत कौर डेराबस्सी की करीब 113006 मतदाताओं में अपनी पैठ बनाने में सफल रहेंगी।

एंटी इंकम्बैंसी को तोडऩे की कोशिश में हैं शर्मा
शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार एन.के. शर्मा इस बार एंटी इंकम्बैंसी को तोड़कर फतह हासिल करने के मूड में हैं। उनका गणित भी बिल्कुल वोटबैंक में सेंधमारी का ही है। सियासी विशेषज्ञों की मानें तो शर्मा ने 2012 विधानसभा चुनाव में करीब 63285 वोट लेकर जीत हासिल की थी। तब मतदाताओं की संख्या करीब 172656 थी जबकि कुल 141669 वोट पोल हुए थे, जिनमें से 25 रिजैक्ट हो गए थे। 2017 में डेराबस्सी के वोटर्स की संख्या बढ़कर अब करीब 238560 हो गई है। सियासी माहिरों के मुताबिक एन.के. शर्मा की कोशिश इन्हीं वोटर्स के बलबूते दोबारा विधायक बनने की है। इसलिए वह नए वोटर्स को रिझाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं ताकि अगर एंटी इंकम्बैंसी फैक्टर हावी भी होता है तो ये वोटर्स एंटी इंकम्बैंसी की दीवार को तोड़कर उनकी जीत का रास्ता तैयार कर सकें।


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