‘आप’ ने काटे वोट तो  अकाली -भाजपा गठबंधन की बची लाज

punjabkesari.in Wednesday, Mar 15, 2017 - 11:07 AM (IST)

जालंधरः पंजाब विधानसभा के लिए हुए चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। जो पार्टियां चुनाव हारी हैं उनमें आत्ममंथन शुरू हो गया है। साल 2012 के चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें जीत कर बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरे शिरोमणि अकाली दल को 2017 के चुनाव में मात्र 15 सीटों पर ही सब्र करना पड़ा है। वहीं राजनीतिक पाॢटयों के तौर पर बात करें तो शिरोमणि अकाली दल तीसरे पायदान पर खिसक गया है जबकि आम आदमी पार्टी बड़े विरोधी दल के रूप में उभरी है। 2012 के चुनाव में सबसे बड़े राजनीतिक दल के तीसरे नंबर पर खिसक जाने से राजनीति के माहिरों में चर्चा छिड़ गई है। उनके अनुसार अकाली दल-भाजपा ने जो 18 सीटों पर जीत हासिल की है उनमें से 15 सीटें ऐसी हैं जहां से किसी बड़े वोट अंतर के साथ गठबंधन नहीं जीत पाया है। माहिरों के मुताबिक यह जीत सिर्फ आम आदमी पार्टी के वोट विभाजन के कारण संभव हो पाई है। इन सीटों में अकाली दल के प्रधान पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल की सीट भी शामिल है। भाजपा ने भी तीनों सीटें वोट बंटवारे के कारण जीती हैं। अगर इन सीटों पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के वोट मिला लिए जाएं तो शिअद-भाजपा गठबंधन ये सीटें भी हार जाता है।   

सियासी माहिरों के अनुसार सिर्फ 3 सीटों पर ही अकाली दल मजबूत स्थिति में रहा है। लंबी में जहां से प्रकाश सिंह बादल जीते हैं, इस सीट से शिअद को 66,375 वोट पड़े हैं जबकि कांग्रेस को 43,605 और ‘आप’ को 21,254 वोट पड़े। कांग्रेस और  ‘आप’ के वोट को मिला लिया जाए तो ये 64,859 बैठते हैं। मजीठा विधानसभा हलका से बिक्रम मजीठिया को 65,803 वोट मिले जबकि कांग्रेस को 42,919 और ‘आप’ को 10,252 वोट पड़े। कांग्रेस और ‘आप’ के वोटों को मिला लिया जाए तो ये 53,171 हैं। वहीं लहरा से परमिंद्र सिंह ढींडसा जो कि शिअद कैंडिडेट थे उन्हें 65,550 वोट मिले हैं वहीं कांग्रेस के 38,735 और ‘आप’ को 25,089 वोट पड़े। दोनों का जोड़ 63,824 है जो कि परमिंद्र सिंह ढींडसा को मिले वोटों से कम हैं।


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