निगम चुनाव में मुद्दा बनेंगी टूटी सड़कें,कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है खमियाजा

punjabkesari.in Tuesday, Aug 22, 2017 - 09:22 AM (IST)

जालंधर(खुराना): आज से करीब 3 साल पहले जब लोकसभा चुनाव हुए थे तब पूरे देश में मोदी लहर थी और अकाली-भाजपा का जलवा भी बरकरार था परन्तु तब सत्तापक्ष के गठबंधन के उम्मीदवार पवन टीनू की हार का मुख्य कारण जालंधर शहर की सड़कें बनी थीं, जो उन दिनों काफी खस्ताहाल थीं।

तब अकाली-भाजपा गठबंधन के सबसे शक्तिशाली शख्स सुखबीर बादल ने टूटी सड़कों के लिए शहरियों से माफी तक मांगी थी परन्तु फिर भी जालंधर के लोगों ने सड़कों के मुद्दे पर अकाली-भाजपा विरुद्ध वोट दिए थे। अब पंजाब में कांग्रेस की सरकार बने 6 महीने होने को हैं और 2 बरसातों से ही शहर की ज्यादातर सड़कें काफी ज्यादा टूट गई हैं। माना जा रहा है कि यही टूटी सड़कें आने वाले निगम चुनाव में मुख्य मुद्दा बनेंगी।

गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी नवम्बर-दिसम्बर में निगम चुनाव करवाने का प्रयास कर रही है परन्तु इन बरसातों के खत्म होते ही सॢदयों का मौसम शुरू हो जाएगा, जो फरवरी-मार्च तक चलेगा। ऐसे में अब सड़कों के निर्माण का कार्य चालू होने की उम्मीद नहीं है इसलिए माना जा रहा है कि आगामी निगम चुनाव में टूटी सड़कों के मसले पर कांग्रेसी उम्मीदवारों को खमियाजा भुगतना पड़ सकता है। 

निगम से बिल्कुल आऊट ऑफ टच हुए कांग्रेसी पार्षद
पंजाब में कांग्रेस सरकार बनने के बाद हर कांग्रेसी नेता में जोश की लहर थी, जो धीरे-धीरे गायब होती दिख रही है। इसी कारण आजकल ज्यादातर कांग्रेसी पार्षद निगम से बिल्कुल आऊट ऑफ टच चल रहे हैं। पिछले 10 साल दौरान कांग्रेसी पार्षदों ने विपक्ष में बैठकर निगम की नाक में दम किए रखा परन्तु अब वैसी कार्यशैली को कांग्रेसी पार्षद चुपचाप सहन कर रहे हैं।

कांग्रेसी पार्षदों के वार्डों में भी बुरा हाल होता जा रहा है। उन्हें लोगों की ताने सुनने पड़ रहे हैं कि सरकार आने के बावजूद निगम में कुछ नहीं बदला। यही कारण है कि आगामी निगम चुनाव को लेकर कांग्रेसियों में मायूसी छा रही है और अकाली-भाजपा नेता दोबारा एक्टिव होने शुरू हो गए हैं।


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