क्या पानी में डूब जाएगा प्राचीन पावन मुक्तेश्वर धाम ?

punjabkesari.in Wednesday, Mar 08, 2017 - 10:21 AM (IST)

जुगियाल (शर्मा): गत दिनों शाहपुरकंडी बैराज बांध के पिछले लगभग 3 वर्षों से बंद पड़े निर्माण कार्य को दोबारा शुरू करवाने के लिए दोनों राज्यों के सिंचाई सचिवों की हुई बैठक में काम दोबारा शुरू करवाने की सहमति लगभग बन चुकी है। इस बांध कार्य के शुरू होने की खबर से मुक्तेश्वर महादेव शिव मंदिर के श्रद्धालुओं को पावन धाम का अस्तित्व एक बार फिर से खतरे में लगने लगा है। 5,600 वर्ष पुराना है मुक्तेश्वर महादेव शिव मंदिर का इतिहास वर्णनीय है कि पंजाब के जिला पठानकोट तहसील धारकलां के रावी दरिया के तट पर गांव डूंग में स्थित मुक्तेश्वर महादेव शिव मंदिर का इतिहास लगभग 5,600 वर्ष पुराना है।

पांडव अपने अज्ञातवास दौरान यहां पहुंचे थे। उनके द्वारा यह पहाड़ काट कर गुफाओं का निर्माण किया गया था। उनके द्वारा स्थापित किया गया शिवलिंग तथा धूना आज भी उसी जगह पर है। शिव मंदिर मुक्तेश्वर महादेव पांडव गुफाओं को हिंदू धर्म में मिनी हरिद्वार जैसी महत्ता मिली है। यहां लोग अपने मृतक जन की अस्थियों को प्रवाहित करते हैं। लोगों की धार्मिक आस्था है कि यहां अस्थियां प्रवाहित करने व स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।


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