कोरोनाकाल एक भयानक त्रासदी, कुछ पहलू सुखद भी हैं और दुखद भी !

punjabkesari.in Wednesday, Jun 24, 2020 - 02:29 PM (IST)

विश्व के इतिहास में प्राय हर युग में कोई प्राकृतिक अथवा मानवनिर्मित आपदा देखने को मिलती है। चाहे वो फिर बाढ़ आंधी, या तूफान के रूप में हो। युद्ध की स्थिति ने अथवा प्रचंड गर्मी या फिर अत्याधिक ठंड ने कभी अकाल ने तो कभी अत्याधिक हिमपात गिरने से लोगों को दुनियाभर में काल का ग्रास बना डाला। भूकंप व च्रकवात ने भी समय-समय पर भिन्न्न-भिन्न स्थानों में मौत का तंडाव किया है।

(फोटो: लेखक कुलदीप जस्टा) 

सतयुग में मर्यादाओं का अभाव, त्रेतायुग में रामायण, द्वापर युग में महाभारत व कलियुग में हुए विभिन्न युद्धों के अतिरिक्त प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध भी मानव निर्मित आपदाओं के प्रत्यक्ष व उचित उदाहरण है। जिसमें लाखों निर्दोष लोग अकाल मृत्यु के शिकार हो गए। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक आपदाएं ऐसी भी हैं जिन्हें परोक्ष व प्रत्यक्ष रूप से हम मानव को ही दोषी उत्तरदाई ठहराएं तो अनुचित नहीं होगा।

वर्तमान समय में सम्पूर्ण विश्व में समस्त मानवजाति विश्वव्यापी महामारी कोरोना से जूझ रही है, जो कि मानव निर्मित आपदा का अब तक का सबसे बड़ा उदाहरण है । यह वायरस दिसंबर 2019 को चीन के वुहान नाम के शहर से उत्पन्न हुआ जिसने आज दुनिया भर के सभी देशों के लाखों लोगों को शिकंजे में जकड़ लिया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया है। यह वायरस बहुत सूक्ष्म लेकिन बहुत प्रभावशाली है, जोकि मानव के बाल की तुलना में 900 गुणा छोटा है तथा इसका संक्रमण तेजी से फैलता है। इस वायरस का संबंध वायरस के एक ऐसे परिवार से है जिसके सक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने तक की समस्या हो सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार संक्रमित व्यक्ति को बुखार, खांसी, गले में दर्द, सांस लेने में तकलीफ इत्यादि इसके मुख्य लक्षण है। जिसके उपचार हेतु अभी तक कोई टीका व दवाई नहीं बनी है। यद्यपि अमेरिका जर्मनी इजराइल फांस, भारत तथा विकसित देशों के वैज्ञानिक कोरोना के उपचार हेतु वैक्सीन बनाने में लगे हैं। वर्तमान में परेहज ही इसका एकमात्र बचाव है।

कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर के देशों में लॉकडाउन लागू किया गया है, जिसके चलते अमेरिका ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन जैसे विकसित देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है व जानमाल का सबसे अधिक नुकसान भी इन्हीं देशों को हुआ है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री तक कोरोना के शिकार हुए। 

जहां तक कोरोना वायरस के चलते भारत देश का प्रश्न आता है तो यहां देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने मार्च महीने के अंतिम सप्ताह 24 मार्च को लॉकडाऊन के प्रथम चरण की घोषणा की थी जिसके परिणाम स्वरूप हमारे देश की स्थिति अब तक अन्य देशों की तुलना में बेहतर है।

कोरोना महामारी के चलते हमारे देश की मृत्युदर काफी कम है तथा संक्रमितों के स्वस्थ्य होने की दर में भी काफी सुधार आया है। यदपि लॉकडान 3.0 के दौरान लोगों को दूसरे राज्यों से अपने घरों की और जाने हेतु मिली छूट के कारण संक्रमितों की संख्या में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है। 

एक ओर कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में हा हाकर मच गया है, स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यालय अन्य समस्त तकनीकों व औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बंद हुए हैं तदापि इन सभी नकारात्मक पहलुओं के बावजूद देश अथव दुनिया के पर्यावरणीय प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। हमारे देश की पवित्र नदिया (गंगा, यमुना इत्यादि) का पानी शुद्धता के पैमाने पर काफी बेहतर पाया गया है। शहरों, नगरों, महानगरों के पर्यावरणीय स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ है।

इसके अलावा विश्व भर में बढ़ते तापमान व प्रदूषण के कारण समस्त प्राणियों को लिए लाभप्रद ओजोन परत में बने छेद भी इस दौरान प्रदूषण में आई गिरावट के कारण भर गए हैं।  हम यह कह सकते हैं कि जो कुछ भी अथवा जब भी इस दुनिया में कुछ अशुभ घटना घटित होती है तो उसके परिणाम स्वरूप हुए नाकारत्मक परिणामों के मध्य कुछ सकारात्मक परिणाम भी अवश्य निकलते हैं। अंत में मैं इन पंक्तियों के साथ अपनी बात पूरी करना चाहूंगा कि--

एक अदृश्य खौफ से हम संघर्षरत हैं
लौट आएंगे फिर से सुनहरे पल
विश्वास ऐसा मन में शत-प्रतिशत है।

(लेखक हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल के एनएसएस प्रभारी हैं, यह उनके के निजी विचार हैं )
 

Suraj Thakur