50 लाख के वार्षिक घाटे पर चल रही है अमृतसर-लाहौर दोस्ती बस

punjabkesari.in Monday, Feb 25, 2019 - 12:05 PM (IST)

अमृतसर(नीरज): पुलवामा आतंकवादी हमलों के बाद जहां भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली दोस्ती बसों को बंद करने की मांग जोर पकड़ रही है। वहीं अमृतसर-लाहौर के बीच चलने वाली दोस्ती बस भारत सरकार को हर वर्ष 50 लाख रुपए का घाटा लग रहा हैं। अमृतसर के इंटरनैशनल बस टर्मिनल से लाहौर के लिए चलने वाली इस बस में सिर्फ 2 या 3 यात्री ही सवार होते हैं जिसके कारण बस के कर्मचारियों व अन्य खर्च पूरे नहीं हो पाते हैं। पुलवामा हमले के बाद तो इस बस को कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच पाकिस्तान के लिए ले जाया  जाता है।  

अमृतसर बस टर्मिनल से लेकर अटारी बार्डर तक पुलिस के कड़े सुरक्षा घेरे में यह बस पाकिस्तान ले जाई जाती है। पाकिस्तान से अमृतसर आते वक्त भी इस पर कड़े सुरक्षा प्रबंध रहते हैं। जानकारी के अनुसार 24 मार्च 2006 को पूर्व प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह ने इस बस का उद्घाटन किया था ताकि पंजाब जिसमें मुख्य रूप से अमृतसर के यात्री इस लग्जरी बस में सवार होकर श्री गुरु नानक देव जी के जन्मस्थान ननकाना साहिब के दर्शन कर सकें। 

इसके उद्घाटन अवसर पर ही 54 सरकारी अधिकारियों का एक दल पाकिस्तान गया था लेकिन उसके बाद से इस बस में बैठने वाले यात्रियों की संख्या लगातार कम होती गई आज हालत यह है कि इस बस में 1 या 2 यात्रियों के अलावा कोई यात्री सफर नहीं करते हैं। कई बार तो इस बस को खाली पाकिस्तान ले जाया जाता है। सप्ताह में चार दिन चलने वाली इस बस में 1200 रुपया खर्च करके यात्रा की जा सकती है। यह बस सुबह 9.30 बजे पाकिस्तान के लिए रवाना होती है।

मलेरकोटला व जम्मू-कश्मीर के यात्री करते हैं सफर

अमृतसर-लाहौर चलने वाली बस को पूर्व प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह ने खास तौर पर सिख श्रद्धालुओं व पंजाबियों के लिए शुरू किया था ताकि श्रद्धाल श्री ननकाना साहिब के दर्शन कर सकें लेकिन वीजा सुविधा दिल्ली में होना व आतंकवाद प्रभावित राज्य के टैग के कारण सिख श्रद्धालु इस सेवा का फायदा नहीं उठा सके उल्टा जम्मू-कश्मीर, मलेरकोटला व कादिया के निवासी ही कभी कभार इस बस में यात्रा करते हैं।

दिल्ली से लेना पड़ता है वीजा, अमृतसर लाहौर के लिए लेनी पड़ती है पुलिस क्लीयरैंस

पूर्व प्रधानमंत्री की तरफ से इस बस का उद्घाटन करते समय यह योजना थी कि सिख श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के ननकाना साहिब जा सकें लेकिन विडंबना यह रही कि इस बस में यात्रा करने के लिए वीजा दिल्ली से लेना पड़ता है। इतना ही नहीं जो यात्री इस बस में सवार होता है उसको पुलिस का क्लीयरैंस सार्टीफिकेट भी लेना पड़ता है जो आसानी से नहीं मिलता है इसकी तुलना दिल्ली-लाहौर के बीच चलने वाली दोस्ती बस के जरिए जो यात्री यात्रा करते हैं उनको पुलिस क्लीयरैंस सर्टीफिकेट नहीं लेना पड़ता। यही कारण है कि ज्यादातर लोग दिल्ली से वीजा लगवा लेते हैं और वहीं से दिल्ली लाहौर बस में सवार होकर पाकिस्तान चले जाते हैं। कई धार्मिक संस्थाओं की तरफ से लंबे समय से यह मांग की जा रही है कि अमृतसर-लाहौर बस के लिए वीजा अमृतसर से दिया जाए इसके अलावा पुलिस क्लीयरैंस सर्टीफिकेट की शर्त को हटाया जाए लेकिन सरकार ने इस मांग को आज तक पूरा नहीं किया है। पंजाब के ऊपर आज भी आतंकवाद प्रभावित राज्य का टैग केन्द्र सरकार ने लगाया हुआ है। इन हालात में अमृतसर-लाहौर बस या फिर पंज-आब बस को जिस मकसद से चलाया गया था उसके मायने ही नहीं रहते हैं। 

पाकिस्तानी आतंकवादियों ने भी दे रखी है बस को उड़ाने की धमकी
भारत-पाकिस्तान के बीच वाघा-अटारी बार्डर के रास्ते चलने वाली दोस्ती बसों को बंद करने की मांग सिर्फ भारत में ही नहीं उठ रही है बल्कि पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों चाहे जैश-ए-मोहम्मद हो या फिर तहरीक ऐ तालिबान हो इन आतंकी संगठनों की तरफ से भी इन बसों को उड़ाने की धमकी कई बार दी जा चुकी है। यही कारण है कि जब अमृतसर-लाहौर बस अमृतसर से अटारी बार्डर क्रास करके पाकिस्तान के वाघा बार्डर में प्रवेश करती है तो इस बस को वहीं पर ही खड़ कर दिया जाता है। 

भारत में केन्द्र सरकार तो पाकिस्तान में टूरिज्म विभाग उठाता है खर्च
अमृतसर-लाहौर चलने वाली पंज-आब बस की बात करें तो भारतीय खेमें में जब इस बस सेवा को शुरू किया गया तो इसका खर्च पंजाब सरकार की तरफ से उठाया जाता था लेकिन लगातार घाटा होने के चलते पंजाब सरकार की तरफ से केन्द्र सरकार को इस बस सेवा का खर्च उठाने का प्रस्ताव पेश किया गया जिसके बाद केन्द्र सरकार की तरफ से पंजाब सरकार को दो बसें दी गई और सारा खर्च भी केन्द्र सरकार ही उठा रही है इसकी तुलना पाकिस्तान में इस बस सेवा का सारा खर्च पाकिस्तान का टूरिज्म विभाग उठा रहा है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

swetha

Recommended News

Related News