मौत के साए में पढऩे पर मजबूर हैं नौनिहाल

punjabkesari.in Wednesday, Sep 04, 2019 - 09:36 AM (IST)

अमृतसर(सफर): जिस शहर ने पंजाब को 3 शिक्षा मंत्री दिए हों। जिस जिले के पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सांसद रहे हो। जिस शहर को देश के 10 स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया हो। जो शहर पंजाब में सबसे अधिक लंगर लगाने व जगराता के लिए प्रसिद्ध हो। उस शहर के इस स्कूल का सूरत-ए-हाल बेहाल है और आप देखकर हैरान रह जाएंगे। स्कूल की यह तस्वीर नगर निगम के हद में है और हद इस बात की है कि कोट मित्त सिंह स्थित इस स्कूल में 300 से अधिक देश के नौनिहाल मौत के साए में पढऩे के लिए मजबूर हैं। बीते 27 जनवरी को सुबह स्कूल की छत जब गिरी तब बच्चे बाल-बाल बच गए। स्कूल की हालत इतनी खस्ता है कि बच्चे खौफ के चलते स्कूल छोड़ रहे हैं। 

पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता मंदीप सिंह मन्ना मंगलवार को मीडिया के साथ कोट मित्त सिंह के इस स्कूल पहुंचे। इस स्कूल की दशा देख व बच्चों की स्मार्ट क्लासें देख कलेजा मुंह को आ रहा था। टूटी छतें, बंद पड़ी ठंडे पानी की मशीन, आर.ओ. सिस्टम पर मिट्टी व मकड़ी के जाले, सीलन भरे कमरे में जमीन पर बैठे नौनिहाल को देख यही लग रहा था कि यह देश के 10 स्मार्ट सिटी शहर का हिस्सा नहीं बल्कि किसी आदिवासी इलाके में स्कूल की तस्वीर हो। स्कूल की प्रिंसीपल गुरमीत कौर कहती हैं कि कई बार जिला शिक्षा अधिकारी को चिट्ठी लिखी। सी.एम. व एजूकेशन मिनिस्टर को चिट्ठी लिखकर स्कूल के बारे में बताया लेकिन हालत जस की तस है। 

पढ़ा रही हैं 10 टीचरें 
स्कूल में कुल 310 बच्चे हैं। 10 टीचर हैं। बच्चों के ख्वाब ऊंचे हैं। डर लगता है स्कूल आते हुए। सुबह जैसे ही आसमान में बादल घुमड़ते हैं बच्चे स्कूल न जाने की जिद पर अड़ जाते हैं। अभिभावक से लेकर स्कूल की टीचर भी जानती हैं कि हादसा कभी भी हो सकता है लेकिन क्या करें। बच्चों की क्लास मौत की जर्जर इमारत में लग रही है। पिता रिक्शा चलाता है और बेटा जहाज उड़ाने की बात करता है। कहता है कि अंकल स्कूल आते डर लगता है लेकिन पढ़कर बड़ा अफसर बनना है। स्कूल के टीचर कहते हैं कि बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है डर के मारे बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं। मोहल्ले के लोग कहते हैं कि स्कूल में पढ़ाई प्राइवेट स्कूल से भी बेहतर होती है बशर्ते स्कूल की दशा सुधार दी जाए। 

ये स्कूल आप बाप-दादा के नाम गोद ले सकते हैं : मंदीप मन्ना 
मीडिया से बातचीत करते हुए मंदीप सिंह मन्ना कहते हैं कि शर्म आती है। यह स्मार्ट सिटी का स्कूल है। शहर ने 3 शिक्षा मंत्री दिए। सी.एम. यहां के सांसद रहे। सिद्धू यहां के सांसद व मंत्री रहे अब विधायक हैं। शहर से जुड़े देश में 2 सांसद हैं (गुरजीत सिंह औजला, श्वेत मलिक)। जिस शहर से देश के पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह व कैप्टन अमरेन्द्र सिंह का नाता रहा हो उस शहर के इस स्कूल की तस्वीर बहुत कुछ बयां करती है। 

शायद राजनेता चाहते ही नहीं कि स्लम इलाके के बच्चे पढ़ लिख सके। क्योंकि सियासत यही कहती है कि अनपढ़ता जब तक है तब तक सियासत बेहतर चलती रहेगी। आखिर में वह कहते हैं कि सांसद व विधायक को अपना वेतन ऐसे स्कूलों के लिए देना चाहिए। यही नहीं जब पंजाब सरकार ने आदेश जारी कर दिया है कि एन.आर.आई. पंजाब के स्कूलों को अपने बाप-दादा के नाम पर ले सकते हैं तो इस स्कूल को भी कोई एन.आई.आई. गोद ले ले, ताकि यहां भी बच्चों को स्कूल में पढऩे के लिए छत मिल सके। सरकार को चाहिए कि ऐसे खस्ता हाल स्कूलों के बाहर बोर्ड लगा दे कि यह स्कूल आप बाप-दादा के नाम पर गोद ले सकते हैं। 

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