बाईपास भूमिगत पाइप लाइन से निकलता पानी जा रहा ड्रेनों में

punjabkesari.in Tuesday, May 01, 2018 - 05:12 PM (IST)

अमृतसर(इन्द्रजीत/वड़ैच): पंजाब में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा मामले को प्रमुखता से उठाने के कारण यह मामला अब जनता में पहुंच गया है। ‘पंजाब केसरी’ द्वारा इस संबंध में किए सर्वेक्षण में कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं। उनको विभाग अभी तक नजरअंदाज करते आ रहा है। इनमें से एक है बाईपास भूमिगत पाइप लाइन से ड्रेनों में जा रहा पानी।

200 से 250 मीटर तक की भूमिगत पाइप लाइन बिछाई 
आम जनता शायद इस तथ्य से दूर है कि पानी ड्रेनों में कैसे जा रहा है? विभागीय सूत्रों से पता चला है कि पानी को साफ करने के लिए सरकार द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि वाटर रिट्रीटिंग प्लांट लगाए जाएं।  वाटर रिट्रीटिंग प्लांट में पानी साफ करने के लिए एक कारखानेदार को 10 से 20 हजार रुपए का खर्च करना पड़ता है और प्रदूषित पानी साफ करके उसका पौधों में इस्तेमाल किया जाता है, जबकि बड़ी संख्या में लोग ऐसे हैं जो पानी को बाईपास करके वाटर रिट्रीटिंग प्लांट में लेजाने के बिना ही चोर रास्तों से ड्रेनों में पहुंचा देते हैं। बाईपास-वे से पानी निकालने के लिए 200 से 250 मीटर तक की भूमिगत पाइप लाइन बिछाई गई है। 

कैसे काम करते हैं वाटर रिट्रीटिंग प्लांट 
मानक के अनुसार जब कारखानों से दूषित पानी निकलता है तो सबसे पहले इसको टैंक में इक_ा किया जाता है। इसके बाद उसे साफ करने के उपरांत आगे की ओर लेजाया जाता है और इसमें निकले दूषित तत्व जो एक कीचड़ की तरह होते हैं और ये कैमीकल युक्त पदार्थ हैं जिसे हैजार्ड्स वेस्ट कहते हैं। इसे अलग तौर से ठेके पर देकर बाहरी खुली जमीनों में दबा दिया जाता है। साफ किया गया पानी पौधों की ओर भेजा जाता है।

पानी की निकासी के लिए जमीन की आवश्यकता 
सरकार द्वारा तय किए नियमों के अनुसार जो पानी साफ होकर बाहर निकलता है हालांकि यह पूरी तरह से साफ तो हो नहीं सकता। इस पानी को नष्ट होने से बचाने के लिए हर कारखानेदार जिसका पानी बर्बाद होना होता है उसे अपनी जमीन लेनी पड़ती है। इसमें नियम के अनुसार अनुमानित यदि पानी प्रतिदिन 1 लाख लीटर निकलता है तो उसके लिए 3 किल्ले जमीन (12 हजार वर्ग मीटर) चाहिए। इसमें तर्क है कि 3 दिन पानी छोडने के उपरांत जमीन को इसे सोखने के लिए समय देना चाहिए। अधिकतर कारखानेदारों ने 4 लाख लीटर का मापदंड रखा होता है। इसके लिए कम से कम 12 एकड़ जमीन चाहिए जिसमें लगे पौधों में यह पानी छोड़ा जाना होता है किन्तु देखा जा रहा है न तो किसी के पास इतनी जमीन है और न ही इतने साधन।


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