हैरोइन की बिक्री के खिलाफ आवाज उठाना पहलवान को पड़ा महंगा

punjabkesari.in Monday, Jun 04, 2018 - 03:28 PM (IST)

अमृतसर (नीरज): अपने तन मन धन से जनता की सेवा करने वाले पहलवान गुरदीप सिंह की अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में इकट्ठा हुए लोगों को देखकर यह बात तो साबित हो चुकी है कि गुरदीप पहलवान का लोग कितना सम्मान करते थे, लेकिन जिस प्रकार से गुरदीप पहलवान की गैंगस्टरों की तरफ से निर्मम हत्या की गई है, उससे महानगर में कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो गए हैं और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मानों शहर में जंगलराज चल रहा है। 

गुरदीप पहलवान जो खुद भी शरीर से पहलवान थे और उनके साथी भी पहलवान थे, यदि ऐसे नामी पहलवान और सत्ताधारी पार्टी के बाहुबलि नेता की सरेआम हत्या हो सकती है तो आम आदमी की क्या औकात रह जाती है। कैप्टन सरकार की तरफ से विक्की गौंडर अनकाऊंटर किए जाने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि गैंगस्टरों के ऊपर शिकंजा कसा जा चुका है, लेकिन पहलवान की हत्या के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो गैंगस्टरों के हौंसले और ज्यादा बुलंद हो गए हैं। 

घलुघारा दिवस के चलते अमृतसर में चप्पे-चप्पे पर पैरा-मिल्ट्री फोर्स व पुलिस की तैनाती के बीच पहलवान की शरेआम गोलियां मारकर हत्या किए जाने का मामला यह साबित कर रहा है कि मौजूदा हालात में गैंगस्टरों के आगे पुलिस बेबस है। गैंगस्टर जो शरेआम किसी को जान से मारने की धमकी देते हैं और उस धमकी को पूरा भी करते हैं। यह साबित करता है कि आने वाले दिनों में लोगों को अपने जान माल की रक्षा करना मुश्किल हो जाएगा।

गुरदीप पहलवान, जिसने हैरोइन की बिक्री व कुख्यात गैंगस्टरों के खिलाफ आवाज उठाई थी, उसको आवाज उठाना इतना महंगा पड़ा कि अपनी जान से हाथ धोने पड़े, लेकिन पहलवान हत्याकांड से यह भी सवाल खड़ा हो गया है कि अब पंजाब सरकार के नशे के खिलाफ अभियान में कौन आवाज उठाएगा और कौन-सा नागरिक नशे की बिक्री करने वालों की जानकारी पुलिस को देगा। नशे की बिक्री व इसका प्रयोग रोकने के लिए जिले के गली मोहल्लों में तैनात किए गए डैपो वालंटियर्स व ट्रेनर कैसे काम करेंगे, जब उनकी सुरक्षा करने वाला ही कोई नहीं है।

अकाली सरकार में मिले थे सरकारी गनमैन कांग्रेस सरकार में छिन गए
कांग्रेसी पार्षद गुरदीप पहलवान हत्याकांड के  मामले में यह भी प्रश्न बना हुआ है कि जब अकाली सरकार सत्ता में थी तो गुरदीप पहलवान को सरकारी गनमैन दिए गए थे, लेकिन जैसे ही कांग्रेस की सरकार आई तो उनसे गनमैन छीन लिए गए। गुरदीप पहलवान को शरेआम कुख्यात गैंगस्टरों की तरफ से धमकियां दी जा रही थी, जिसकी जानकारी जिला पुलिस को भी थी लेकिन पहलवान की सुरक्षा के मामले में पुलिस की तरफ से भारी लापरवाही बरती गई जिसका खामियाजा पहलवान को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा।

पुलिस की नाकामी है गुरदीप पहलवान हत्याकांड : गोरसी
समाज सेवक एवं एडवोकेट संदीप गोरसी ने बताया कि जिस प्रकार से पार्षद गुरदीप पहलवान की शरेआम गोलियां मारकर हत्या की गई है वह पुलिस की लापरवाही और नाकामी को साबित करती है। शहर में आए दिन हत्याएं व लूट जैसी वारदातें हो रही हैं, जिनको रोकने के लिए किसी सख्त व इमानदारी पुलिस अधिकारी की तैनाती किया जाना जरुरी है। पंजाब पुलिस जिसने पंजाब में आतंकवाद को खत्म किया है वह गैंगस्टर्स को भी खत्म करने में सक्षम है, लेकिन जरुरत है अमृतसर में किसी इमानदारी अधिकारी को तैनात किए जाने की।

4 घंटे चले पोस्टमार्टम दौरान निकाली 6 गोलियां
  पोस्टमार्टम के लिए पहुंचा मृतक पार्षद गुरदीप पहलवान के शव काएक्सरा करने के उपरांत पोस्टमार्टम शुरू हुआ। पहले एक्स-रे में आईं 6 गोलियों में से दो ही गोलियां निकलीं, जिसके बाद में एक बार फिर एक्स-रे किए जाने के उपरांत करीब चार घंटे चले पोस्टमार्टम दौरान डाक्टरों की टीम ने पहलवान के पेट में लगीं 4 अन्य गोलियां निकालीं। भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी में हुए पोस्टमार्टम के उपरांत मृतक गुरदीप पहलवान के शव को उसके गृह स्थान टैलीफोन एक्सचैंज नजदीक लाया गया, जिस उपरांत हजारों लोगों की मौजूदगी में दुर्ग्याणा श्मशानघाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। 

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