कोरोना वायरस की बीमारी से बाहर आए मरीज के डिस्चार्ज को लेकर बवाल

punjabkesari.in Saturday, Mar 28, 2020 - 12:32 PM (IST)

अमृतसर (दलजीत): कोरोना वायरस को मात देकर बीमारी से बाहर आए होशियारपुर के मरीज को गुरु नानक देव अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड से डिस्चार्ज करने पर बवाल मच गया। सेहत विभाग ने जहां मैडीकल कालेज प्रशासन पर उन्हें बिना बताए मरीज को छुट्टी देने का गंभीर आरोप लगाया है। वहीं कालेज की प्रिंसीपल नेे स्पष्ट किया कि उनके अधिकारियों ने मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले सेहत विभाग के  अधिकारी को बता दिया था। भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही मरीज को छुट्टी दी गई है। पिं्रसीपल ने यह भी कहा कि उनका विभाग वैसे सिविल सर्जन को जवाब दे नहीं है। प्रिंसीपल का पद सिविल सर्जन से ऊपर होता है। 

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जानकारी के अनुसार 4 मार्च को इटली से आई होशियारपुर निवासी की रिपोर्ट कोरोना वासयर  पॉजिटिव आने के उपरांत उसे मैडीकल कॉलेज के अधीन चलने वाले गुरु नानक देव अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था। अस्पताल प्रशासन द्वारा दो बार टेस्ट करने पर उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, परंतु बीते कल दोबारा मरीज का टेस्ट करने पर रिपोर्ट नैगेटिव आ गई है। प्रशासन द्वारा आज सुबह मरीज की हालत ठीक देखकर उसे छुट्टी दे दी गई। उधर सिविल सर्जन डा. प्रभदीप  कौर का कहना है कि इस मरीज का दो बार कोरोना वायरस का टेस्ट पॉजिटिव आ चुका था और उनकी टीम ने ही एयरपोर्ट पर इस मरीज की पहचान कर उसे गुरु नानक देव अस्पताल में भर्ती करवाया था, इसलिए मरीज को उन्हें बता कर ही उनकी मौजूदगी में ही डिस्चार्ज किया जाता तो बेहतर था क्योंकि मरीज को अभी भी 14 दिनों तक कोरंटाइन किए जाने की जरूरत है और ऐसे में अगर वह किसी के संपर्क में आता है तो वह उसके लिए वह दूसरों के लिए घातक हो सकता है। उन्होंने कहा कि अब उन्होंने होशियारपुर की सिविल सर्जन को मेल कर दिया है कि कोरोना वायरस के पॉजिटिव मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, इसलिए उस पर नजर रखी जाए। 

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उधर सरकारी मैडीकल कॉलेज की पिं्रसीपल डा. सुजाता शर्मा का कहना है कि मरीज को छुट्टी देने से पहले उनके डाक्टरों की ओर से सेहत विभाग के अधिकारी को सूचित कर दिया गया था। इसके अलावा केंद्र सरकार की हैल्पलाइन पर फोन करके भी गाइडलाइन ले ली थी कि मरीज की रिपोर्ट नैगेटिव है तो क्या उसे छुट्टी कर दी जाए तो वहां से भी छुट्टी देने की बात कही गई थी। मरीज को छुट्टी से पहले उसका एक्स-रे भी करवा लिया और उसे कह दिया गया है कि 14 दिनों तक तुझे घर में ही रहना है। बाकी हम केंद्र सरकार की कि दायित्वों को पूर्ण तरीके से फॉलो कर रहे हैं। पिं्रसीपल शर्मा ने कहा कि वैसे वह सिविल सर्जन को जवाब दे नहीं है। प्रिंसीपल का पद सिविल सर्जन से ऊपर होता है, वह अपने विभाग के मंत्री सचिव तथा डायरैक्टर को जवाब दे हैं। कोरोना वायरस के संबंध में पहले पंजाब सरकार को सूचित किया जाता है उसके उपरांत सेहत विभाग के एक अधिकारी को भी बता दिया जाता है। मैडीकल कॉलेज के एक सीनियर डाक्टर ने तो यहां तक कह दिया कि सेहत विभाग के अधिकारियों को फोटो खिंचवाने का बहुत शौक है। उन्होंने सेहत विभाग पर तंज करते हुए कहा कि उन्हें इस मरीज का एड्रेस दे देते हैं, वह होशियारपुर चले जाएं। उन्होंने कहा कि बात कोई नहीं बस सेहत विभाग के अधिकारी फोटो न खींचे जाने के कारण मामले को तूल दे रहे हैं। मैडीकल कॉलेज के अधिकारी ने कहा कि असल में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए आइसोलेशन वार्ड की फाइटर टीम दिन-रात पॉजिटिव मरीजों की देखभाल करके उनका इलाज कर रही है। वह खुद टीम का हिस्सा है। उन्होंने आज तक अपनी वाहवाही बटोरने के लिए कभी आगे नहीं आए हैं परंतु सेहत विभाग के अधिकारी शुरू से ही छोटी सी बात की फोटो ङ्क्षखचा कर वाहवाही बटोरने के लिए बेचैन रहते हैं। 


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