पंजाब के 553 किलोमीटर लंबे भारत-पाक बार्डर पर ड्रोन बना BSF के लिए सिरदर्द

punjabkesari.in Saturday, Sep 28, 2019 - 01:39 PM (IST)

अमृतसर (नीरज): हैरोइन व हथियारों की स्मगलिंग करने के लिए पाकिस्तान व भारत में बैठे तस्करों की तरफ से पंजाब बार्डर में ड्रोन का प्रयोग करने का मामला सामने आने के बाद पाकिस्तान से सटे 553 किलोमीटर लंबे पंजाब बार्डर पर बी.एस.एफ. की सिरदर्दी बढ़ गई है। सुरक्षा एजैंसियों के माहिर अधिकारियों की मानें तो पता चलता है कि सैकड़ों मीटर ऊंचाई जिसमें से 500 से एक हजार मीटर की ऊंचाई पर उडऩे वाले ड्रोन को आंखों से ट्रेस नहीं किया जा सकता है।

ऐसे ड्रोन को रॉडार पर भी ट्रेस करना मुश्किल है। इतना ही नहीं अति आधुनिक तकनीक वाले ड्रोन को विशेष रुप से पाकिस्तानी की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. ने भारत में हैरोइन व हथियारों की तस्करी करने के लिए तैयार करवाया है। इस प्रकार के ड्रोन बार्डर फैंसिंग के 500 मीटर से ज्यादा के इलाके के अन्दर तक पहुंच जाते हैं और बार्डर के सुनसान इलाके में इसको ट्रेस कर पाना असंभव हो जाता है। वह भी ऐसे मौकों पर जब बार्डर फैंसिंग के दोनों तरफ धान की फसल खड़ी हुई है। ऊपर से पंजाब के सीमावर्ती इलाकों मेंबैठे तस्कर व्हाट्सएप के जरिए पाकिस्तान तस्करों को पूरी लोकेशन भी बता देते हैं जहां पर हैरोइन या हथियारों को फैंका जाना होता है। वहीं अमृतसर जिले में जिला मैजिस्ट्रेट व डी.सी. शिवदुलार सिंह ढिल्लों ने हर प्रकार के ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया है ड्रोन उड़ाने के लिए प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है चाहे छोटा ड्रोन ही क्यों न हो। 

सबसे संवेदनशील बी.ओ.पी. में से एक है मुहावा बी.ओ.पी.
अमृतसर जिले के अटारी बार्डर के गांव मुहावा में जिस स्थान से दूसरी बार ड्रोन पकड़ा गया है वह बी.एस.एफ. की सबसे संवेदनशील बी.ओ.पी. में से एक है और यहां पर तस्करों की गतिविधियां काफी तेज रहती हैं। इसी इलाके से कई बार बी.एस.एफ. ने हैरोइन की खेप जब्त की है लेकिन ड्रोन को ट्रेस कर पाना बी.एस.एफ. के लिए आसान नहीं है।


एक जवान करता है 500 मीटर इलाके पर गश्त
बी.एस.एफ. जो बार्डर पर फस्ट लाइन ऑफ डिफैंस है इस फोर्स का काम करना का भी अपना ही तरीका है ताकि कोई भी शरारती तत्व सीमा पार से हैरोइन या किसी अन्य प्रतिबंधित वस्तु की तस्करी न कर सके। बार्डर फैंसिंग पर बी.एस.एफ. का एक जवान 500 मीटर के दायरे में गश्त करता है लेकिन सैकड़ों मीटर की ऊंचाई पर उडऩे वाला ड्रोन ट्रेस कर पाना आसान नहीं है यदि ड्रोन को देख भी लिया जाता है तो वह बार्डर फैंसिंग से आधा किलोमीटर आगे जाकर अपने साथ लाई हैरोइन या हथियारों की डिलीवरी कर देगा इन हालात में यह इलाका बी.एस.एफ. के दायरे में नहीं आता है।


यू.ए.वी. के नाम से भी जाना जाता है ड्रोन
 ड्रोन की बात करें तो पता चलता है कि इसको यू.ए.वी. के नाम से भी जाना जाता है। यू.ए.वी. का अर्थ अनमैनड ऐरियल व्हीकल है। यह रेडियो ट्रांसमीटर के साथ उड़ाया जाता है। ड्रोन का प्रयोग फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी, छोटा सामान ले जाने यहां तक की खेतों में कीटनाशक स्प्रे करने के लिए भी किया जाता है।

 

कितने प्रकार का होता है ड्रोन
नैनो ड्रोन:
नैनो ड्रोन का वजन 200 से 250 ग्राम तक होता है यह जासूसी के लिए प्रयोग किया जाता है।
माइक्रो ड्रोन: इसका वजन 250 ग्राम से 2 किलो यो तीन किलो के बीच रहता है या फिर इससे भी ज्यादा होता है।
स्मॉल ड्रोन: इसका वजन 20 किलो तक भी हो सकता है इसको चलाने के लिए 2 लोगों की जरूरत पड़ती है हवा में उडऩे के बाद यह अपने आप लैंडिंग कर सकता है।
मीडियम ड्रोन: इसका वजन 25 किलो से ’यादा रहता है।
लार्ज ड्रोन: इस ड्रोन का वजन 100 किलो तक हो सकता है इसका प्रयोग सेना की तरफ से युद्ध क्षेत्र में निगरानी करने के लिए किया जाता है। यह ड्रोन काफी ऊंचाई से तस्वीरें व वीडियो बना सकता है।
एडवांस ड्रोन: इस कैटेगरी के ड्रोन को दुश्मन सेना पर बम बरसाने के लिए या फिर किसी अन्य प्रकार का हमला करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

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