41 साल बाद भी पुलिस ने नहीं दर्ज की FIR,दरबारी लाल ने बयां किया दुख

punjabkesari.in Wednesday, Jun 13, 2018 - 03:15 PM (IST)

अमृतसर (स.ह., नवदीप): सुप्रीम कोर्ट का आदेश है और देश का संविधान कहता है कि पुलिस किसी भी मामले में एफ.आई.आर. तुरंत दर्ज करके जांच शुरू करे। लेकिन ‘पंजाब केसरी’ को इतिहास के झरोखे से एक ऐसी सत्य घटना मिली है कि जिसमें देश-दुनिया में ऊंचा नाम कमा चुके अमृतसर के 2 ऐसे गण्यमान्य लोग हैं,जिनके घर में 12 जून 1977 को आग लगाई गई थी लेकिन अमृतसर पुलिस ने आज तक एफ.आई.आर. नहीं दर्ज की।
 

‘पंजाब केसरी’ ने प्रोफैसर दरबारी लाल से पूछा कि घर जलाने की एफ.आई.आर. 41 वर्ष बाद भी लाहौरी गेट पुलिस थाने ने क्यों नहीं लिखी तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया कि पुलिस तो सियासत की ‘प्रहरी’ है, जिसकी सत्ता उसकी पुलिस। जनसंघ का राज था, बदला लिया गया। आखिरी चरण तक 2100 वोटों से आगे था, 2100 वोटों से हरा दिया गया। बलरामदास टंडन विधायक बने। मेरे व जयइन्द्र के खिलाफ दर्ज एफ.आई.आर. बाद में तब कैंसिल हुई जब विदेश मंत्री स्वर्ण सिंह ने व तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई ने पंजाब सरकार को जांच के लिए कहा। हत्या की एफ.आई.आर. कैंसिल हो गई लेकिन मेरे व जयइन्द्र के घर जलाने की एफ.आई.आर. आज तक नहीं हुई।

...देखते-देखते शहर में लग गया कर्फ्यू
12 जून 1977 के दिन विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शांतिपूर्ण हो रहा था। करीब 4.30 बजे नरसिंहदास बाजार में गोली चली। नीटू नाम का रिक्शा चालक मारा गया। मतदान केन्द्रों में हड़कंप मच गया। शहर को सील कर दिया गया। पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात हो गई। लाहौरी गेट पुलिस ने मौजूदा अमृतसर कांग्रेस के प्रधान जयइन्द्र सिंह व कांग्रेस की टिकट पर सैंट्रल विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी प्रोफैसर दरबारी लाल को गोली चलाकर बूथ पर कब्जा करने के आरोप में नामजद कर दिया गया। मतदान के बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। रात करीब 8 बजे मोरी गंज में स्थिथ प्रोफैसर दरबारी लाल के घर को आग लगा दी गई। गार्डन एवेन्यू स्थित जयइन्द्र सिंह की कोठी को भी आग लगा दी गई। शहर में दंगा भड़काने जैसे हालात हो गए। शहर भर के कारखाने बंद हो गए। राशन की दुकानों को खोलने का आदेश जब मिला तो लंबी-लंबी लाइनें लग गईं। कई दिनों बाद माहौल शांत हुआ।

मैंने संभाल रखी थी ‘पंजाब केसरी’ की पहली कॉपी
प्रो. दरबारी लाल कहते हैं कि पढने का शौक मुझे सदैव रहा है। हिन्दी समाचार भी पढ़ता रहा हूं, ‘पंजाब केसरी’ का नियमित पाठक हूं। 13 जून 1965 को ‘पंजाब केसरी’ की पहली प्रति उन्होंने पंजाब केसरी के पत्रकार (शहीद) अमरनाथ वर्मा से खरीदी थी। लाइब्रेरी में 1800 ई. की लिखी किताबें थीं। जालिमों ने मेरे घर में आग लगाकर वह दौलत नष्ट कर दी जिसे मैं चाह कर भी जमा नहीं कर सकता। मेरे बचपन की किताबें जल गईं। यही गम और दर्द जिंदगी भर रहा है और मरते दम तक रहेगा।

पंजाब को अपराध मुक्त बनाना है तो पुलिस को आजादी देनी होगी
पुलिस सदैव ‘सियासत’ के बंधनों से ‘आजाद’ हो ही नहीं सकी। अगर पंजाब को अपराध मुक्त बनाना है तो पुलिस को आजादी देनी होगी। सियासत पुलिस का गलत इस्तेमाल सदैव करती रही है, इससे मुंह फेरा नहीं जा सकता लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आतंकवाद का खात्मा कांग्रेस ने (पूर्व सी.एम. बेअंत सिंह) किया था और अब जुर्म का खात्मा भी कांग्रेस सरकार करेगी। जिस तरह अमरीका में पुलिस को आजादी है लेकिन निगरानी के लिए एक मंत्रालय है जिसमें पक्ष व विपक्ष के नेता शामिल होते हैं, ऐसा ही भारत में होना चाहिए। देखिए जुर्म का खात्मा कैसे होता है।
 

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