उपभोक्ता से जबरन 105.50 रुपए का सर्विस टैक्स लेना रैस्टोरैंट को पड़ा महंगा

punjabkesari.in Sunday, Sep 30, 2018 - 01:11 PM (IST)

अमृतसर (महेन्द्र): उपभोक्ता की इच्छा के विरुद्ध सर्विस टैक्स वसूल करना स्थानीय एक रैस्टोरैंट के प्रबंधक/मालिक को इस कदर महंगा पड़ा कि प्रधान अनूप शर्मा तथा सदस्य रचना अरोड़ा पर आधारित स्थानीय कंज्यूमर फोर्म की अदालत ने उसे जारी किए आदेश में वसूल किया गया 105.50 रुपए का सर्विस टैक्स 5 हजार रुपए की मुआवजा राशि तथा साथ ही लिटिगेशन फीस के तौर पर 3 हजार रुपए भी शिकायकर्ता को अदा करने को कहा है। रैस्टोरैंट के मालिक को यह सारी राशि आदेश की प्रति मिलने के 30 दिनों के अंदर अदा करनी होगी। 

स्थानीय विजय नगर, बटाला रोड निवासी अमित महाजन पुत्र यश पाल महाजन ने स्थानीय रणजीत एवेन्यू के बी ब्लॉक में स्थित ब्रियूमास्टर रैस्टोरैंट के पिं्रसीपल अफसर के खिलाफ 3 जुलाई को कंज्यूमर प्रोटैक्शन एक्ट 1986 की धारा 12 के तहत याचिका दायर की थी। इसमें उसका कहना था कि 5 अप्रैल को वह अपने कुछ दोस्तों के साथ इस रैस्टोरैंट में खाना खाने गया था।

जहां उसे दिए गए बिल (नंबर बीएम 0000228) में बताई गई राशि 1,337 रुपए में 105 रुपए 50 पैसे का सर्विस टैक्स भी लगाया गया था। जब रैस्टोरैंट के संबंधित कर्मचारी को यह बताया गया कि कानून के अनुसार सर्विस टैक्स देना या न देना उपभोक्ता पर ही निर्भर है और वे उपभोक्ता से जबदस्ती सर्विस टैक्स जबरदस्ती नहीं ले सकते।  शिकायकर्ता का कहना था कि वह इस रैस्टोरैंट से मिली सेवाओं से संतुष्ट नहीं था, जिसके कारण वह सर्विस टैक्स नहीं देना चाहता था, लेकिन रैस्टोरैंट के कर्मचारी ने उससे जबरदस्ती सर्विस टैक्स वसूल किया है। 

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