सरकारी सैटेलाइट अस्पताल में Save नहीं जच्चा-बच्चा

punjabkesari.in Wednesday, Sep 12, 2018 - 10:43 AM (IST)

 अमृतसर(दलजीत): सेहत विभाग के अधीन जिले में चलने वाले सरकारी सैटेलाइट अस्पताल में जच्चा-बच्चा सुरक्षित नहीं है। ऐसा ही एक मामला सकत्तरी बाग सैटेलाइट अस्पताल में उस समय सामने आया जब यहां पर भर्ती एक गर्भवती महिला के बच्चे की पर्याप्त उपचार न मिलने के कारण गर्भ में ही मौत हो गई है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने अपनी लापरवाही छुपाने के लिए जून माह में पटियाला ट्रांसफर हो चुकी डाक्टर का हवाला देते हुए मरीज को रैफर स्लिप थमा दी।

जानकारी के अनुसार रजनी देवी (26) निवासी चौक करोड़ी नजदीक गली निहाल सिंह पिछले 9 माह से सकत्तरी बाग सैटेलाइट अस्पताल में अपनी जांच करवा रही थी। 10 सितम्बर को अचानक उसको प्रसव पीड़ा हुई तो रजनी के परिजन गत दिवस सुबह 6 बजे उसको लेकर अस्पताल पहुंचे। ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ रजनी को तुरंत लेबर रूम में ले गया। रजनी के पति गगन तथा जीजा सुमित ने बताया कि 9:30 बजे लेबर रूम से स्टाफ का एक कर्मचारी बाहर आया और उसने कहा कि मरीज की हालत खराब होती जा रही है। परिजनों ने बताया कि उन्होंने जब स्टाफ कर्मचारी से पूछा कि जच्चा-बच्चा दोनों ठीक हैं तो स्टाफ ने कहा कि हां ठीक हैं। हमने 108 एम्बुलैंस को फोन कर दिया है।

तो बच जाती बच्चे की जान
गगन तथा सुमित के अनुसार 9:45 बजे एम्बुलैंस सेवा अस्पताल में आ गई। इस दौरान मौके पर मौजूद एक स्टाफ ने उन्हें बेबे नानकी अस्पताल में मरीज को ले जाने के लिए 4 माह पहले पटियाला तबादला करवा कर जा चुकी डाक्टर चिंकी के नाम की रैफर स्लिप काट कर दे दी। परिजनों का आरोप था कि डाक्टरों ने 9:45 बजे उन्हें रैफर किया, जबकि सरकारी पर्ची पर समय सुबह 7:30 बजे का डाल दिया गया। परिजनों ने बताया कि जब वह बेबे नानकी अस्पताल में करीब 10 बजे रजनी को लेकर पहुंचे तो वहां पर डाक्टरों द्वारा किए गए प्रसव के दौरान मृत बच्चा पैदा हुआ। परिजनों ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करके सरकारी अस्पताल की इमारतें तो बनाई जाती हैं लेकिन इनमें सुविधाएं नहीं दी जाती है। यदि समय पर रजनी का उपचार होता तो आज उनके बच्चे की जान बच जाती।

सेहत मंत्री की नाक के तले हो रहा मरीजों का शोषण
पीड़ित परिवार के साथ आए आर.टी.आई. एक्टिविस्ट राजिन्द्र शर्मा राजू ने कहा कि अस्पताल प्रशासन लोगों की जान ले रहा है तथा लोगों की बेवकूफ बना रहा है। 4 माह पहले जो डाक्टर तबादला करवाकर पटियाला चली गई है उसके नाम से अभी भी रैफर स्लिप दी जा रही है। सेहत मंत्री वैसे तो लोगों को सुविधाएं देने की बातें करते हैं लेकिन उक्त अस्पताल में मंत्री की नाक के तले ही मरीजों का शोषण हो रहा है।

सैटेलाइट अस्पतालों में पहले भी हो चुकी हैं बच्चों की मौतें
उक्त घटना से पहले सरकारी सैटेलाइट अस्पताल रणजीत एवेन्यू, सरकारी अस्पताल ढाब खटीका इत्यादि में विभिन्न केसों के दौरान प्रसव के समय जच्चा तथा बच्चा की मौतें भी हो चुकी हैं। उक्त केसों में परिजनों द्वारा डाक्टरों पर गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं तथा कुछ केस तो ऐसे भी हैं जो न्याय लेने के लिए माननीय कोर्ट में भी पहुंच चुके हैं।

मेरा तो जून में ही तबादला हो गया
इस संबंध में जब डाक्टर ;fxकी से फोन पर सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि उनका जून माह में ही तबादला हो चुका है। उन्हें नहीं मालूम की गत दिवस यहां पर क्या हुआ है।

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