नाड़ की आग से भारत-पाक बॉर्डर भी हो रहा प्रदूषित

punjabkesari.in Sunday, May 27, 2018 - 05:21 PM (IST)

अमृतसर (नीरज): एक तरफ जहां नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, पंजाब सरकार व प्रदूषण कंट्रोल विभाग पंजाब के किसानों को गेहूं की नाड़ व धान की पराली जलाने से रोकने का पूरा प्रयास कर रहे हैं और नाड़ जलाने वाले किसानों के खिलाफ सख्त कानून बनाए जा रहे हैं, वहीं देखने में आया है कि सिविल इलाका तो दूर भारत-पाक बॉर्डर पर भी फैंसिंग के दोनों तरफ किसान गेहूं की नाड़ को सरेआम जला रहे हैं और सरकार मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रही है।

हालात यह हैं कि सर्दी के दिनों में किसान धान की पराली को जला देते हैं और मौजूदा समय में गेहूं की नाड़ को सरेआम जलाया जा रहा है। हालांकि भारत-पाक बॉर्डर पर व सिविल इलाकों में कुछ किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने खेतों में नाड़ को नहीं जलाया है और एक मिसाल पैदा करते हुए गेहूं की नाड़ से तूड़ी बनाई है और इसके बचे तत्वों को खेतों की मिट्टी में मिलाकर मिट्टी को उपजाऊ बनाया है लेकिन ऐसे किसान 10 प्रतिशत से भी कम हैं। नाड़ जलने से निकलने वाले धुएं के कारण वातावरण बुरी तरह से प्रदूषित हो रहा है, जो आने वाले दिनों में खतरनाक हालात पैदा कर सकता है। इसकी चेतावनी नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से भी दी जा चुकी है।

अटारी बॉर्डर से लाहौर तक किसान जला रहे गेहूं की नाड़
भारतीय क्षेत्र में तो किसान गेहूं की नाड़ को जला ही रहे हैं, वहीं पाकिस्तान के किसान भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। वे भी फैंसिंग के साथ खेतों में पड़ी गेहूं की नाड़ को जला रहे हैं और यह सिलसिला लाहौर तक चल रहा है। अमृतसर व लाहौर के सीमावर्ती इलाकों के साथ-साथ सिवल इलाकों में भी गेहूं की नाड़ जलने से आसपास की आबोहवा प्रदूषित हो रही है।

पाकिस्तान से सटा है पंजाब का 553 किलोमीटर लंबा बॉर्डर
पंजाब बॉर्डर पर नजर डालें तो पता चलता है कि पंजाब का 553 किलोमीटर व अमृतसर जिले का 120 किलोमीटर लंबा बॉर्डर पाकिस्तान से सटा है और इतने बड़े क्षेत्र में भारत सरकार की तरफ से लगाई गई फैंसिंग (तार) के दोनों ही तरफ गेहूं व धान की खेती की जाती है और फसल कटने के बाद ज्यादातर किसान नाड़ को जला देते हैं जिसको रोकने में पंजाब सरकार नाकाम है।
 

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