धान घोटाला: विजीलैंस ने फूड सप्लाई अधिकारियों को किया तलब

punjabkesari.in Saturday, Apr 21, 2018 - 03:09 PM (IST)

अमृतसर(इन्द्रजीत, स.ह.): जंडियालागुरु स्थित वीरुमल मुलखराज राइस मिल में हुए करोड़ों के धान घोटाले में विजीलैंस विभाग ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। विभाग ने डी.जी.पी. विजीलैंस से जहां फूड सप्लाई विभाग व अन्य विभागों के अधिकारियों के खिलाफ पर्चा दर्ज करने की इजाजत मांगी है तो वहीं जंडियालागुरु में तैनात रहे फूड सप्लाई इंस्पैक्टर से लेकर डी.एफ.एस.ओ. रैंक के अधिकारियों को तलब कर लिया है। 

 

विभागीय के अनुसार विजीलैंस विभाग धान घोटाले में आरोपी उन सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के बयान दर्ज करने जा रहा है जो किसी न किसी रूप से इस मामले से संबंधित हैं। इसी कड़ी में उन अधिकारियों के खिलाफ पर्चा भी दर्ज हो सकता है, जो इस मामले में आरोपी पाए जाएंगे। फिलहाल पिछले एक सप्ताह से विजीलैंस विभाग फूड सप्लाई दफ्तर से मिला रिकार्ड खंगालने में जुटा हुआ था। पता चला है कि फूड सप्लाई विभाग की तरफ से पेश किए गए सरकारी रिकार्ड में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं, जिससे विजीलैंस विभाग को अपनी जांच करने में काफी आसानी होगी और सच्चाई सामने लाने में मदद मिलेगी। विजीलैंस विभाग के अधिकारी छुट्टी वाले दिन भी रिकार्ड को खंगालने में जुटे हुए हैं। 

 

यहां बताते चलें कि फूड सप्लाई विभाग की डिप्टी डायरैक्टर सोना ङ्क्षथद ने भी जंडियालागुरु धान घोटाले के मामले में डी.एफ.एस.ओ. रमिन्दर सिंह बाठ, ए.एफ.एस.ओ. विपन शर्मा व अन्य अधिकारियों के बयान लिए थे, जिसमें उक्त अधिकारियों ने बयान दिया था कि उन्होंने डी.एफ.एस.सी. को लिखित तौर पर कहा था कि वीरुमल मुलखराज राइस मिल को सरकारी धान न दिया जाए। फिलहाल फूड सप्लाई विभाग को दिए गए बयान व विजीलैंस विभाग को दिए गए बयान इस केस में काफी मायने रखते हैं, क्योंकि विजीलैंस विभाग का बयान दर्ज करने का तरीका फूड सप्लाई विभाग के बयान दर्ज करने के तरीके से काफी भिन्न है और सच्चाई जानने के लिए तो विजीलैंस विभाग कुछ अपने ही तरीके भी अपना सकता है।


मार्च 2018 में गेहूं वितरण की भी की जाए जांच
आज जब जंडियालागुरु स्थित राइस मिल में धान घोटाला सामने आने के बाद फूड सप्लाई विभाग चर्चा में है तो वहीं एक बार फिर से धान घोटाले के साथ-साथ गेहूं के मामले में भी विजीलैंस जांच की मांग उठ गई है। सांसद गुरजीत सिंह औजला सहित कई समाजसेवी संगठनों ने डी.जी.पी. विजीलैंस व जिला प्रशासन से मांग की कि मार्च 2018 में गरीबों को बांटे गए 2 रुपया किलो गेहूं की भी विजीलैंस विभाग के अधिकारियों से जांच करवाई जाए, क्योंकि मार्च में बांटे गए राशन में भी कुछ इंस्पैक्टरों ने डिपो होल्डरों को 20 से 25 प्रतिशत गेहूं का कट लगाने के मौखिक निर्देश दिए थे। यह कट किस लिए लगाया जाना था, इसके पीछे क्या कारण था इसकी जांच होनी चाहिए। साथ ही वर्ष 2017 के दौरान फूड सप्लाई विभाग ने जितना गेहूं लैप्स किया या सरैंडर करने की बात कही, इसकी भी सख्ती के साथ जांच होनी चाहिए।

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