एक ही आर.टी.आई. के विभाग ने दिए 2 अलग जवाब

punjabkesari.in Friday, Sep 21, 2018 - 10:27 AM (IST)

अमृतसर (इन्द्रजीत/बौबी): जंडियाला की 2 मिलों के  घोटालों में पहले से ही विवादों में रहा फूड सप्लाई विभाग कई अन्य मामलों में भी जनता के टारगेट पर आ चुका है। पिछले दिनों घोटालों की कार्रवाई में विजीलैंस, पुलिस, हैल्थ विभाग के साथ-साथ अमृतसर के एम.पी. गुरजीत सिंह औजला द्वारा भी इस विभाग की कार्यशैली पर कई प्रश्न चिन्ह लगाए गए हैं। वहीं दूसरी ओर फूड सप्लाई विभाग जनता द्वारा भेजी गई राइट-टू-इन्फोरमैशन एक्ट (आर.टी.आई.) की सुविधा भी जनता से छीनने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कड़े निर्देश दिए हैं कि जनता द्वारा मांगी सूचना के अधिकार के तहत आर.टी.आई. की रिपोर्ट समय पर दी जाए और इस रिपोर्ट में किसी भी प्रकार का झूठ नहीं होना चाहिए किन्तु फूड सप्लाई विभाग में आर.टी.आई. के सूचना अधिकार पर भी हेरा-फेरी जनता के लिए असहनीय हो रही है।इस संबंध में आर.टी.आई. एक्टीविस्ट एवं शिवसेना के उत्तरी भारत के प्रधान जय गोपाल लाली व जिला शहरी के युवा प्रधान अंकित खोसला ने दस्तावेजी प्रमाण दिखाते हुए न केवल फूड सप्लाई विभाग के कई मामलों की पोल खोली, वहीं आर.टी.आई. में दी गई गलत सूचना के प्रमाण दिखाकर हैरत में डाल दिया। 

क्या था मामला 
अमृतसर के फूड सप्लाई विभाग को आर.टी.आई. एक्टीविस्ट ने मांग की थी कि इनमें फूड सप्लाई विभाग को अंकित अवधि में अमृतसर के वार्ड नंबर 11-12 में कितना अनाज मिला और कितना लैप्स हुआ। इसमें फूड सप्लाई विभाग ने आर.टी.आई. के तहत दी गई सूचना के उत्तर में दिए गए लिखित पत्र नंबर 3513/10-7-18 में कहा है कि प्राप्त की गई सरकार से गेहूं की मात्रा के बाद कोई गेहूं लैप्स नहीं हुई। इस पर जब तथ्यों सहित आर.टी.आई. एक्टीविस्ट ने जब दोबारा पत्र लिखा तो फूड सप्लाई विभाग द्वारा उत्तर मिला जिसमें भारी मात्रा में गेहूं लैप्स किए जाने का बयौरा दिया गया। इसी बात पर शिवसेना ने बवाल खड़ा किया और मामले की जांच के लिए फूड सप्लाई विभाग के मंत्री के साथ अन्य उच्च विभागीय अधिकारियों को पत्र भेजे। शिकायतकत्र्ता का कहना है कि यदि 2 वार्डों में ही सैंकड़ों टन का घोटाला है तो पूरे शहर का क्या हाल होगा। 

विभाग को नहीं मानदंड की जानकारी
आर.टी.आई. एक्टीविस्ट ने बताया कि विभाग से कई बार पूछा गया है कि लेकिन विभागीय अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं है कि नीले कार्ड बनाने वालों के सरकार की ओर से नियत किए गए मानदंड क्या हैं। इनका कहना है कि सरकार द्वारा दिए गए मानक के अनुसार जो व्यक्ति नीला कार्ड बनाता है उसके पास सुविधाजनक चीजें नहीं होनी चाहिएं तभी उन्हें गरीब माना जा सकता है। इन सुविधाजनक चीजों में एयर कंडिश्नर, कार इत्यादि शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर इन्हीं मापदंडों के अनुसार उस गरीब व्यक्ति का कच्चा मकान होना चाहिए और सालाना आमदन 60 हजार अथवा इससे कम होनी चाहिए। 

मामला गंभीर है इसकी शिकायत मिलते ही तुरंत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दोषी पाए जाने वाले लोगों पर विभागीय कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को मामला भेजा जाएगा। पिछले समय में 2 रुपए किलो गेहूं के मामले में किसी प्रकार की हेरा-फेरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और गरीबों को उनका पूरा हक दिलाया जाएगा। 
- हिमांशु कुक्कड़, जिला अधिकारी, फूड सप्लाई विभाग
 

bharti