रजिस्ट्री करते समय स्टाम्प ड्यूटी चोरी की तो दर्ज होगी FIR

punjabkesari.in Friday, Jun 08, 2018 - 11:58 AM (IST)

अमृतसर (नीरज): इनकम टैक्स चोरी रोकने के लिए जहां इनकम टैक्स विभाग आए दिन नए-नए कानून लागू कर रहा है। वहीं पंजाब सरकार का राजस्व विभाग भी स्टाम्प ड्यूटी चोरी रोकने के लिए सख्त कदम उठा रहा है। राज्य की तहसीलों, सब तहसीलों व रजिस्ट्री दफ्तरों में स्टाम्प ड्यूटी चोरी रोकने के लिए एफ.सी.आर. पंजाब ने एक लिखित आदेश जारी किए हैं।

इन आदेशों में सभी डिप्टी कमिश्नरों, सब-रजिस्ट्रारों व तहसीलदारों को लिखा है कि जमीन जायदाद की रजिस्ट्री करते समय यदि कोई व्यक्ति रजिस्ट्री में गलत जानकारी देता है, स्टाम्प ड्यूटी चोरी करने का प्रयास करता है तो उसके खिलाफ कोड ऑफ प्रोसीजर्स द रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 82 के तहत एफ.आई.आर. दर्ज की जाए। इतना ही नहीं सरकार ने इस धारा के तहत स्टाम्प ड्यूटी चोरी करने के अपराध को गैर जमानती करार दिया है और 7 वर्ष तक की सजा का भी प्रावधान रखा गया है। इस कानून के तहत यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन की रजिस्ट्री करवाते समय सब-रजिस्ट्रार के समक्ष गलत जानकारी देता है तो उसको अब बख्शा नहीं जाएगा।

जानकारी के अनुसार एफ.सी.आर. पंजाब की तरफ से आदेश दिए जाने के बाद अमृतसर के रजिस्ट्री दफ्तरों में इस संबंध में सभी वसीका नवीसों को इस आदेश के बारे में जानकारी दे दी गई है। सब-रजिस्ट्रार अमृतसर वन और (टू) मन्निदर सिंह सिद्धू ने वसीका नवीसों को बताया कि सरकार के इस आदेश को सख्ती के साथ लागू किया जाएगा और किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसलिए रजिस्ट्री लिखते समय सरकार को जमीन जायदाद की सही जानकारी दी जाए।

सिर्फ बैंक केसों में ही होती है मार्कीट वैल्यू अनुसार रजिस्ट्री
जमीन जायदाद की बिक्री में काले धन के लेन-देन की बात करें तो पता चलता है कि सिर्फ बैंक लोन के केसों में ही मार्कीट वैल्यू और बयाने के हिसाब से रजिस्ट्री करवाई जाती है। यानि किसी व्यक्ति ने 30 लाख में मकान खरीदा है और उस पर लोन लिया है तो बैंक के हिसाब से 30 लाख रुपए की ही रजिस्ट्री करवाई जाती है। इसके अलावा बहुत कम लोग मार्कीट वैल्यू के हिसाब से रजिस्ट्री करवाते हैं जिनकी संख्या 1 प्रतिशत भी नहीं है।

कैसे होती है स्टाम्प ड्यूटी की चोरी
स्टाम्प ड्यूटी चोरी करने के लिए आमतौर पर लोग रजिस्ट्री में अधिकारियों को गलत जानकारी देते हैं। मकान की रजिस्ट्री करने के बजाय उसके प्लाट की रजिस्ट्री करवाई जाती है। मान लिया जाए कि एक मकान की 20 वर्ष पहले प्लाट के रूप में रजिस्ट्री करवाई गई थी तो नई रजिस्ट्री करते समय पुरानी रजिस्ट्री से 20 प्रतिशत ज्यादा की स्टाम्प ड्यूटी लगाकर रजिस्ट्री करवा दी जाती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

यदि एक व्यक्ति अपना मकान बेच या खरीद रहा है तो उसको मकान की ही रजिस्ट्री करवानी होगी न कि मकान की बजाय जिस जमीन पर मकान बना है उसके प्लाट की रजिस्ट्री करवाई जाए। इतना ही नहीं कुछ लोग कमर्शियल जमीन को भी रिहाइशी जमीन बताकर सब-रजिस्ट्रार व तहसीलदारों को धोखे में रखने का प्रयास करते हैं जबकि रिहाइशी जमीन की बजाय कमर्शियल जमीन की रजिस्ट्री करते समय 3 गुना ज्यादा स्टाम्प ड्यूटी लगती है। इसी प्रकार से खेतीबाड़ी की जमीन पर एकड़ के हिसाब से स्टाम्प ड्यूटी लगती है। आधार कार्ड लगाना जरूरीरजिस्ट्री करते समय खरीदने व बेचने वाले का आधार कार्ड लगाना भी जरूरी हो चुका है। मौजूदा समय में रजिस्ट्री के साथ जमीन की एन.ओ.सी. के अलावा आधार कार्ड लगाना भी अनिवार्य किया गया है।

इनकम टैक्स विभाग को अभी भी लग रहा है चूना
राजस्व विभाग जमीनों की रजिस्ट्रियों के मामले में स्टाम्प ड्यूटी चोरी रोकने का प्रयास जरूर कर रहा है, लेकिन इनकम टैक्स विभाग को अभी भी जमीन जायदाद की बिक्री व खरीद में पूरा टैक्स नहीं मिल रहा है। इसका बड़ा कारण है कि आज भी राजस्व विभाग की तरफ से कुलैक्टर रेट पर जमीन की रजिस्ट्रियां की जा रही हैं जबकि कुलैक्टर रेट व मार्कीट रेट में भारी अंतर होता है। ज्यादातर लोग कुलैक्टर रेट के अनुसार बनती रकम ही चैक या ड्राफ्ट के जरिए बेचने वाले को देते हैं और बाकि रकम कैश में दी जा रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि जमीन बेचने वाले व खरीदने वाले के बीच होने वाला सौदा यानि बयाना इन्कम टैक्स विभाग के हाथ नहीं लग पाता है। जैसे ही बयाने के अनुसार रजिस्ट्री हो जाती है वैसे ही बयाने को फाड़ दिया जाता है। 

इऩकम टैक्स एक्ट 269 (एस.एस.) का सरेआम उल्लंघन
काले धन पर नकेल डालने के लिए वित्त मंत्रालय की तरफ से न सिर्फ बेनामी एक्ट बनाया गया है बल्कि इनकम टैक्स कानून 269 (एस.एस.) भी बनाया गया है जिसमें जमीन जायदाद की बिक्री या खरीद करते समय 20 हजार रुपए से ज्यादा की कोई भी रकम का लेन-देन कैश में नहीं किया जा सकता है और चैक या बैंक ड्राफ्ट के जरिए ही लेन-देन किया जा सकता है, लेकिन तहसीलों में आमतौर पर हर रोज करोड़ों रुपए का लेन-देन कैश में किया जा रहा है और 269 (एस.एस.) कानून का सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है।  

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